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Dharavi News: मायानगरी मुंबई का जिक्र होते ही मरीन ड्राइव, कोलाबा प्वाइंट, बांद्रा वर्ली सी लिंक दिमाग में घूमने लगते हैं. गगनचुंबी इमारतें, चकाचौंध मुंबई की पहचान भी है. लेकिन एक पहचान और भी है जो सायन और माहिम के बीच है. उस जगह का नाम धारावी है. संकरी गलिया, झुग्गी झोपड़ी, बजबजाती नालियां ये सब धारावी की पहचान है. जिसे स्लम के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो इस झुग्गी झोपड़ी को सजाने संवारने का वादा राज्य सरकारें करती रही हैं लेकिन तस्वीर किसी से छिपी हुई नहीं है. इस संबंध में आरपीजी इंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने एक्स पर खास ट्वीट किया था.
हर्ष गोयनका ने क्या लिखा
हर्ष गोयनका एक्स पर लिखते हैं कि अहमदाबाद के मध्य में शांतिग्राम अर्बन ओएसिस का नायाब उदाहरण है. अब अडानी समूह धारावी को भी नई पहचान देने जा रहा है. हमें यह भरोसा है कि शांतिग्राम की तरह ही धारावी भी हम सबके सामने नायाब टाउनशिप होगा. उनके इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर रिएक्शन भी आए.
Shantigram (a mini township built by Adanis) in the middle of Ahmedabad is an amazing urban oasis.
Now that Adanis are developing Dharavi in Mumbai (incidentally, Adanis own more land in Mumbai than the 10 top builders combined) we are hopeful for a similar beautiful township.— Harsh Goenka (@hvgoenka) December 7, 2023
एक शख्स ने लिखा कि अहमदाबाद के जिस टाउनशिप का आपने जिक्र किया है वो बेहद खुशी देने वाला है, जिस तरह से उस शहर को बसाया गया है वास्तव में रहने के लिए शानदार जगह है. जहां तक धारावी की बात है निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा ड्रीम प्रोजेक्ट है. लेकिन हमें उम्मीद है कि मिस्टर अडानी की टीम शानदार तरीके से इसका विकास करने में कामयाब होगी.
धारावी के बारे में पूरी जानकारी
अंग्रेजों ने इस जगह को 1882 में बसाया था. दरअसल तत्कालीन बंबई में जब निर्माण कार्य चल रहा था को मजदूरों की रिहाइश के लिए इसे बसाया गया. लेकिन आजादी के बाद नौकरी की तलाश में देश के दूसरे हिस्सों से लोग यहां आने लगे और धीरे धीरे झुग्गी बस्ती बनती गई. यहां कितनी आबादी रहती है इसके बारे में स्पष्ट आंकड़ा नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि 10 लाख से अधिक लोग रहते हैं. यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और एशिया की सबसे बड़ी स्लम है. धारावी की जमीन के मालिकाना हक को लेकर संशय की स्थित बनी रही लेकिन बाद में साफ हो गया कि जमीन सरकार की है. हालांकि लोगों ने अपने खर्च पर झुग्गी बस्ती बनाते गए.
2004 से ही इसके पुनर्विकास को लेकर प्लानिंग का काम चलता रहा. लेकिन 2022 में इसे जमीन पर उतारने में कामयाबी मिली. देश के सबसे बड़ा औद्योगिक घराना अडानी समूह इसे विकसित कर रहा है. यह पूरा इलाका करीब 550 एकड़ में फैला है. आबादी 10 लाख से अधिक है ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी घनी बस्ती होगी. एक कमरे में 8 से 12 लोग एक साथ रहते हैं. करीब 80 फीसद से अधिक लोग पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं. पीने के पानी के लिए लंबी लंबी लाइन लगती है.
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