Home Bihar जब तक तोड़ेंगे नहीं…तब तक छोड़ेंगे नहीं: नीतीश कुमार से बगावत करना चिराग को पड़ा महंगा, विधानसभा से लेकर लोकसभा तक LJP को तोड़ा

जब तक तोड़ेंगे नहीं…तब तक छोड़ेंगे नहीं: नीतीश कुमार से बगावत करना चिराग को पड़ा महंगा, विधानसभा से लेकर लोकसभा तक LJP को तोड़ा

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जब तक तोड़ेंगे नहीं…तब तक छोड़ेंगे नहीं: नीतीश कुमार से बगावत करना चिराग को पड़ा महंगा, विधानसभा से लेकर लोकसभा तक LJP को तोड़ा

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पटना9 मिनट पहलेलेखक: बृजम पांडेय

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सीएम नीतीश कुमार ने चिराग पासवान से लिया सियासी बदला। - Dainik Bhaskar

सीएम नीतीश कुमार ने चिराग पासवान से लिया सियासी बदला।

माउंटेन मैन मांझी फिल्म में एक डायलॉग है, जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं… इसी फार्मूले के साथ बिहार के CM नीतीश कुमार ने LJP को तोड़ने का प्लान बनाया। उन्होंने ऑपरेशन LJP क्लीन चलाया। इसके लिए चरणबद्ध तरीके से LJP की कमजोर कड़ी से लेकर मजबूत कड़ी तक को तोड़ दिया। बात विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुई थी। बिहार में NDA एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा थी। लेकिन LJP के नए नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने चिराग पासवान ने दूसरा रास्ता अख्तियार कर लिया था।

वह BJP के साथ तो थे, लेकिन नीतीश कुमार की खिलाफत कर रहे थे। ऐसे में जब NDA का सीट बंटवारा हो रहा था तो उसमें LJP ने ऐसी मांग रख दी कि जिसे पूरा करना NDA के लिए मुमकिन नहीं था। फिर NDA के दोनों घटक दल मिलकर आपस में सीटों का बंटवारा कर लिए, जिसमे HAM और VIP भी शामिल हो गए। चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जमकर खिलाफत किया। यहां तक कि नीतीश कुमार को जेल भेजने तक की बात कह दी। इन सभी बातों को लेकर नीतीश कुमार का गुस्सा सातवें आसमान पर था। लेकिन, इसे राजनैतिक मजबूरी कहें या फिर वक्त का इंतजार, नीतीश कुमार ने LJP को तहस-नहस कर दिया।

JDU को हराने में चिराग का हाथ

विधानसभा चुनाव में LJP ने अपने 135 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। चिराग पासवान ने चुन-चुन कर उन जगहों पर उम्मीदवार उतारे, जहां JDU के कैंडिडेट मजबूत स्थिति में थे। ऐसे हालात में जब चुनाव का परिणाम आया तो JDU महज 43 सीटों पर सिमट गई। नीतीश कुमार का गुस्सा और सातवें आसमान पर जा पहुंचा। JDU बिहार विधान सभा में तीसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई। हालांकि BJP, JDU, HAM और VIP को मिलाकर NDA बहुमत में आ गया और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए। तब JDU ने साफ तौर पर यह कहा कि उनके 36 उम्मदीवार सिर्फ LJP की वजह से हारे हैं। हालांकि, इस चुनाव में चिराग पासवान कोई चमत्कारिक बढ़त हासिल नहीं की। महज एक सीट पर ही चिराग पासवान की LJP सिमट कर रह गई।

नीतीश कुमार ने बनाई ऐसी रणनीति

इसके बाद नीतीश कुमार ने ऑपरेशन LJP क्लीन की शुरुआत कर दी। CM नीतीश कुमार चुनाव के कुछ ही दिन बाद बीजेपी के एकमात्र विधायक राजकुमार को अपने साथ मिला लिया था। बिहार विधानसभा में LJP के नाम पर एकमात्र विधायक ने पूरी पार्टी का विलय JDU के साथ कर दिया। इसके बाद कोरोना महामारी में यह ऑपरेशन रुक गया था। लेकिन जैसे ही बिहार का लॉकडाउन खुला, ऑपरेशन LJP क्लीन अपनी अपने चरम पर पहुंच गया। सांसद ललन सिंह ने LJP के सबसे मजबूत कड़ी पशुपति पारस हो अपने साथ मिलाया। उसके बाद विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने महबूब अली कैसर सहित दूसरे नेताओं से संपर्क साधा और अपने पक्ष में किया। LJP से JDU में आए कद्दावर नेता ने चिराग के भाई प्रिंस के बीच दरार डाली और LJP के पांचों सांसद बगावती हो गए। अब चिराग पासवान के अलावा उनके कुनबे में कोई भी संसदीय व्यक्ति नहीं रहा। आपको बताते चलें की LJP की एकमात्र MLC सुशांत सिंह राजपूत की भाभी और मंत्री नीरज सिंह बबलू की पत्नी नूतन सिंह ने पहले ही BJP का दामन थाम लिया था।

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