Home Bihar उपचुनाव के नतीजे का नफा-नुकसान: BJP सिर्फ सीट बचा सकी, परफॉर्मेंस दिखाने का मौका गंवा दी; साधू यादव पूरी तरह बेअसर रहे

उपचुनाव के नतीजे का नफा-नुकसान: BJP सिर्फ सीट बचा सकी, परफॉर्मेंस दिखाने का मौका गंवा दी; साधू यादव पूरी तरह बेअसर रहे

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उपचुनाव के नतीजे का नफा-नुकसान: BJP सिर्फ सीट बचा सकी, परफॉर्मेंस दिखाने का मौका गंवा दी; साधू यादव पूरी तरह बेअसर रहे

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पटना14 मिनट पहलेलेखक: शंभू नाथ

पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बिहार में नीतीश अब बेअसर लेकिन तेजस्वी पिछड़ रहे हैं।

बिहार के नए सियासी समीकरण के बाद पहली बार गोपालगंज और मोकामा विधानसभा में उपचुनाव हुए। इसे 2024 लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा था। लेकिन नतीजे में ज्यादा बदलाव नहीं आए हैं। गोपालगंज की सीट एक बार फिर से बीजेपी के पास ही रह गई। मोकामा की सीट पर अनंत सिंह की बादशाहत बरकरार रही।

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और यहां की सियासत को करीब से जानने वाले मणिकांत ठाकुर कहते हैं कि उपचुनाव के नतीजे कोई सेमीफाइनल जैसा संकेत नहीं दे रहा है। वे कहते हैं कि इसका एक बड़ा कारण ये है कि अभी भी लोकसभा चुनाव में इतना वक्त है कि इस दौरान उलटफेर संभव है। नतीजे में नीतीश कुमार के जेडीयू को या तेजस्वी के आरजेडी को कोई नफा नुकसान होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।

बीजेपी से जो उम्मीद थी उपचुनाव में वो प्रदर्शन नहीं कर सकी

मणिकांत ठाकुर कहते हैं कि ये उपचुनाव के नतीजे कोई बड़ी संभावना जताने वाले उपचुनाव नहीं हैं। नीतीश कुमार से अलग होने के बाद बीजेपी के संगठन में एक नई उम्मीद जगी थी, बिहार में एक नई शक्ति बनने की। लेकिन उपचुनाव में ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। बीजेपी फिलहाल ऐसी कोई दिशा हासिल नहीं करती हुई दिखाई दे रही है। जब तक बीजेपी का नेता डिसाइड नहीं हो जाता स्थिति बेहतर नहीं होगी। अभी तक बीजेपी ये तय नहीं कर पाई है कि बिहार में उसका नेता कौन है उसका नेतृत्वकर्ता कौन है।

दो सीटों के उपचुनाव में बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।

दो सीटों के उपचुनाव में बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।

नीतीश बिहार की राजनीति में बेअसर लेकिन बीजेपी उभरने का मौका गंवा रही

जिस तरह उपचुनाव के टिकट चयन में पहले नीतीश कुमार की नहीं चली। सीएम रहते हुए कहीं भी उन्होंने चुनाव प्रचार नहीं किया। उन्होंने अपनी चोट का हवाला दे दिया। मणिकांत ठाकुर कहते हैं कि शासन- प्रशासन भी उनकी हाथ से छुटता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में अब ये तो स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में नीतीश बेअसर हो गए हैं। लेकिन जिन्हें असर दिखाना है वे भी पिछड़ रहे हैं। इस बीच बीजेपी को उभरने का एक बेहतर मौका है लेकिन ऐसा होता हुआ फिलहाल नहीं दिख रहा है।

क्या आगामी चुनाव में बीजेपी चुनौती पेश कर सकती है?

इस सवाल पर बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं कि ये उपचुनाव के नतीजों में भले ज्यादा बदलाव नहीं दिखाई दे लेन बीजेपी मजबूत जरूर हुई है। महागठबंधन के नए समीकरण के बीच भी गोपालगंज की सीट बचाने में कामयाब रही। 27 साल बाद बीजेपी मोकामा में अपने सिंबल पर कैंडिडेट उतारी थी। वहां भी 60 हजार से ज्यादा वोट लाने में कारगार रही। अब तक बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे बिहार में राजनीति कर रही थी। लेकिन उपचुनाव के परफॉर्मेंस से ये तय है कि बिहार की सियासत में बीजेपी बड़ी चुनौती पेश कर सकती है।

ओवैसी परिस्थितियों के नेता, बिहार में बड़ा फैक्टर नहीं

सीमांचल के बाद पहली बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM सारण क्षेत्र में अपना कैंडिडेट उतारी थी। AIMIM के कैंडिडेट इस चुनाव में 12212 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। उन्होंने यहां के दिग्गज नेता साधु यादव की पत्नी को भी वोट के मामले में पछाड़ दिया। ऐसे में क्या ओवैसी की पार्टी बिहार की सियासत में एक बड़ा फैक्टर बन सकती है। इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं कि ये परिस्थितियों पर निर्भर है। जहां कहीं भी मुस्लिम समाज को बिहार में लगेगा कि बीजेपी के कैंडिडेट को हराने में आरजेडी के उम्मीदवार सक्षम नहीं हैं, वे उन्हें वोट दे देंगे। वे कहते हैं कि कट्‌टरता और पक्षधरता ओवैसी की सिर्फ इसलिए हैं कि मुस्लिम समाज का सियासी नेतृत्व उभर कर नहीं आ पाया है। इसलिए ओवैसी हैं।

लालू परिवार के किनारे के बाद साधु की बिसात लगभग खत्म

जिस साधु यादव की छवि गोपालगंज में विकास पुरुष की है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 40 हजार वोटों के साथ जो दूसरे स्थान पर रहे थे। इस चुनाव में लगभग उनकी सियासत पर ब्रेक लगता हुआ दिख रहा है। इस चुनाव में उनकी पत्नी इंदिरा यादव चुनाव लड़ रहीं थी। 8853 वोटों के साथ वो चौथे स्थान पर रही। राजनीति के जानकार कहते हैं कि अब साधु यादव का अंत हो गया है । ये लोग कहीं नहीं ठहरेंगे। जिस लालू परिवार ने इन्हें पहचान दी थी अब ऐसे निकाल कर फेंक दी है कि ऐसा मालूम पड़ता है कि ये कभी लालू परिवार के साथ थे ही नहीं। लालू का हाथ हंटते ही ये बिहार की राजनीति के लिए लगभग अछूत हो गए हैं।

बीजेपी का दावा लव-कुश और EBC वोट JDU से बीजेपी में ट्रांसफर हुआ

पूर्व उपमुख्यमंत्री, राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दो उपचुनावों के परिणाम से साफ है कि जनता ने सात दलों की महागठबंधन सरकार को नकार दिया और नीतीश कुमार अपना आधार वोट भी नहीं बचा पाए। उन्होंने कहा कि गोपालगंज में बीजेपी अपने आधार वोट को एकजुट रखकर विजयी रही। मोकामा में पार्टी का 63 हजार से ज्यादा वोट पाना बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि जदयू के राजद से फिर हाथ मिलाने के कारण नीतीश कुमार का लव-कुश और अतिपिछड़ा वोट खिसक कर भाजपा के साथ आ गया। वे वोट ट्रांसफर करने की क्षमता खो चुके हैं।

महागठबंधन की एकता भी गोपालगंज में नहीं दिला पाई कामयाबी।

महागठबंधन की एकता भी गोपालगंज में नहीं दिला पाई कामयाबी।

आरजेडी का दावा- हमने बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी की

आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव कहते हैं कि नीतीश कुमार के महागठबंधन में आने के बाद हम मजबूत हुए हैं। बीजेपी के वोट वैंक में सेंधमारी करने में कामयाब रहे हैं। मोकामा और गोपालगंज दोनों जगह बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक हैं। लेकिन मोकामा में महागठबंधन की उम्मीदवार बड़ी मार्जिन से जीती है। इससे स्पष्ट है कि महागठबंधन ने बीजेपी के वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी की है। शक्ति सिंह यादव कहते हैं कि जिस गोपालगंज में हम कभी 40 हजार के मतों से हारे थे वहां हम न्यूनतम मार्जिन से चूके हैं। लेकिन, आगामी आमचुनाव में हमारी जीत तय है।

उपचुनाव के नतीजों से भले बिहार कि राजनीति में फ़ौरी तौर पर कुछ बदलाव होता हुआ नहीं दिख रहा हो, लेकिन इसका असर बिहार के आगामी चुनावों में जरूर दिखेगा। एक तरफ बीजेपी जहाँ अपने खिसकते कोर वोट बैंक को स्थिर करने कि कोशिश करेंगी। तो दूसरी तरफ दलित वोट बैंक कि गोलबंदी के लिए वो चिराग पासवान और मुकेश साहनी जैसे छोटे दलों और नेताओं को अपने साथ जोड़ने का प्रयास करेंगी। चिराग पासवान उपचुनाव में अपनी मंसा पहले ही जता चुके हैं। वहीं महागठबंधन के लिए सभी दलों को साथ लेकर चलना एक चुनौती होगी। इनकी अगली परीक्षा कुढ़नी उपचुनाव में प्रत्याशियों का चयन होगा।

अब जान लीजिए कैंडिडेट को कितने वोट मिले

गोपालगंज

कैंडिडेट पार्टी प्राप्त मत

कुसुम देवी बीजेपी 70032

मोहन प्रसाद गुप्ता आरजेडी 68243

अब्दुल सलाम एआईएमआईएम 12212

इंदिरा यादव बसपा 8853

मोकामा

कैंडिडेट पार्टी प्राप्त मत

नीलम देवी राजद 79646

सोनम देवी बीजेपी 62939

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