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पटना18 मिनट पहले
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किसी भी वक्त बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के आदेश जारी हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक आनंद मोहन की रिहाई वाली फाइल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास अप्रूवल के लिए पहुंच चुकी है।
इससे पहले उनकी रिहाई को लेकर दो स्तरीय बैठक कर ली गई है। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक सोमवार को हुई थी। इसके बाद गृह अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक के बाद फाइल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेजी गई है।
माना जा रहा है कि किसी भी वक्त रिहाई आदेश जारी हो सकते हैं। पूरे मामले को काफी गुपचुप तरीके से किया जा रहा। मंत्री परिषद से लेकर परिहार नियमावली के संशोधन अधिसूचना को भी गुप्त रखा गया था।
आनंद मोहन की रिहाई को लेकर होने वाले नियमावली संशोधन को भी काफी गुप्त रखा गया। बताया जा रहा कि सरकार की ओर से निर्देश है कि कोई भी अधिकारी इस पर कुछ नहीं बोलेगा।
10 अप्रैल को परिहार नियमावली में किया था संशोधन
उनके जेल से परमानेंट बाहर आने की सबसे बड़ी रुकावट को सरकार की तरफ से खत्म कर दिया गया है। सरकार ने 10 अप्रैल को बड़ा बदलाव किया है। बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन करके उस वाक्यांश को हटा दिया गया है, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था।
कानून के जानकार कहते हैं कि इस संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा, बल्कि यह एक साधारण हत्या मानी जाएगी। इस संशोधन के बाद आनंद मोहन के परिहार की प्रक्रिया अब आसान हो जाएगी, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी।
पहले समझिए आनंद मोहन की रिहाई में क्या बाधा थी
बिहार की रिमिशन (परिहार) की पॉलिसी-1984 में 2002 में दो बड़े बदलाव किए गए थे। बदलाव के तहत 5 कैटेगरी के कैदी को नहीं छोड़ने का प्रावधान शामिल किया गया था। ये ऐसे कैदी होते हैं, जो एक से अधिक मर्डर, डकैती, बलात्कार, आतंकवादी साजिश रचने और सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी होंगे। उनके छोड़ने का निर्णय सरकार लेगी।
आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या की सजा काट रहे हैं। वे इस मामले में 14 साल की सजा काट चुके हैं, लेकिन सरकार के इस प्रावधान की वजह से उनकी रिहाई नहीं हो पा रही थी। ऐसे में नए संशोधन के बाद अब इस कैटेगरी को ही समाप्त कर दिया गया। इसके कारण आनंद मोहन की रिहाई में जो अवरोध था, वह पूरी तरह समाप्त हो गया।
कुछ दिन पहले आनंद मोहन ने कहा था – पॉजिटिव संकेत है
आनंद मोहन पिछले 6 महीने में तीन बार पैरोल पर बाहर आ चुके हैं। कुछ दिन पहले बेटे की सगाई के लिए उन्हें 15 दिन की पैरोल मिली है। जेल से बाहर आने पर उन्होंने रिहाई के सवाल पर कहा था कि सब सरकार के हाथ में है।
मेरे हाथ में कुछ नहीं, लेकिन संकेत पॉजिटिव मिल रहे हैं। इसके बाद अब सरकार का ये फैसला सामने आया है। हालांकि अभी तक सरकार के किसी नेता या अधिकारी की तरफ से इस मामले पर कोई बयान नहीं आया है।
सीएम ने भी दिया था इशारा
अलग-अलग तर्कों का हवाला देकर आनंद मोहन की रिहाई की मांग वर्षों से की जा रही है। पटना के मिलर हाई स्कूल में 23 जनवरी को महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि समारोह का आयोजन हुआ था। इसमें आनंद मोहन के समर्थकों की तरफ से उन्हें रिहा करने की मांग हुई।
तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस संबंध में इशारा किया था। उन्होंने मंच से ही इस बात की घोषणा की कि वह आनंद मोहन की रिहाई के बारे में सोच रहे हैं। काम किया जा रहा है। तब उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन हमारे मित्र रहे हैं। जब वह जेल गए थे, तो उनसे मिलने हम लोग गए थे।
आनंद मोहन की बेटी की शादी और सगाई में सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ बिहार के सभी बड़े नेता शामिल हुए थे।
बेटी की सगाई में घर पर जुटे थे सभी बड़े नेता
उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन छह महीने में तीन बार पैरोल पर बाहर आए हैं। इस दौरान वह बेटी सुरभि आनंद की सगाई और शादी में शामिल हुए। सगाई और शादी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत बिहार के सभी बड़े नेता शामिल हुए थे। इसके बाद से कयास लगाया जाने लगा था कि आनंद मोहन जल्द ही जेल से बाहर निकलेंगे।
1994 में लगा था आरोप, 2007 में हुई थी सजा
5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की भीड़ ने पहले पिटाई, फिर गोली मारकर हत्या कर दी थी। ऐसा आरोप लगा था कि इस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था। साल 2007 में इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी।
आजाद भारत का ये पहला मामला था, जिसमें किसी जनप्रतिनिधि को मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि 2008 में हाईकोर्ट की तरफ से ही इस सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया था।
2012 में इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सजा कम करने की अपील की थी, जो खारिज हो गई थी।
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इसलिए जेल से बाहर नहीं आ पा रहे आनंद मोहन:मुख्यमंत्री के इशारे के बाद 26 जनवरी को निकलना तय था; एक बार फिर टला
पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन 26 जनवरी को भी जेल बाहर नहीं निकले। 23 जनवरी को सीएम नीतीश कुमार के इशारे के बाद ऐसा माना जा रहा था कि 26 जनवरी को वे परिहार पर जेल से बाहर आ जाएंगे। परिवार के साथ उनके समर्थक पूरे दिन इंतजार करते रहे, लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण एक बार फिर से उनका निकलना लटक गया।
14 साल से ज्यादा की सजा पूरी कर लेने के बाद भी आखिर आनंद मोहन के जेल से बाहर निकलने का मामला कहां अटक रहा है? इसे समझने के लिए भास्कर ने पटना हाईकोर्ट में परिहार पर काम करने वाले वकील विजय सिंह से बात की। उनसे समझना चाहा कि आखिर आनंद मोहन का मामला कहां अटक रहा होगा? पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए
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