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पटना20 मिनट पहले
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बेरोजगार के लिए रोजगार का अवसर और वाहन स्वामियों के लिए बढ़ेगी सुविधा।
अब आपकी गाड़ी की फिटेनस मशीन जांच देगी। क्चल ब्रेक से लेकर हर मानक की पड़ताल 5 मिनट में कर मशीन पूरी रिपोर्ट दे दगी। परिवहन विभाग बिहार के 38 जिलों में वाहनों की फिटनेस की जांच के लिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन की तैयारी में है। निजी क्षेत्रों में इस व्यवस्था को देने से एक तरफ जहां रोजगार का अवसर बन रहा है वहीं दूसरी तरफ वाहन स्वामियों के लिए आसानी हो जाएगी।
परिवहन विभाग के मुताबिक व्यवसायिक वाहनों के फिटनेस की जांच अब ऑटोमैटिक मशीन से होगी। जांच के लिए सभी जिलों में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन खोले जाऐंगे। इसके लिए निजी क्षेत्रों से आवेदन मांगे जा रहे हैं। परिवहन मंत्री शीला कुमारी का कहना है कि ऑटोमेटिक जांच पद्धति से सड़क दुर्घटना में कमी आएगी और पर्यावरण स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही रोजगार का भी बड़ा अवसर मिलेगा। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन की स्थापना के लिए इच्छुक व्यक्ति या कंपनी या संघ 15 दिसंबर 2021 तक राज्य परिवहन आयुक्त कार्यालय, विश्वेशरैया भवन में निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन जमा कर सकते हैं।
हर जिले में होगा ऑटोमेटिक जांच सिस्टम
परिवहन विभाग का कहना है कि सभी जिलों से आवेदन मांगे जा रहे हैं। यह प्रयास किया जा रहा है कि सभी जिलों में फिटनेस सेंटर खोले जाएं। आवेदन प्राप्ति के एक माह के अंदर विशेष टीम गठित कर सभी आवेदनों की जांच कर करवाई की जाएगी तथा स्थल निरीक्षण करते हुए योग्य आवेदकों को चयनित किया जाएगा।
जांच सेंटर से होगा फायदा
परिवहन सचिव का कहना है कि राज्य में बढ़ते वाहनों की संख्या एवं सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए व्यवसायिक वाहनों के फिटनेस के लिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन आवश्यक है। इस सेंटर पर वाहनों को सभी तकनीकी पहलुओं पर परखते हुए फिटनेस टेस्ट होगा। वाहन की बॉडी से लेकर सेफ्टी मेजर्स को ऑटोमेटिक ही परखा जाएगा। इससे सड़क दुर्घटना में कमी आएगी। अनफिट गाड़ियों को रोड पर चलने की अनुमति नहीं होगी क्योंकि इन गाड़ियों से सड़क दुर्घटनाओं का काफी खतरा रहता है।
मौजूदा समय में मकैनुअल व्यवस्था
परिवहन विभाग में वर्तमान में वाहनों का फिटनेस जांच मोटरयान निरीक्षक द्वारा मैनुअली किया जाता है। मोटरयान निरीक्षक जांच के दौरान मैनुअली ब्रेक, कलच, स्पीडोमीटर, विंडो ग्लास, हॉर्न, लाईट्स, वाइपर आदि को देखकर फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करते हैं जो बहुत वैज्ञानिक नहीं है। ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन बनने के बाद इन वाहनों की ऑटोमेटिक जांच होगी।
पारदर्शी होगी वाहनों की जांच
ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन पूरी तरह सीसीटीवी से लैस होगा। जांच के लिए आने वाले हर वाहन पर नजर रहेगी। इंट्री पॉइंट और जांच के दौरान भी सीसीटीवी की नजर रहेगी। जिलों में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन की मॉनिटरिंग की भी व्यवस्था रहेगी। किस जिले में कितने वाहनों की जांच हो रही है। मानक के अनुसार जांच हो रही है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि हर वाहन की एक आयु सीमा होती है। ऑटोमेटिक मशीन से जांच के बाद पता चलेगा कि वाहन चलने की स्थिति में है या नहीं। सभी मानक पूरे हैं और प्रदूषण तो अधिक नहीं फैलता है! मशीन ब्रेक से लेकर अन्य चीजें ऑटोमेटिक ही जांच होगा। राज्य में फिटनेस सेंटर को कंप्यूटराइज्ड करने एवं ऑटोमैटिक करने से कई समस्याओं का समाधान होगा। ऑटोमेटिक जांच में व्यवसायिक वाहनों के सभी पार्ट्स को निर्धारित मानक के अनुरुप पाए जाने पर सेंटर द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
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