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पटना27 मिनट पहले
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जेडीयू ऑफिस में प्रेस कांफ्रेस करते मंजीत कुमार, राहुल शर्मा, नीरज कुमार, हिमराज राम और अंजुम आरा ।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ताओं पूर्व मंत्री विधान पार्षद नीरज कुमार, पूर्व विधायक मंजीत कुमार सिंह, पूर्व विधायक राहुल शर्मा, हिमराज राम और श्रीमती अंजुम आरा ने रविवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में अमित शाह के दौरे के नाम पर किये गये फर्जीवाड़ा पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कई सवाल पूछेl नेताओं ने कहा कि तयशुदा कार्यक्रम में भाजपा कार्यालय नहीं जाना भाजपा का अंदरूनी मामला है लेकिन अमित शाह ने बिहार भाजपा के किन नेताओं का बंद कमरे में भाषाई अपमान किया इसे सार्वजनिक करें l प्रवक्ताओं ने कहा कि अमित शाह की कार्य संस्कृति ही अपमान करने वाली है पर उन्होंने एक पिछड़ा मुख्यमंत्री से बात नहीं कर कानून व्यवस्था पर सीधे राज्यपाल से बात कर संघीय ढ़ांचे का अपमान कियाl
पिछड़ा मुख्यमंत्रियों का अपमान नहीं तो क्या?
नेताओं ने कहा कि इसी प्रकार बंगाल में महिला मुख्यमंत्री से बात नहीं कर सीधे राज्यपाल से बात करना महिला और पिछड़ा मुख्यमंत्रियों का अपमान नहीं तो और क्या है? बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीबाबू की जन्म स्थली पर जाकर भी उनको नमन करने नहीं जाना उनका अपमान क्यों किया?
इस तरह ऋण वापसी का बोझ महिलाओं पर पड़ गया
प्रवक्ताओं ने कहा कि खनवा ग्राम में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 2016 में लखनऊ की एक गैरसरकारी संस्था हरित खादी ग्रामोद्योग संस्थान द्वारा सौर चरखा केंद्र स्थापित किया गयाl स्थापना के अवसर पर NGO प्रमुख विजय पाण्डेय ने कहा था कि ऐसे किसी केंद्र को चलाने का मुझे अनुभव नहीं लेकिन केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के कहने पर कर रहे हैंl राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना की शुरुआत 2018 में की गयी और 2018- 19, 2019- 20 के लिए 550 करोड़ बजटीय प्रावधान किया गया, जिसे 2020 तक चलाना थाl देश में 550 करोड़ व्यय कर 50 सौर चरखा केंद्र खोलने का फैसला लिया गया थाl पायलट प्रोजेक्ट के तहत खनवा में चल रहे केंद्र से 1180 महिलाओं ने चरखा लियाl इनमें से 500 लोगों को स्थानीय बैंक की शाखा से ऋण दिए गएl 2016 में शुरू सौर चरखा केंद्र खनवा में मई 2019 में अचानक ताला लटक गया और गरीब महिलाओं के लिए ऋण से लिए गए चरखा शोभा की वस्तु बन गए, साथ ही ऋण वापसी का बोझ भी उन गरीबों पर पड़ गयाl यही नहीं सौर चरखा केंद्र बंद होने के पूर्व का भी कई महिलाओं एवं कर्मियों का तीन माह का भुगतान हरित खादी ग्रामोद्योग संस्थान ने नहीं कियाl
कई परिवार को बैंक में आर्थिक गिरवी रखवा दिया
कहा कि कई महादलित और पिछडे वर्ग से आने वाली महिलाओं के खाते में आई शौचालय, विधवा पेंशन आदि की राशि भी बैंक ने ऋण के एवज में काट लियाl आशीष राजवंशी की पत्नी मनोरमा देवी, मिथलेश राजवंशी व रामअवतार राजवंशी की पत्नी, भेला राजवंशी की पत्नी और बहु, सुनील राजवंशी की पत्नी, शंकर महतो की पत्नी, प्रदीप यादव की पत्नी, कारू राजवंशी की पत्नी, राजो जर की पत्नी, मीणा देवी पति सुबोध सिंह, संगीता देवी पति मुकेश सिंह, प्रियंका कुमारी पति उज्जवल कुमार, अभिराम शर्मा की पत्नी, रेणु देवी पति अरुण सिंह, संगीता देवी पति अनिल सिंह आदि कई परिवार को बैंक में आर्थिक गिरवी रखवा दिया गयाl
सौर चरखा केंद्र के संचालक के साथ भाजपा नेता का क्या संबंध है?
प्रवक्ताओं ने सवाल किया कि हिसुआ के खनवा में लखनऊ की एक गैरसरकारी संस्था द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के नाम पर किसकी अनुमति से हरित खादी ग्रामोद्योग संस्थान ने सौर चरखा केंद्र स्थापित किया? 2019 में अगर MSME मंत्रालय के अंतर्गत 550 करोड़ परिव्यय कर 50 सौर चरखा केंद्र खोला गया तो फिर 2019 में ही खनवा का पायलट प्रोजेक्ट बंद क्यों किया गया? इसमें सब्सिडी की राशि भी थी क्या और अगर थी तो सब्सिडी की राशि किसको मिली उसकी सूची सार्वजनिक की जाएl पायलट प्रोजेक्ट और 50 सौर चरखा केंद्र में सौर चरखा लेने वालों लाभुकों की सूची जारी की जाएl केंद्र सरकार बताए कि यह प्रोजेक्ट किसके आदेश से शुरू हुआ और जब पायलट प्रोजेक्ट ही बंद कर दिया गया तो क्यों नहीं माना जाए कि सभी केंद्र ने लोगों को आर्थिक रूप से बंधक बना दिया और NGO की मिली भगत से पूरी राशि का घपला किया गया? क्या सभी कार्य एक ही NGO को दिए गए? NGO के संचालक विजय पाण्डेय का भाजपा नेताओं से क्या संबंध है? महादलित, पिछड़ा, सामान्य समुदाय की महिलाओं को बैंक का आर्थिक बंधन बनाने का कौन गुनहगार है? सौर चरखा केंद्र के संचालक के साथ भाजपा नेता का क्या संबंध है, उनकी इसमें क्या भूमिका है, पूरे मामले की जांच होl
केन्द्रीय जल आयोग ने यह अनुमति नहीं दी!
प्रवक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2006 में भारत सरकार ने 22400 करोड़ की लागत से बिहार के नवादा जिले के रजौली में 1340 मेगावाट क्षमता वाली परमाणु बिजली सयंत्र लगाने की योजना बनाई। इस योजना में चार यूनिट से लगभग 2800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होताl वर्ष 2007 में केंद्रीय टीम ने रजौली का दौरा कर भूमि का निरीक्षण किया। 2013 में केंद्रीय टीम ने एक बार फिर रजौली का दौरा कर क्षेत्र में परमाणु संयंत्र चलाने के लिए जरूरी पानी की कमी को कारण बताकर अयोग्य बताया। बिहार सरकार ने त्वरित कार्यवाही करते हुए रजौली के पास ही फुलवारिया डेम से परमाणु बिजली संयंत्र चलाने के लिए जरूरी पानी उपलब्ध कराने तथा पानी की कमी पड़ने पर स्थानीय नदी और गंगा नदी से भी पानी की उपलब्धता का वादा किया। जल संसाधन विभाग ने भी केंद्र सरकार को रजौली परमाणु संयंत्र के लिए प्रति घंटे 12,785 क्यूबिक मीटर पानी आपूर्ति करवाने का वायदा किया, जबकि सयंत्र के लिए आवश्यक 1275 हेक्टेयर ज़मीन बिहार सरकार ने पहले ही अधिसूचित कर चुकी थी। पानी आपूर्ति के लिए सयंत्र केंद्र तक पाइपलाइन भी बिछाना प्रारम्भ कर दिया गया, लेकिन केंद्रीय जल आयोग ने यह अनुमति आज तक नहीं दिया है।
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