कैमूर4 मिनट पहले
मशहूर भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी ने अपनी सुरीली आवाज से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
जेकर नाथ भोलेनाथ, उ अनाथ कैसे होई… जैसी भक्ति गीतों की प्रस्तुति से भोजपुरी की मशहूर गायिका कल्पना पटवारी ने दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव के दूसरे दिन कार्यक्रम में समा बांध दिया। उन्हें सुनने के लिए लोगों की काफी भीड़ उमड़ी। दरअसल, पर्यटन विभाग बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव का आयोजन हुआ। दूसरे दिन शनिवार को मशहूर भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी ने अपनी सुरीली आवाज से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
भक्ति गीतों की प्रस्तुति देकर लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के दूसरे दिन लोकगीत गायक अवधेश कुमार द्वारा लोक संगीत की प्रस्तुति से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। जिसने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। उसके बाद नवोदित कत्थक नृत्यांगना लावण्या राज के भावपूर्ण प्रदर्शन ने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी। कार्यक्रम के अंत में जिला प्रशासन की ओर से सभी को धन्यवाद देते हुए कलाकारों को मां मुंडेश्वरी का मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
पौराणिक पुरातात्विक सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए विश्वविख्यात प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी धाम में दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव का समापन शनिवार को हुआ।
मेरी मैया ने मुझको बुलाया है, खुल गए भाग्य मेरे..
मुंडेश्वरी महोत्सव के दौरान शिक्षक प्रमोद पांडेय ने भी अपने भक्ति गीत के जरिए कार्यक्रम में समा बांधा। उनके द्वारा मोरी मैया ने मुझको बुलाया है खुल गए भाग गए मेरे.. के अलावा लोरी सुनाती है… जैसे गीतों के जरिए कार्यक्रम में चार चांद लगाया। इसके बाद नालंदा संगीत कला विकास संस्थान के कलाकारों द्वारा मनमोहक लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कला संग्रह के कलाकारों ने नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया। रानी कुमारी ने लोक संगीत की प्रस्तुति दी।
कलाकार हुए समानित
पौराणिक पुरातात्विक सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए विश्वविख्यात प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी धाम में दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव का समापन शनिवार को हुआ। कार्यक्रम के अंत में जिला प्रशासन के द्वारा सभी कलाकारों को अंग वस्त्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों के लोग कार्यक्रम का लुफ्त उठाने के लिए पहुंचे। बता दें कि कोरोना काल के 2 साल बाद मां मुंडेश्वरी धाम में महोत्सव का यादगार आयोजन हुआ। जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम रहे।

कार्यक्रम के अंत में जिला प्रशासन के द्वारा सभी कलाकारों को अंग वस्त्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
जानिए मंदिर के बारे में
देश के विभिन्न शक्तिस्थलों में बलि देने की प्रथा होती है, लेकिन बिहार के कैमूर जिले में स्थित प्रसिद्ध मुंडेश्वरी मंदिर में बलि देने की प्रथा का तरीका इसे अन्य शक्तिस्थलों से अलग करता है। यहां बलि देने की परंपरा पूरी तरह सात्विक है। यहां बलि तो दी जाती है, लेकिन उसका जीवन नहीं लिया जाता। कैमूर जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर पंवरा पहाड़ी पर स्थित मुंडेश्वरी धाम में भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थनाएं करने आते हैं।