Home Bihar बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘कविताओं में मां’ का हुआ विमोचन: पटना में आयोजित कवि सम्मेलन में कई गणमानय हुए शामिल, मां के ऊपर लिखी कविताओं को दी गई जगह

बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘कविताओं में मां’ का हुआ विमोचन: पटना में आयोजित कवि सम्मेलन में कई गणमानय हुए शामिल, मां के ऊपर लिखी कविताओं को दी गई जगह

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बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘कविताओं में मां’ का हुआ विमोचन: पटना में आयोजित कवि सम्मेलन में कई गणमानय हुए शामिल, मां के ऊपर लिखी कविताओं को दी गई जगह

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पटना2 घंटे पहले

पटना में आयोजित कवि सम्मेलन में कई गणमानय हुए शामिल।

एक बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘कविताओं में मां’ का पटना में विमोचन किया गया। कविताओं के प्रेमी कई दिनों से इसका इंतज़ार कर रहे थे। आज से shwetwarna.com पर ‘कविताओं में माँ’ उपलब्ध है। इस पुस्तक के कर्ताधर्ता संजीव मुकेश ढाई वर्ष से लगातार इस पुस्तक पर कार्य कर रहे थे।

पटना के एक कार्यक्रम में ‘कविताओं में मां’ का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में कई रचनाकारों की रचना इसमें संग्रहित की गई है। इस पुस्तक में सिर्फ मां के ऊपर लिखी गई कविताओं को जगह दी गई है। इस पुस्तक के संपादन संजीव मुकेश के द्वारा की गई है। उनकी इच्छा शक्ति और समर्पण के बिना यह संभव नहीं था। प्रकाशन के लिए हुई देरी के लिए संजीव मुकेश ने व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी ली है। साथ ही संपादक ने संकलित रचनाकारों को भी बधाई दी।

इस पुस्तक में मां को ही केंद्र में रख कर इसका संपादन किया गया है। इस पुस्तक में गीत/नवनीत, दोहा, छंद कविता, छंदमुक्त कविता और गजल को शामिल किया गया है। इस पुस्तक में कई रचनाकारों की रचना शामिल की गई है।

गीत/नवगीत के श्रेणी में

माहेश्वर तिवारी की रोटियाँ बनाती है माँ, मधुकर अष्ठाना की माँ अब तक लोरी गाती है, मधुसुदन साहा की माँ मकान को घर कर देती, वीरेन्द्र आस्तिक की माँ तुझको गाया, रमेश गौतम की तूने ही आकाश दिया, सुधांशु उपाध्याय की माँ उदास हरियाली, गणेश गम्भीर की माँ! तुम्हारा नहीं होना , उमेश प्रसाद ‘उमेश’ की भोली-भाली माँ, यश मालवीय की देख रही है माँ, जय चक्रवर्ती की माँ जैसा होना, मृदुल शर्मा की धुँधलाता चित्र नहीं आदि शामिल है।

दोहा की श्रेणी में

माँ केसर की पाँखुरी, अनिरुद्ध प्रसाद विमल की सब पर माँ भारी पड़े, कुँअर उदयसिंह ‘अनुज’ की माँ औ’ गंग समान, प्रभु त्रिवेदी की माँ ममता की मूर्ति है, रघुविन्द्र यादव में माँ सुलझाती गाँठ सब, डा. अवधी हरि की जग का पहला ज्ञान, शिव कुमार ‘दीपक’ की जन्नत का आभास, अवनीश त्रिपाठी की अम्मा बहुत समर्थ आदि शामिल है।

छंद कविता की श्रेणी में

तारकेश्वरी ‘सुधि’ तारकेश्वरी ‘सुधि’ की माँ (कुण्डलियाँ), कैलाश झा किंकर की माँ (बरवै छंद), लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की माँ के सपनों को साकार करूँगा आदि शामिल है।

छंद मुक्त कविताओं में

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की चूल्हे की पाठशाला, ध्रुव गुप्त की तुम ही तो होती हो न माँ , कुमार अरुणोदय की माँ, डॉ. मंजु लता श्रीवास्तव की प्यारी माँ , विभा रानी श्रीवास्तव की माँ क्या होती है?, मधु प्रधान की ममता का स्वाद, अनंत महेन्द्र की हाँ वह माँ है, मंजूषा मन की अम्मा और तुलसी, स्मिता श्री की दुबारा न मिलूँगी

ग़ज़ल की श्रेणी में

डॉ. उर्मिलेश की मैं हूँ पंछी तो मेरा पर है मां, निदा फ़ाज़ली कीमाँ, विज्ञान व्रत की माँ तुम्हें देखूँ कहाँ तक, राजेन्द्र वर्मा की माँ तो गुनगुनाती है, ओमप्रकाश यती की भोर है अम्मा, डाँ डी एम मिश्र की माँ की जरूरत, रमेश प्रसून की पहचान है माँ, रवि खण्डेलवाल की माँ के अंदर घर,हरिवल्लभ शर्मा की तुझसे बड़ा है कौन, नंदी लाल की सच्ची होती माँ, धर्मेन्द्र कुमार सिंह की मेरी माँ जल चढ़ाती है, नीरज कुमार सिन्हा की खुद में एक जहां है बिनोद कुमार हँसौड़ा की इनायत माँ की जन्नत है शामिल है।

इस पुस्तक के संपादक संजीव मुकेश ने दैनिक भास्कर से बात की, संजीव ने बताया कि ‘कविताओं में मां’ देश भर के श्रेष्ठ कवियों की एक ऐसी पुस्तक है जिसमें बरगद भी है और कोपल भी। इसमें सारी कविताएं मां पर केंद्रित है। इस पुस्तक में कविता की सारी विधा शामिल है। आशा है यह एक पठनीय पुस्तक होगी।

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