Home Bihar आमदनी जीरो, खर्चा करोड़ों: बिहार के पताही, जोगबनी व रक्सौल समेत देश के 24 हवाई अड्‌डों के रखरखाव पर चार वर्ष में 59 करोड़ खर्च

आमदनी जीरो, खर्चा करोड़ों: बिहार के पताही, जोगबनी व रक्सौल समेत देश के 24 हवाई अड्‌डों के रखरखाव पर चार वर्ष में 59 करोड़ खर्च

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आमदनी जीरो, खर्चा करोड़ों: बिहार के पताही, जोगबनी व रक्सौल समेत देश के 24 हवाई अड्‌डों के रखरखाव पर चार वर्ष में 59 करोड़ खर्च

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मुजफ्फरपुर6 मिनट पहले

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पताही हवाई अड्‌डा - Dainik Bhaskar

पताही हवाई अड्‌डा

क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना (आरसीएस) – उड़ान के तहत चिह्नित मुजफ्फरपुर समेत देश की 24 हवाई पट्टियों (अल्प परिचारित या अपरिचालित) के रखरखाव पर नागरिक उड्‌डयन मंत्रालय हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। लेकिन, यहां से कोई कॉमर्शियल उड़ान नहीं होने से एक रुपया भी आमदनी सरकार को नहीं हो रही है। इसमें बिहार के पताही(मुजफ्फरपुर), जोगबनी व रक्सौल हवाई अड्डे शामिल हैं।

इसके अलावा झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व मध्य प्रदेश के तीन-तीन, तमिलनाडु व तेलंगाना के दो-दो और गुजरात, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम व मेघालय के एक-एक हवाई अड्‌डे इस कैटेगरी में शामिल हैं। इन सभी 24 हवाई अड्‌डों के रखरखाव पर पिछले चार वर्ष में कुल 59 करोड़ 33 लाख खर्च हुए हैं। जिसमें 2018-19 में 4 करोड़ 13 लाख, 2019-20 में 11 करोड़ 63 लाख, 2020-21 में 20 करोड़ 44 लाख और 2021-22 में 23 करोड़ 13 लाख का व्यय शामिल है।

झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व मध्य प्रदेश के तीन-तीन हवाई अड्‌डे भी इस कैटेगरी में शामिल

तीन हवाई अड्‌डों के रखरखाव पर चार वर्ष में 2 करोड़ 90 लाख रुपए खर्च हुए
पिछले चार वित्तीय वर्ष (2018-19 से लेकर 2021-22 तक) में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया मुजफ्फरपुर के पताही हवाई अ़ड्‌डे के रखरखाव पर 73 लाख(प्रति वर्ष करीब 18 लाख), जोगबनी हवाई अड्‌डे पर 1 करोड़ 13 लाख (प्रति वर्ष करीब 28 लाख और रक्सौल हवाई अड्डे के रखरखाव पर 1 करोड़ 4 लाख( प्रतिवर्ष करीब 26 लाख) खर्च कर चुका है। यानी चार वर्ष में 2 करोड़ 90 लाख रुपए पानी में बह गए।

देवघर हवाई अड्‌डे पर 4 वर्ष में 44 करोड़ खर्च, आमदनी महज दो लाख
चार वर्ष में सबसे अधिक 44 करोड़ 34 लाख खर्च देवघर हवाई अड्डे के रखरखाव पर हुआ है। जिसमें 2018-19 में 42 लाख, 2019-20 में 8 करोड़ 1 लाख, 2020-21 में 16 करोड़ 46 लाख और 2021-22 में 19 करोड़ 45 लाख खर्च हुए हैं। जबकि, इस अवधि में इस हवाई अड्डे से राजस्व महज दो लाख प्राप्त हुआ है।

घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं ये 24 हवाई अड्‌डे
बिहार के पताही, जोगबनी व रक्सौल हवाई अड्‌डे, झारखंड के चाकुलिया, देवघर व धालभूमगढ़, पश्चिम बंगाल के आसनसोल बेलूरघाट व मालदा, त्रिपुरा के कैलाशहर, कमलपुर व खोवाई, मध्य प्रदेश के खंडवा, सतना व पन्ना, तमिलनाडु के वेल्लोर व तंजावुर, तेलंगाना के नादिरगुल व वारंगल, गुजरात के दीसा, आंध्र प्रदेश के डोनाकोंडा, अरुणाचल प्रदेश के डापारिजो, मिजोरम के आइजोल(ट्यूरियल) और मेघालय के सेला हवाई अड्‌डा शामिल हैं।

क्षेत्रीय हवाई संपर्क बढ़ाने के लिए 2016 में शुरू हुई थी योजना | नागर विमानन मंत्रालय ने देश नन ऑपरेशनल व लो ऑपरेशनल हवाई अड्‌डों से क्षेत्रीय हवाई संपर्क बढ़ाने के लिए अक्टूबर 2016 में क्षेत्रीय संपर्क योजना(आरसीएस) उड़ान के थीम के तहत शुरू की थी।

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