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कैमूर25 मिनट पहले
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कैमूर में शनिवार रात धूल भरी आंधी चलने के कारण कई स्थानों पर पेड़ और बिजली के खंभे टूट गए। इसके चलते पूरी रात 500 से अधिक गांवों में लोगों को बिजली की किल्लत से जूझना पड़ा। 200 से अधिक गांवों में रविवार को दिन में भी लोगों को बिजली सप्लाई नहीं मिल सकी। शाम 5:00 बजे तक ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति बहाल नहीं हो पाई। वहीं शहरी इलाकों में 20 घंटे बाद बिजली आपूर्ति बहाल हो गई।
शनिवार की रात करीब नौ बजे जिले में धूल भरी आंधी चलने से जिले भर में बिजली का संकट खड़ा हो गया। हालात यह रहे कि सैकड़ों स्थानों पर पेड़ टूटकर बिजली की लाइन पर गिर गए, इसके चलते बिजली के खंभे टूट गए। ग्रामीण क्षेत्र में बिजली सप्लाई ठप हो गई है। रात में हल्की बूंदाबांदी होने के कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिली। गौरतलब है कि बिजली आपूर्ति बाधित होने की वजह से नल जल योजना पूरी तरह से रविवार शनिवार की रात 9:00 बजे से ही बंद है। बिजली संकट सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आधारभूत संरचना शहरों के मुकम्मल नहीं है।
जिले के बहुतेरे गांव में तेज आंधी की वजह से बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए। आरर्वेस्टर के परखच्चे उड़ गए। इस बीच लोगों को भीषण गर्मी से राहत जरूर मिली है। शुक्रवार को जिले का अधिकतम तापमान 43 डिग्री और न्यूनतम 35 डिग्री था लेकिन शनिवार की रात हुई बारिश की वजह से जिले का अधिकतम तापमान 37 डिग्री दर्ज हुआ है लिहाजा लोगों को तपिश और उमस भरी गर्मी से राहत मिली है। भले ही ग्रामीण इलाकों में पेयजल की समस्या गहरा गई है। बिजली विभाग के कर्मचारी रविवार की सुबह से ही बिजली के आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं।
तेज आंधी और बारिश की वजह से किसानों को भी नुकसान पहुंचा है। वैसे किसान जो खेतों में सब्जी की फसल लगाए थे उन फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। आपको बता दें कि पूरे बिहार में बिजली के क्षेत्र में कैमूर सबसे समृद्ध जिला है। इस छोटे से जिले में सात ग्रिड है जिसमें एक सुपर पावर ग्रिड भी बना है। इसके बावजूद साल की पहली आंधी में ही बिजली व्यवस्था चरमरा गई है। वही किसी किसी गांव में पक्के मकान की दीवार भी दरक गई है। वैसे इस आंधी में कहीं से भी मौत की खबरें नहीं है।
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