Home Bihar चौतरफा घिरे झाजी: बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा का हटना तय; हार के बाद याद आई सोशल इंजीनियरिंग

चौतरफा घिरे झाजी: बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा का हटना तय; हार के बाद याद आई सोशल इंजीनियरिंग

0
चौतरफा घिरे झाजी: बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा का हटना तय; हार के बाद याद आई सोशल इंजीनियरिंग

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Bihar
  • Bihar Congress Chief Madan Mohan Jha To Be Replaced Soon After Very Poor Performance In Bihar Election 2020

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

पटना2 घंटे पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद

  • कॉपी लिंक

बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब परफॉर्मेंस पर चौतरफा घिरे हैं प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा।

  • सदाकत आश्रम में गूंज रहा ‘कांग्रेस बचाओ, दलाल भगाओ’ का नारा
  • 56 सामान्य सीटों में से 33 पर दिया था अगड़ी जात वालों को टिकट

कांग्रेस के सामाजिक समीकरण का फार्मूला धूल में मिल गया और नतीजतन बिहार में फूल खिल गया। भाजपा बढ़ती जा रही है और कांग्रेस बिहार में 70 सीटों पर लड़कर भी सिर्फ 19 पर जीत हासिल कर पाई। कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में जो कुछ किया उस पर पार्टी के अंदर ही चौतरफा सवाल उठ रहे हैं। सदाकत आश्रम में ‘कांग्रेस बचाओ, दलाल भगाओ’ का नारा गूंज रहा है।

बड़े नेताओं पर लग रहे आरोप

कांग्रेस के चुनाव प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, कैंपेनिंग कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश सिंह, वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा पर आरोप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने बिहार कांग्रेस विधायक दल का नेता अजीत शर्मा को बना दिया। वे भूमिहार जाति से आते हैं। प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ब्राह्मण हैं। कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह राजपूत जाति से हैं। इन्हें एमएलसी भी बनाया गया। कैंपेनिंग कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश सिंह भूमिहार जाति से हैं। पार्टी उन्हें राज्यसभा भेज चुकी है। अगड़ी जाति पर कांग्रेस की मेहरबानी इतनी कि प्रेमचंद मिश्रा को भी एमएलसी बना चुकी है।

सामान्य 56 सीटों में से 33 अगड़ी जात वालों को मिला था टिकट

अब बिहार चुनाव की बात करें तो 11 भूमिहार, 9 राजपूत, 9 ब्राह्मण और 4 कायस्थ को टिकट दिया गया था। दूसरी तरफ एक टिकट अति पिछड़ी जाति (कानू) से हरनौत में कुंदन गुप्ता को दिया। कांग्रेस ने कुल 70 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसमें 14 सीट रिजर्व थे। अनुसूचित जाति से 13 और अनुसूचित जनजाति से एक सीट थी। यानी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को छोड़ दें तो बची 56 सीटें। इन 56 सीटों में 33 अगड़ी जाति को टिकट दिए गए। यह सब तब किया गया जब यह जगजाहिर था कि अगड़ी जाति का रुझान भाजपा की ओर है।

अब जब चारों तरफ से पार्टी के अंदर ही टिकट बंटवारे में सामाजिक समीकरणों की अनदेखी और लेन-देन के आरोप लग रहे हैं तो पहली तलवार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर लटकी हुई है। भूमिहार जाति के अजीत शर्मा को विधायक दल का नेता बनाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का हटना तय माना जा रहा है।

क्या कहते हैं अन्य नेता

कांग्रेस के कस्बा विधायक इफाक आलम कहते हैं कि टिकट बंटवारे में कुछ तो गलती हुई ही है। इसकी जिम्मेवारी अध्यक्ष सहित सभी को लेनी चाहिए, उम्मीदवार को भी। जमालपुर से कांग्रेस विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह कहते हैं कि मैं तो चुनाव जीत गया, इसलिए मैं कैसे बता सकता हूं कि चयन ठीक नहीं रहा।

[ad_2]

Source link