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गया31 मिनट पहलेलेखक: दीपेश
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अधिकारियों का कहना है कि अंतिम संस्कार का लाभ इसलिए नहीं पहुंचा पा रहे हैं, क्योंकि लोग दूसरी जगह जाकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं।
बिहार सरकार ने बीते 28 अप्रैल को फैसला किया था कि कोरोना संक्रमण से मरने वालों के अंतिम संस्कार का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इसके लिए प्रत्येक मृतक ‘नौ मन’ (360 किलो) लकड़ी की व्यवस्था सरकारी स्तर से की जानी थी। गया के 24 प्रखंडों में अभी तक इस योजना का लाभ किसी को नहीं मिला है। भास्कर ने सात प्रखंडों के प्रखंड विकास पदाधिकारियों से इस बारे में बात कर कन्फर्म किया है। इनका कहना है कि अभी तक इस योजना का लाभ लेने कोई आगे नहीं आया है।
अंतिम संस्कार की जिम्मेवारी BDO को ही मिली
गया के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से मरनेवालों के अंतिम संस्कार के लिए सामग्रियां मुहैया कराए जाने की जिम्मेदारी सरकार की ओर से ब्लाक के प्रखंड विकास अधिकारी को ही दी गई है। लेकिन जिले के सभी ब्लाक के प्रखंड विकास अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पंचायत सचिव और मुखिया पर फेंककर अपना-अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं।
हालांकि उनका कहना है कि सूचना मिलने पर मुक्ति वाहन जरूर मुहैया कराया जा रहा है। ऐसे में अंतिम संस्कार का लाभ इसलिए नहीं पहुंचा पा रहे हैं, क्योंकि लोग दूसरी जगह जाकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। जबकि सरकार की ओर से प्रावधान है कि कोविड से मरने वाले को यह लाभ तभी दिया जाएगा, जब अंतिम संस्कार गांव के श्मशान घाट पर हो।
6 BDO ने भास्कर से क्या कहा
मानपुर के प्रखंड विकास अधिकारी अभय कुमार ने बताया कि इस तरह की योजना है, पर इसका लाभ अब तक किसी ने नहीं लिया है। योजना के बाबत सभी पंचायत सचिव और मुखिया को जानकारी दी गई है। लेकिन कोई अब तक लाभ लेने नहीं आया है। हां, जब लाभ लेने की डिमांड आएगी तो प्रखंड कार्यालय मदद करेगा। कमोबेश ऐसा ही कुछ अतरी, बेला, शेरघाटी, फतेहपुर, कोंच और टनकुप्पा के प्रखंड विकास अधिकारियों का कहना है।
टिकारी के प्रखंड विकास अधिकारी वेद प्रकाश का कहना है कि एक व्यक्ति की सूचना आई थी। प्रशासन की ओर से उन्हें दाह संस्कार के लिए सामग्रियां मुहैया कराए जाने की पहल भी की गई। पर मृतक के परिजनों ने यह कहते हुए टाल दिया कि अब अंतिम समय है, उनके लिए हमें ही कुछ अपने स्तर से कर लेने दीजिए। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कहीं से भी किसी समय सूचना आती है तो, सरकार मुफ्त में दाह संस्कार के लिए मदद को तत्पर है।
बोधगया प्रखंड विकास अधिकारी वीरेंद्र कुमार का कहना है कि इस बाबत तो एसडीओ ही बेहतर बता पाएंगे। इस जवाब पर जब उन्हें भास्कर की ओर से बताया गया कि ब्लाक स्तर पर प्रखंड विकास अधिकारी ही इस काम के लिए जिम्मेदार हैं, तो उन्होंने कहा कि अब तक हमारे पास इस तरह का कोई भी मामला नहीं आया है।
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