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- Patna High Court Validates The Eligibility Of The Niyojit Teachers Participated In The Written Examination Taken In 2018 For Lecturer
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पटनाएक घंटा पहले
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- 60 दिनों के अंदर परीक्षा के परिणाम को प्रकाशित करने का आदेश
- प्रधान सचिव का नियोजित शिक्षकों को बाहर करने का आदेश निरस्त
पटना उच्च न्यायालय ने याचिका का निष्पादन करते हुए 60 दिनों में रिजल्ट प्रकाशित करने का दिया आदेश
बिहार के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अहर्ताधारी नियोजित शिक्षक भी अब बिहार के सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज (डायट/PTEC /बाइट ) में व्याख्याता (लेक्चरर ) बनेंगे। पटना उच्च न्यायालय में दायर याचिका CWJC 22700/2018 (अजय कुमार तिवारी व अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य) का निष्पादन करते हुए जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने बुधवार को यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने बिहार शिक्षा सेवा संवर्ग नियमावली -2014 और विज्ञापन संख्या- 06 /2016 के अनुरूप नियोजित शिक्षकों को इस पद पर नियुक्ति हेतु वैध ठहराते हुए अपनी दलील पेश की, जिससे कोर्ट भी सहमत हुआ।
वर्ष 2016 में सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में व्याख्याता (लेक्चरर्स) की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ हुई तथा शिक्षा विभाग की अधियाचना पर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के लिए विज्ञापन संख्या- 06 /2016 प्रकाशित हुआ। इसके लिए बिहार सरकार के विद्यालयों में न्यूनतम 3 वर्षों से कार्यरत शिक्षकों से आवेदन मांगा गया। विज्ञापन एवं प्राप्त आवेदनों के आधार पर आयोग द्वारा लगभग दो वर्षों बाद 2018 में लिखित परीक्षा भी ली गई। मगर लिखित परीक्षा के बाद शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने आयोग को पत्र लिखकर नियोजित शिक्षकों को बाहर करते हुए परीक्षा का परिणाम घोषित करने को कहा ।
शिक्षा विभाग के इस पत्र को अजय कुमार तिवारी व अन्य ने अधिवक्ता विपिन कुमार व वरीय अधिवक्ता पीके शाही के माध्यम से पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने प्रधान सचिव के उस पत्र को निरस्त करते हुए नियोजित शिक्षकों की पात्रता को वैध ठहराया और 60 दिनों के अंदर परीक्षा के परिणाम को प्रकाशित करने का आदेश दिया ।
उल्लेखनीय यह है कि बिहार में 66 सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं। नई शिक्षा नीति-1986 के लागू होने के साथ ही 1986 में डायट (जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान ) अस्तित्व में आया। 90 के दशक से लगभग सभी संस्थानों पर ताला लटका था। शिक्षा के अधिकार अधिनियम- 2009 के अस्तित्व में आने के साथ ही शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण को अनिवार्य बना दिया गया। इसलिए बिहार सरकार ने 2012 में बिहार के सभी बंद पड़े शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को खोला और इन्हीं संस्थानों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
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