Home Bihar कांग्रेस ने VVPAT को संदेहास्पद कहा: कांग्रेस ने चार पन्नों का फोल्ड जारी किया, सरकार पर पंचायती राज व्यवस्था को ठीक से लागू नहीं करने का आरोप लगाया

कांग्रेस ने VVPAT को संदेहास्पद कहा: कांग्रेस ने चार पन्नों का फोल्ड जारी किया, सरकार पर पंचायती राज व्यवस्था को ठीक से लागू नहीं करने का आरोप लगाया

0
कांग्रेस ने VVPAT को संदेहास्पद कहा: कांग्रेस ने चार पन्नों का फोल्ड जारी किया, सरकार पर पंचायती राज व्यवस्था को ठीक से लागू नहीं करने का आरोप लगाया

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Bihar
  • Congress Calls Use Of VVPAT Suspicious, Four page Fold And Accused The Government Of Not Implementing The Panchayati Raj System Properly.

पटना19 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
बिहार पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए चार पन्नों का फोल्डर तैयार किया है। - Dainik Bhaskar

बिहार पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए चार पन्नों का फोल्डर तैयार किया है।

बिहार में पंचायत चुनाव पार्टी आधार पर नहीं हो रहे हैं, लेकिन बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के रिसर्च विभाग ने बिहार पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए चार पन्नों का फोल्डर तैयार किया है- ‘बिहार पंचायती राज चुनाव- 2021’। इसमें ’16 साल की यात्रा: विकेन्द्रीकरण से तबाही तक ‘ के जरिए कई बातें समझाने की कोशिश की गई है। इसमें कहा गया है कि बिहार पंचायत चुनाव में वीवीपीएटी का उपयोग संदेहास्पद है। चार महत्वपूर्ण पदों पर ईवीएम के माध्यम से मतदान होता है। यह अनुचित है। इस संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। निर्णय की प्रतीक्षा है, जबकि चुनाव सिर पर आ चुका है।

बात शुरू हुई है गांधी जी से- गांधी जी मानते थे कि स्वशासन का सुशासन विकल्प नहीं है। स्वशासन के बिना सुशासन संभव नहीं है। इसमें उस 73वें संविधान संशोधन की चर्चा है, जिसके तहत जिला, मध्यवर्ती और ग्राम स्तर पर पंचायतों के गठन को स्वशासन की संस्थाओं के रुप में अनिवार्य करता है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 2009 से 14 तक वनाधिकार, भूमि अधिग्रहण, हितग्राही मूलक योजना मनरेगा में काम का चयन ग्राम सभा को दिया गया था। आज यह सब वापस लिया गया है।

पार्टी के रिसर्च विभाग के चेयरमैन आनंद माधव कहते हैं कि 16 साल में विकेन्द्रीकरण के नाम पर वर्तमान सरकार ने तबाही को अंजाम दिया है।

महिलाओं को सर्वाधिक आरक्षण देने के बावजूद स्थिति ठीक नहीं
कांग्रेस ने कहा है कि बिहार, पंचायत राज अधिनियम, 1993 को 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के आधार पर पारित किया गया था। इसके बाद राज्य ने बिहार पंचायती राज अध्यादेश, 2006 के दस्तावेज के जरिए बड़े बदलाव किए हैं। यह महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित करते हुए असामान्य रुप से आगे बढ़ गया है, जबकि कई राज्यों में महज 33 प्रतिशत ही आरक्षित है। पार्टी का मानना है कि इस सर्वाधिक प्रतिष्ठित आरक्षण प्रणाली के बावजूद राज्य का प्रदर्शन खराब है। नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य प्रदर्शन सूचकांक में राज्य को सबसे अंतिम स्थान दिया गया है। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं का प्रतिशत एनएफएचएस-4 से बढ़ा है। यह राज्य के खराब स्थानीय शासन की ओर इशारा करता है।

10 रुपए का मास्क 20 में बिक गया, सभी बिल पास हो गए
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बिहार सरकार ने जुलाई 2020 में कोविड प्रबंधन पर 660 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की, जिससे आगे चलकर व्यवस्था के भीतर उच्च स्तर का भ्रष्टाचार और केन्द्रित नियंत्रण देखा गया। पंचायतों को किनारे कर दिया गया था, जबकि यह निकाय किसी भी महामारी से निपटने के लिए मुख्य संस्थाओं में से एक है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि महामारी के समय 10 रुपए का मास्क 20 रुपए में बिक गया और सभी बिल पास हो गए।

निकायों के बीच खराब समन्वय
कांग्रेस ने आरोप लगााया है कि बिहार में 28 शहरी स्थानीय निकायों ने हाल के वर्षों में उपलब्ध धन का 40 प्रतिशत से कम उपयोग किया, इसका मुख्य कारण राज्य सरकार से धन जारी करने में देरी है। राज्य में जिला परिषदों के पास सौंपे गए कार्यों के निवर्हन के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं थे। कांग्रेस ने योजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब का आरोप भी लगाया है।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link