Home Bihar कैमूर में फिर सरकार के खिलाफ भड़के सुधाकर सिंह: बोले- नीतीश कुमार के साथ कुर्सी से चिपकने वाले लोगों की हमें चिंता नहीं

कैमूर में फिर सरकार के खिलाफ भड़के सुधाकर सिंह: बोले- नीतीश कुमार के साथ कुर्सी से चिपकने वाले लोगों की हमें चिंता नहीं

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कैमूर में फिर सरकार के खिलाफ भड़के सुधाकर सिंह: बोले- नीतीश कुमार के साथ कुर्सी से चिपकने वाले लोगों की हमें चिंता नहीं

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कैमूर10 मिनट पहले

कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद से लगातार पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह सरकार की नाकामियों को गिना रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा कि सत्ता में या विपक्ष में रहते हुए सरकार की नाकामियों के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार संविधान ने हमें दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सीएम नीतीश कुमार के साथ कुर्सी से चिपकने वालों की चिंता उन्हें नहीं है।

किसानों को लाभ नहीं होता

पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह कैमूर के दुर्गावती में अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। किसानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार का किसान सरकार से रेवाड़ी की अपेक्षा नहीं करता, लाभकारी मूल्य चाहता है। वह इसलिए कि अगर कोई किसान अपनी खेती में ₹100 लगाता है तो सरकार महज ₹3 की मदद करती है। खेती किसानों के स्वाभिमान से जुड़ा हुआ होता है। इसलिए वह खेती करता है।

घट गया उत्पादन

बिहार में कृषि रोडमैप के जरिए ₹300000 खर्च कर दिए गए वह ₹300000 किसी व्यक्ति विशेष का नहीं था। इस प्रदेश की जनता के द्वारा दिया हुआ टैक्स था। लेकिन ₹300000 खर्च होने के बाद किसानों की आमदनी दुगनी नहीं हुई। बल्कि 10 सालों के भीतर एक लाख मैट्रिक टन उत्पादन घट गया।

खाद्यान्न सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। 45 दिनों तक कृषि मंत्री रहा लेकिन उर्वरक का किल्लत नहीं होने दिया। किसानों को प्रति बोरी 20 ₹25 अतिरिक्त देना पड़ा वह भी केंद्र सरकार की नाकामियों की वजह से। नहीं तो पिछले साल रवि की फसल की बुवाई के वक्त घर की बहू बेटियां फ़र्टिलाइज़र की दुकान पर लाइन में खड़ी होती थी और शाम में खाली हाथ घर वापस आती थी। मैंने तो कृषि रोड मैप पर खर्च हुए ₹300000 की जांच कराने की बात कही थी।

2025 तक विधायक रहूंगा

सुधाकर सिंह ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि खेती किसानी के सवाल पर जहां भी हो बहस कर ले मैं तैयार हूं। मंत्री भले ही नहीं रहा। लेकिन 2025 तक मैं राजद का विधायक हूं। इस दौरान किसानों के सवालों को लेकर संघर्ष करता रहूंगा। मेरी आवाज न सदन में बंद होगी ना ही सड़क पर। हम संघर्षों के साथी हैं। विषम परिस्थिति में जनता ने मुझे विधानसभा में भेजा है। मेरा उत्तरदायित्व जनता के प्रति है।

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