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- On The Second Day Of The 7th International Theater Festival, Artists From Jharkhand Performed Krishna Leela.
पटना22 मिनट पहले
प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित सांस्कृतिक संस्था इमेजिनेशन के सातवें अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव परवाज 2023 के दूसरे दिन प्रवीण सांस्कृतिक मंच के कलाकारों ने नाटक गुंडा में अपने अभिनय से शमा बांधा। इसके साथ ही झारखंड से आए बनफूल संस्था के कलाकारों ने कृष्ण लीला पर आधारित शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया।
बिजयेन्द्र कुमार टांक द्वारा निर्देशित नाटक गुण्डा, जयशंकर प्रसाद की कालजयी रचनाओं में से एक है। गुण्डा अठारहवीं सदी की काशी के अंतिम भाग की पृष्ठभूमि में रचा-बसा यह सम्पूर्ण कथ्य उस पचास वर्षीय बलिष्ठ-दृढ नागपुरी धोती लपेटे, बिछुआ और गड़ासा लिए एक ऐसे गुण्डे की कहानी कहता है जिसके लिए त्याग, समर्पण, बलिदान ही सर्वोपरि था।
बाबू नन्हकू सिंह जिसने अपनी दौलत गरीबों, बैक्सों एवं मजबूरों पर लुटाई, कितनी ही लड़कियों की शादी करायी तो कितनी विधवाओं के तन ढाँपे। उसी बाबू नन्हकू सिंह को लोग गुण्डा कहते हैं, जिसे स्वाँग खेलना भी काफी प्रिय था। सन् 1781 में काशी डवांडोल होने लगी थी, काशी नरेश चेत सिंह अपनी माता पन्ना के साथ कैद कर लिए जाते है। अन्ततः काशी का गुण्डा बाबू नन्हकू सिंह अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लेने निकल पड़ता है। काशी का गुण्डा जिसके लिये समर्पण, त्याग, प्रेम, वीरता, दया, करुणा जैसे अनेकों शब्द मानों अर्थहीन प्रतीत होने लगते हैं।
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