Home Bihar गया में इस बार पिंडदानियों की भीड़: 12 लाख से अधिक पिंडदानियों ने गया जी में किया पिंडदान, 6 करोड़ का हुआ कारोबार

गया में इस बार पिंडदानियों की भीड़: 12 लाख से अधिक पिंडदानियों ने गया जी में किया पिंडदान, 6 करोड़ का हुआ कारोबार

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गया में इस बार पिंडदानियों की भीड़: 12 लाख से अधिक पिंडदानियों ने गया जी में किया पिंडदान, 6 करोड़ का हुआ कारोबार

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गया32 मिनट पहले

बीते पंद्रह 17 दिनों से चल रहे पितृपक्ष मेला में 12 लाख से अधिक पिंडदानियों ने पिंडदान, तर्पण किया। पहले चार से पांच दिनों तक जबर्दस्त भीड़ रही। बीच में भीड़ का फ्लो थोड़ा कम हुआ लेकिन भीड़ अचानक से बढ़ने लगी। प्रतिदिन औसतन डेढ़ लाख देश-विदेश से पिंडदान करने के लिए लोग आए। रविवार को अमावस्या को स्थानीय लोगों की भी भीड़ उमड़ी।

हालांकि 12 लाख का आंकड़ा कोई औथेंटिक नहीं है। लेकिन डीएम डॉ त्यागराजन का कहना है कि उन्हें पंडा समाज से मिली जानकारी के आधार पिंडदानियों का आंकड़ा इस बार 12 लाख से अधिक पहुंच गया है। वर्ष 2018 में 8 लोग आए थे। डीएम डॉ त्यागराजन और एसएसपी हरप्रीत कौर ने दावा किया गया जी में जो भी पिंडदानी वे बेहद खुश होकर और गया जी के प्रति बेहतर छवि मन मस्तिष्क में लेकर गए हैं।

पितृपक्ष मेला में खूब मिला शहर को कारोबार

पितृपक्ष मेला में लाखों की संख्या में आए पिंडदानियों की वजह से शहर का कारोबार खूब फला-फूला। होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा, यातायात संसाधन, फल-फूल, मिठाई, बर्तन, पूजा-सामग्री की खूब बिक्री हुई। साथ ही कर्मकांड कराने वाले ब्राह्मण और पंडा समाज को भी खूब दान मिले। सेंट्रल चैंबर ऑफ कॉर्मस के पूर्व अध्यक्ष कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि एक पिंडदानी आता हैं तो कम से कम 5 हजार रुपये खर्च कर जाता ही है।

यह खर्च न्यूनतम है। वह भी उसके लिए जो महज एक दिन का पिंडदान करने को गया जी आता है। इस 5 हजार में रहने-खाने, पूजा सामग्री, दान दक्षिणा फल-फूल सभी शामिल हैं। इस हिसाब 12 लाख मल्टीप्लाई बाई 5000 यानी 6 करोड़ का कारोबार इस बार गया और बोधगया को मिला है।

वहीं, विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभु लाल बिठ्‌ठल का कहना है कि निश्चित तौर पर बीते वर्षों की अपेक्षा इस बार बड़ी संख्या में पिंडदानी आए। पिंडदानी जब आते हैं तो मंदिर से जुड़े हर एक व्यवसायी और व्यापारिक वर्ग को लाभ होता ही है। क्यों कि लोग बाहर से आते हैं तो उन्हें रहने से लेकर खाने यातायात और दान दक्षिणा में खर्च होते हैं। सभी लोग अपनी हैसियत और श्रद्धा के तहत ही खर्च करते हैं। कोई 500 भी देता है तो कोई लाखों रुपये दे जाता है। ऐसे में यह कहना बड़ा कठिन है कि कुल कारेाबार कितने का हुआ है।

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