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कोरोना से लड़ाई में बच्चे मजबूत: AIIMS के वैक्सीनेशन ट्रायल में हुआ खुलासा; कोरोना की हिस्ट्री नहीं फिर भी 20% बच्चों में एंटीबॉडी

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कोरोना से लड़ाई में बच्चे मजबूत: AIIMS के वैक्सीनेशन ट्रायल में हुआ खुलासा; कोरोना की हिस्ट्री नहीं फिर भी 20% बच्चों में एंटीबॉडी

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पटना43 मिनट पहले

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  • एंटीबॉडी तैयार होने से कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर नहीं होगा असर

कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के खतरे की आशंका के बीच पटना AIIMS में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वैक्सीन ट्रायल के दौरान 20% बच्चे ऐसे पाए गए हैं, जिनके अंदर एंटीबॉडी पहले से तैयार है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन बच्चों की कोरोना की कोई हिस्ट्री भी नहीं रही है। अगर बच्चों में एंटीबॉडी का आंकड़ा यही रहा तो तीसरी लहर में कोरोना का खतरा इतना नहीं होगा जितनी संभावना जताई जा रही है। पटना AIIMS में ऐसे बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल भी नहीं किया गया है, जिनके अंदर एंटीबॉडी तैयार है।

तीसरी लहर के खतरे को लेकर बच्चों पर ट्रायल
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के खतरे को देखते हुए ICMR ने वैक्सीन का ट्रायल बच्चों पर करने के लिए मंजूरी दी है। इसके बाद कोवैक्सीन देश के 8 सेंटरों पर बच्चों पर ट्रायल करा रहा है। पटना AIIMS में भी इसी कड़ी में ट्रायल किया जा रहा है। पटना AIIMS के वैक्सीन के ट्रायल की निगरानी करने वाले डॉक्टर CM सिंह का कहना है कि अब तक फर्स्ट फेज में 12 से 18 वर्ष के 27 बच्चों का ट्रायल किया जा चुका है।

वैक्सीन के ट्रायल में बच्चों में मिली एंटीबॉडी
पटना AIIMS के डीन डॉ उमेश भदानी का कहना है कि देश में बच्चों वाली वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है। बच्चों में वैक्सीन का ट्रायल करने के पहले बच्चों की जांच की जाती है। इसमें RT-PCR के साथ खून की जांच की जाती है। ट्रायल के पहले फेज में 12 से 18 वर्ष तक के बच्चों का ट्रायल किया गया। इसमें आए बच्चों की जब कोरोना जांच की गई तो वह निगेटिव आई, लेकिन एंटीबॉडी पाई गई। डीन डॉ उमेश भदानी का कहना है कि वैक्सीन के ट्रायल के पहले हुई खून की जांच में 20 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई।

जिनमें एंटीबॉडी मिली, उन्हें पता भी नहीं कब हुआ कोरोना
पटना AIIMS के डीन डॉ उमेश भदानी का कहना है कि जिन बच्चों में एंटीबॉडी मिली है, उनकी कोरोना की कोई हिस्ट्री नहीं है। घर में भी कोरोना की कोई हिस्ट्री नहीं है, क्योंकि वैक्सीन का ट्रायल करने के पहले संबंधित बच्चे और पेरेंट्स की हिस्ट्री खंगाली जाती है। किसी भी बच्चे में कोरोना का कोई इतिहास नहीं मिला है। बच्चों को कोरोना कब हुआ और कब ठीक हो गया, उन्हें भी नहीं पता चला और परिवार को भी इसकी जानकारी नहीं हुई।

क्या है एंटीबॉडी
नालंदा मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ संजय कुमार का कहना है कि वायरस के अटैक को रोकने के लिए शरीर में तैयार हुई प्रतिरोधक क्षमता ही एंटीबॉडी है। डॉ संजय बताते हें कि एंटीबॉडी तब बनती है जब वायरस शरीर में जाता है। ऐसी स्थिति में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ती है, उसे मारती है। इस दौरान प्रतिरोधक क्षमता दो तरह से लड़ती है। एक सेल्युलर इम्यूनिटी और एक ह्यूमोरल इम्युनिटी। हयूमरल जब लड़ती है तो एंटीबॉडी बनती है। इस दौरान अन्य तरह की प्रतिरोधक क्षमता भी तैयार होती है, जो डिफरेंट तरह की होती हैं। इसके बाद अगली बार जब वह वायरस अटैक करेगा तो एंटीबॉडी और अन्य सेल्युलर इम्युनिटी वायरस से शरीर को बचाती है। डॉ संजय का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार है तो वह उस वायरस के अटैक से शरीर को पूरी तरह सुरक्षित रखने का काम करेगा।

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