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पटना32 मिनट पहले
उप मुख्यमंत्री पर भड़के NMCH सुपरिटेंडेंट
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा औचक निरीक्षण के दौरान व्यवस्था को देखते हुए सुपरिटेंडेंट की सस्पेंशन पर शनिवार को सुपरिटेंडेंट में उपमुख्यमंत्री पर जमकर भड़ास निकाले। सुपरिटेंडेंट ने अपने सस्पेंशन को गलत और सरकार की गैर जिम्मेदाराना मामला बताया है। उन्होंने दवा की कमी को सरकार की जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि यह काम सरकार को उपलब्ध कराना है। शनिवार को नालंदा मेडिकल कॉलेज के सस्पेंड सुपरिटेंडेंट विनोद कुमार सिंह ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सस्पेंशन को ही गैर जिम्मेदाराना ठहराया है।
बताते चलें कि गुरुवार की देर रात बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान उपमुख्यमंत्री ने नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कई कुव्यवस्था के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हुए गलत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। निरीक्षण करके वापस लौटे उपमुख्यमंत्री ने इसके लिए अस्पताल के सुपरिटेंडेंट विनोद कुमार सिंह को गलत ठहराते हुए शुक्रवार को उन्हें सस्पेंड कर दिया था। सस्पेंशन के पत्र प्राप्त होते ही शनिवार को सुपरिटेंडेंट विनोद कुमार सिंह भड़क उठे। उन्होंने सरकार के कार्यों को ही गलत ठहराते हुए कई विभागों पर जमकर अपनी भड़ास निकाला।
दवा की कमी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो दवा अस्पताल में सप्लाई होता है वह उसे पूरी तरह वितरण करते हैं इसके अलावा जिन दवाओं की कमी होती है वह उसकी मांग भी करते हैं लेकिन समय पर दवा नहीं उपलब्ध हो पाता है तो इसके लिए वे जिम्मेदार नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि यहां 700 मरीज प्रतिदिन भर्ती रहता है और साफ सफाई की व्यवस्था भी हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहती है।उन्होंने स्पष्ट किया कि अस्पताल के चारों तरफ जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है और डेंगू की स्थिति भयावह हो चली है जिसके लिए साफ-सफाई करना या कराना उनकी जिम्मेवारी नहीं है। जिस काम में बिहार सरकार सक्षम नहीं हो पाई स्वास्थ्य के मामले में उन कामों का दोष मुझ पर लगा दिया गया।मुझे सस्पेंड किया है वह तरीका सही नहीं है।
कोविड-19 के समय स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को तीन बार जाकर चेंबर में कहा था कि मुझे सुपरिटेंडेंट का पद नहीं चाहिए, फिर भी मुझे यह पद दिया गया।3 बाद मुझे कोविड हुआ उसके बावजूद भी मैं काम करता था और अवार्ड के बदले मुझे सस्पेंशन लेटर मिला है। कोई भी सुपरिटेंडेंट गंदा नाला साफ नही करेगा, मेरी भी कोई इज्जत है। मैं पढ़कर डॉक्टर बना हूं डॉक्टर कभी नाला साफ नहीं करता है। यह दूसरे विभाग का काम है सस्पेंड करना था तो विभाग के अधिकारी को करना चाहिए था।
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