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भास्ककर Analysis: शिक्षक बहाली में यूजीसी के मानक पर विवि सेवा आयोग व टीएमबीयू की अलग अलग व्याख्या, कई का चयन फंस जाएगा

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भास्ककर Analysis: शिक्षक बहाली में यूजीसी के मानक पर विवि सेवा आयोग व टीएमबीयू की अलग अलग व्याख्या, कई का चयन फंस जाएगा

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भागलपुरएक घंटा पहलेलेखक: अभिषेक

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यूजीसी के मानक के पालन पर बिहार राज्य विवि सेवा आयाेग और टीएमबीयू अलग-अलग व्याख्या कर रहा है। - Dainik Bhaskar

यूजीसी के मानक के पालन पर बिहार राज्य विवि सेवा आयाेग और टीएमबीयू अलग-अलग व्याख्या कर रहा है।

यूजीसी के मानक के पालन पर बिहार राज्य विवि सेवा आयाेग और टीएमबीयू अलग-अलग व्याख्या कर रहा है। जिस विषय में पीजी उसी में या उसके एलायड विषय में पीएचडी और जिस विषय में असिस्टेंट प्राेफेसर के लिए आवेदन उसमें पीजी हाेने की अनिवार्यता का नियम बता टीएमबीयू ने विवि सेवा आयाेग से गांधी विचार के लिए चयनित असिस्टेंट प्राेफेसर अभ्यर्थी देशराज वर्मा की काउंसलिंग राेक कर आयाेग की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया है।

देशराज का चयन गांधी विचार के लिए हुआ है, लेकिन वे पीएचडी इतिहास में हैं। अगर आयाेग ने गलत चयन किया है ताे ऐसे कई अभ्यर्थी हाे सकते हैं जिनका सेलेक्शन असमान विषय या गैर एलायड विषय में पीजी और पीएचडी हाेने के बावजूद कर लिया गया हाे।

आगे जिन विषयाें में असिस्टेंट प्राेफेसर का चयन हाेना है उनमें भी ऐसे अभ्यर्थी हाे सकते हैं। ऐसे में इस तरह के अभ्यर्थियाें का चयन फंस जाएगा। लेकिन आयाेग ने देशराज वर्मा का चयन सही किया है ताे टीएमबीयू की गेस्ट फैकल्टी नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हाेंगे।

तीन गेस्ट फैकल्टी हुए हैं दाैड़ से बाहर
टीएमबीयू ने आयाेग में चल रही नियमित शिक्षक बहाली प्रक्रिया के पूरी हाेेने के बीच अपने स्तर से गेस्ट फैकल्टी की बहाली की प्रक्रिया शुरू की है और उसने तीन अभ्यर्थियाें काे यह कहकर छांट दिया है कि उनके पीएचडी और पीजी के विषय अलग-अलग हैं। इतिहास की दाे गेस्ट फैकल्टी अभ्यर्थियाें का पीजी प्राचीन भारतीय इतिहास और समाजशास्त्र के लिए आवेदन करने वाली एक की अभ्यर्थी का पीजी समाजशास्त्र में नहीं हाेने की टिप्पणी कर छंटनी की है।

  • आयाेग ने इतिहास में पीएचडी किये असिस्टेंट प्राेफेसर अभ्यर्थी का गांधी विचार में किया चयन पर टीएमबीयू ने काउंसलिग राेक दी
  • इसी आधार पर गेस्ट फैकल्टी अभ्यर्थियों की भी छंटनी कर चुका है टीएमबीयू

अंगिका में सिर्फ एमए वाले के चयन का दावा
विवि सेवा आयाेग से टीएमबीयू के लिए अंगिका में चयनित एक और असिस्टेंट प्राेफेसर का सेलेक्शन सिर्फ एमए के आधार पर करने का मामला सामने अा रहा है। इस बारे में टीएमबीयू की काउंसलिंग कमेटी के सदस्य सीसीडीसी डाॅ. केएम सिंह भी स्पष्ट नहीं कर पाए और कहा कि उन्हाेंने उक्त चयनित अभ्यर्थी के डाॅक्यूमेंट पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इस अभ्यर्थी के विषय से जुड़े एक पीएचडी धारक ने कहा है कि चयनित अभ्यर्थी न पीएचडी है न नेट जबकि असिस्टेंट प्राेफेसर के लिए इन दाेनाें में से काेई याेग्यता अनिवार्य है।

अभ्यर्थी देशराज का केस बाकी छात्राें काे भी करेगा प्रभावित
टीएमबीयू में अभी पीएचडी एडमिशन टेस्ट पास कर चुके छात्राें के रिसर्च मेथडाेलाॅजी काेर्स में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। इससे पहले 2019 व 2017 में प्री पीएचडी टेस्ट हुआ था। तब कई छात्राें काे पीएचडी करने से यह कहकर राेक दिया गया था कि वे अपने पीजी के विषय से अलग विषय में पीएचडी करना चाहते थे।

अधिकारियाें और शिक्षकाें के अलग-अलग हैं दावे
देशराज वर्मा के मामले में प्राेवीसी प्राे. रमेश कुमार ने कहा है कि टीएमबीयू विवि सेवा आयाेग से चयनित अभ्यर्थी के डाॅक्यूमेंट का सिर्फ मिलान कर सकता है। हालांकि काउंसलिंग कमेटी ने आयाेग से चीजें स्पष्ट कराने का सुझाव दिया है। डीन एकेडमिक्स डाॅ. अशाेक ठाकुर ने कहा कि हाे सकता है कि देशराज के डाॅक्यूमेंट यूजीसी के 2016 में लागू रेगुलेशन से पहले के हाें जिसमें अलग-अलग विषयाें में पीजी-पीएचडी हाेना मान्य था। लेकिन पूर्व काॅलेज इंस्पेक्टर डाॅ. मनीन्द्र सिंह ने कहा कि अगर आयाेग सही है ताे टीएमबीयू भी अलग-अलग विषय में पीजी-पीएचडी वालाें काे नहीं छांट सकता है।

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