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भारत अब तालिबान के साथ क्यों जुड़ रहा है

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री, अमीर खान मुत्ताकी, जिन्होंने इस हफ्ते भारत के विदेश सचिव से मुलाकात की, 29 जनवरी 2024 को काबुल में विदेश मंत्रालय में 'अफगानिस्तान की क्षेत्रीय सहयोग पहल' नामक विभिन्न देशों के विशेष दूतों के सम्मेलन के दौरान बोलते हुए। [वकील कोहसर/एएफपी]"

भारत अब तालिबान के साथ क्यों जुड़ रहा है

भारत ने हाल ही में तालिबान के साथ अपने संबंधों को पुनः स्थापित किया है, जो अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इस नई दिशा को कई रणनीतिक कारणों से समझा जा सकता है, और यह क्षेत्रीय स्थिरता, विकास, व्यापार, और सुरक्षा से संबंधित है। आइए विस्तार से समझें कि भारत तालिबान के साथ क्यों जुड़ रहा है:

1. क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा:

तालिबान का अफगानिस्तान में पुनः सत्ता में आना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चिंता का विषय है। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के पुनः सत्ता में आने के बाद, भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अफगानिस्तान में स्थिरता बनी रहे और किसी प्रकार का हिंसक उथल-पुथल न हो। भारत ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता महसूस की है, क्योंकि इससे आतंकवाद, कट्टरपंथ और मानव तस्करी जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।

2. मानवीय सहायता और विकास:

तालिबान के सत्ता में आने के बाद, अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में भारत ने अफगानिस्तान में मदद पहुंचाने के लिए तालिबान के साथ बातचीत शुरू की है। भारत ने खाद्य सहायता, चिकित्सा सहायता, और अन्य मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कदम उठाए हैं। भारत की योजना है कि वह तालिबान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं में भी निवेश करे, ताकि वहां की आर्थिक स्थिति सुधर सके।

3. आर्थिक और व्यापारिक संबंध:

तालिबान के साथ संवाद स्थापित करके, भारत अफगानिस्तान में व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना चाहता है। अफगानिस्तान में चाबहार बंदरगाह (Iran’s Chabahar Port) के माध्यम से भारत-इंडिया ट्रेड को बढ़ावा देने की संभावना है। चाबहार बंदरगाह भारत और अफगानिस्तान के बीच एक प्रमुख व्यापारिक गंतव्य बन सकता है, जो अफगानिस्तान को दुनिया से जोड़ने में मदद करेगा।

इसके अलावा, भारत ने कई परियोजनाओं में तालिबान के साथ सहयोग करने का संकेत दिया है, जिनमें कृषि, बुनियादी ढांचा विकास, शिक्षा, और स्वास्थ्य क्षेत्र शामिल हैं।

4. क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा:

तालिबान के सत्ता में आने के बाद, चीन और रूस जैसे देशों ने अफगानिस्तान में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं। भारत भी इस प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तालिबान के साथ संपर्क स्थापित कर रहा है। भारत का उद्देश्य है कि वह क्षेत्रीय प्रभाव और सुरक्षा के मामले में चीन और रूस के प्रभाव को रोकने के लिए तालिबान के साथ जुड़ाव बनाए रखे।

5. राजनीतिक दृष्टिकोण:

तालिबान के साथ संवाद स्थापित करके, भारत यह संदेश देना चाहता है कि वह अफगानिस्तान की राजनीति और भविष्य में बदलाव में भी सक्रिय है। भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर अफगानिस्तान की स्थिति को बेहतर बनाने में भूमिका निभाना चाहता है।

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