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पटना28 मिनट पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
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पटना में पालतू डॉग को वैक्सीन लगाते कर्मी।
- लॉकडाउन के बाद शुरू हुई सप्लाई तो पटना में 8 हजार डॉग्स को लगी वैक्सीन
- इंसानों में संक्रमण के बढ़ते ही डॉग की वैक्सीन की हो गई थी कमी
बिहार में अमेरिका की फाइजर कंपनी की वैक्सीन से कोरोना मर रहा है। एक डोज में ही वायरस का काम तमाम हो रहा है। महज 350 रुपए में मिलने वाली इस वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। इंसानों में संक्रमण के साथ ही इसकी डिमांड बढ़ गई है। आप यह जानकर चौंक गए होंगे कि जिस वैक्सीन का पूरा देश इंतजार कर रहा है वह बिहार में कैसे आ गई। हम बात कर रहे हैं उस कोरोना वैक्सीन की जो डॉग्स (Dogs) को दी जाती है। संक्रमण बढ़ने के बाद पटना में डिमांड बढ़ी है, महज पांच माह में 8 हजार से अधिक डॉग्स को डोज दिया गया है।
पटना में 25% डॉग्स को दी जा रही वैक्सीन
पटना सहायक कुकुट पदाधिकारी (TBO Mobile) डॉ. परमबोध कुमार का कहना है कि डॉग्स में कोरोना वायरस काफी पुराना है। पटना में जो भी पालतू डॉग हैं, उसमें 50 प्रतिशत को यह वैक्सीन दी जाती रही है। कोविड-19 आने के बाद इसकी डिमांड और बढ़ गई है। पटना में पालतू डॉग्स की संख्या एक लाख है, इसमें हर चौथे डॉग को यह वैक्सीन दी गई है।
लॉकडाउन में विदेश से नहीं आई वैक्सीन
डॉ. परमबोध का कहना है कि कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो डॉग की वैक्सीन की डिमांड बढ़ गई। लॉकडाउन के कारण विदेशों से आने वाली वैक्सीन की सप्लाई बंद हो गई थी। लेकिन 5 माह पहले जैसे ही फाइजर वैक्सीन की सप्लाई आई, डॉग्स को लगना शुरू हो गया है। केवल पटना में 5 माह में 8 हजार से अधिक डॉग्स को यह वैक्सीन दी गई है।
फाइजर की जोयोटिस की कैनाइन कोरोना वैक्सीन।
बिहार के बाद यूपी के डॉग को लगी सबसे अधिक वैक्सीन
कैनाइन कोरोना वैक्सीन की सप्लाई करने वाली एजेंसी के सेल्स मैनेजर नीरज का कहना है कि बिहार में सबसे अधिक वैक्सीन की सप्लाई हुई है। महज पांच माह में ही 8 हजार से अधिक डॉग को पटना में वैक्सीन दी गई है। इसके बाद यूपी के लखनऊ में लगभग 5 हजार डोज दिया गया है। नीरज का कहना है कि वैक्सीन की सप्लाई मुम्बई से होती है। इंसानों में कोरोना संक्रमण से पहले भी डॉग को वैक्सीन दी जाती थी, लेकिन संक्रमण फैलने के बाद इसकी डिमांड अचानक से बढ़ गई है।
इंसानों की तरह किट से होती है जांच
पटना पशु स्वास्थ्य केंद्र में तैनात TBO Mobile डॉ. परमबोध कुमार का कहना है कि इंसानों की तरह ही डॉग में भी कोरोना की जांच किट से की जाती है। संक्रमण की पुष्टि होने पर डॉग को आइसोलेट किया जाता है। हालांकि कैनाइन वैक्सीन देने के बाद यह वायरस अटैक नहीं करता है।
वैक्सीनेशन के बाद एक साल तक टल जाता है खतरा
वैक्सीनेशन के बाद एक साल के लिए कोरोना का खतरा टल जाता है। इस वैक्सीन की सप्लाई सरकारी पशु स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं है, लेकिन बाजार में मिल जाती है। फाइजर की जोयोटिस की कैनाइन कोरोना वैक्सीन संक्रमण बढ़ने के बाद नहीं मिल पा रही थी, अब सप्लाई थोड़ी बहुत शुरू हुई है। ब्राजील की वेन-कोरोना वैक्सीन 350 की है, यह भी कम मिल रही है।
ब्राजील की वेन-कोरोना वैक्सीन।
डॉग में भी जानलेवा है कोरोना
कैनाइन कोरोनावायरस डॉग के लिए भी जानलेवा होता है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि संक्रमण अत्यधिक संक्रामक है, जिसमें बुखार, उल्टी और भूख न लगना जैसे सामान्य लक्षण हैं। संक्रमित डॉग से अन्य स्वस्थ डॉग में फैलता है। इस कारण से संक्रमित कुत्तों को इंसानों की तरह ही अलग कर दिया जाता है।
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