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- 4 Revolutionaries Were Martyred In The Shooting Incident, Angry Villagers Set The Police Station On Fire
बक्सर9 मिनट पहले
अंग्रेज दागते रहे गोली, बक्सर के सपूतो ने फहराया तिरंगा
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों को देश से खदेड़ने तथा सरकारी थाने पर झंडोत्तोलन के प्रयास में बक्सर जिले के डुमरांव निवासी चार अमर शहीदों ने अपनी वीरता से अंग्रेजी सरकार को हिला दी थी। शहीद स्मारक स्थल पर बनी उनकी प्रतिमाएं डुमरांव वासियों को आज भी देश के लिए सीने पर गोलियां खाने की सीख देती है। जब भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था, तब डुमरांव में भी फिरंगियों को बाहर निकालने के लिए आंदोलन तेज हो गया था। महात्मा गांधी के आह्वान पर विदेशी वस्त्रों की होलियां जला सरकारी दफ्तरों पर तिरंगा झंडा फहराया जा रहा था।
16 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था। डुमरांव में हजारों क्रांतिकारियों की भीड़ तत्कालीन थाना (पुराना थाना) पर तिरंगा फहराने पहुंची हुई थी।जिसका नेतृत्व शहीद कपिलमुनी कर रहे थे। तत्कालीन थानाध्यक्ष देवमुनी सिंह ने पहले तो चेतावनी दी। लेकिन जब आजादी के दीवाने नहीं माने तो उसने अपना सरकारी सर्विस रिवाल्वर निकाला और गोली चला दी। गोली तिरंगा लेकर आगे चल रहे कपिलमुनी को लगी। वे वही खून से लथपथ हो गिर पड़े। उनके गिरने से पहले ही पीछे से एक एक कर रामदास लोहार, रामदास कोहार तथा गोपालजी कमकर ने तिरंगा थामने के दौरान सीने पर गोलियां खाई। इसके बाद क्रांतिकारियों ने थाना पर झंडा गाड़ अंग्रेजी पुलिस के जवानों को ललकारते हुए आगे बढ़े। भीड़ के साहस को देख जवान थाना छोड़ भाग खड़ा हुए।
क्रांतिकारियों ने थाना में आग लगा दी। इस घटना ने डुमरांव में भारत छोड़ो आंदोलन की आग को और भी तेज कर दिया था।आजादी के दीवानों की खून से पुराना थाना रोड का रंग लाल हो गया। यह सनसनी खेज घटना बिजली की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई।जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने 17 अगस्त को डुमरांव पुराण थाना को आग के हवाले कर दिया था।जिनकी वीरता की चर्चाये आज भी लोगो के जेहन में रहता है।
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