खगड़िया36 मिनट पहले
खगड़िया में कोशी कॉलेज का ग्राउंड। हाथ में हॉकी स्टिक ली हुई लड़कियां। फर्राटे के साथ ग्राउंड पर दौड़ती हुई। लड़कों के साथ बॉल के लिए संघर्ष करती हुई। यह तस्वीर हर दिन सुबह और शाम देखने को मिलती है। लड़कियों के लिए इस इलाके में यह आसान नहीं था। बदलाव की इस तस्वीर को लाने में यहां की नेशनल हॉकी प्लेयर नवनीत कौर का अहम रोल है। खुद 10 बार नेशनल खेलने वाली ‘आधी आबादी’ के लिए मिसाल है। महिला दिवस के मौके पर नवनीत कौर ने भास्कर से अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। आइए जानते हैं…
मैदान में प्रैक्टिस करती नवनीत कौर।
9 साल में पिता गुजर गए
राष्ट्रीय हॉकी खेल में 10 बार बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाली नवनीत कौर के खाते में कई रिकॉर्ड है। नवनीत कौर 2 बार हॉकी इंडिया सीनियर नेशनल, 2 बार जूनियर नेशनल, 2 बार सब जूनियर नेशनल, 2 अंडर 17 स्कूल नेशनल, 2 अंडर 19 स्कूल नेशनल तथा 1 बार महिला नेशनल खेल चुकी है। लेकिन, यह करना इतना आसान नहीं था। बचपन से ही हॉकी प्लेयर का ख़्वाब देखने वाली नवनीत की उम्र महज 9 साल थी तो इनके पिता गुजर गए। घर की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई।
बहन ने संभाली कमान
तीन बहन और एक भाई में सबसे छोटी नवनीत है। पिता के गुजरने के बाद लगा कि खेल अब दोबारा नहीं पाएगी। लेकिन, आर्थिक तंगी को दूर करने में बड़ी बहन ने कमान संभाली। बड़ी बहन ने ट्यूशन पढ़ाकर घर भी संभाला और इनके सपनों को भी साकार किया। इनकी मां तलविंदर कौर गृहणी हैं। जबकि, दोनों बड़ी बहन अब टीचर हो गई हैं।

लड़कियों के साथ लड़के भी करते हैं प्रैक्टिस।
बिहार में संसाधन की कमी
नवनीत कौर ने बताया कि बिहार में एक भी हॉकी ग्राउंड नहीं है। गोल पोस्ट तक नहीं है। इन संसाधनों को अगर सरकार मजबूत करती है तो प्रदेश के खिलाड़ी और भी आगे जाएंगे। प्रैक्टिस के लिए बढ़ियां ग्राउंड की जरूरत होती है। कम संसाधन में ही प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। खगड़िया के कोशी कॉलेज ग्राउंड में करीब 100 लड़कियों को नवनीत कौर हॉकी की ट्रेनिंग देती हैं। उनके सपनों को पूरा करने में मदद करती हैं।

संसाधनों के अभाव में भी प्रैक्टिस करने में जुटे हैं खिलाड़ी।
कई अन्य बेटियां भी जिले का नाम कर रही रौशन
खगड़िया में नवनीत कौर के अलावे कई बेटियां हॉकी खेल में अपने करतब दिखा रही हैं। 5 बार नेशनल खेल चुकी अंजू कुमारी ने कहा कि बेटियों को जब प्रोत्साहन नहीं मिलेगा तो वे कैसे आगे बढ़ेगी। वहीं दो बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता की हिस्सा रही नाजरीन ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, लड़कियों और महिलाओं को कभी निराश नहीं होना चाहिए। अगर आप मेहनत कर रहे हैं तो सफलता आपके कदमों में होगा। इन सभी के आलावे भी कई और बेटियां मीनाक्षी, शिवानी, अंजू ने भी जिले का नाम हॉकी को लेकर रोशन किया है।
वहीं, हॉकी खगड़िया के सचिव विकाश कुमार कहते हैं कि हॉकी की नींव डाली थी तो हमारा सफर बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा। रास्ते मे अनेक बाधाएं आती रही। लेकिन, हमारे खिलाड़ियों ने निरंतर मेहनत के बलबूते अपनी सफलता का परचम लहराया।
रिपोर्ट: अभिजीत कुमार