Home Bihar ट्रांसप्लांट के बाद लालू के अंदर तीन किडनी हो जाएगी: एक्सपर्ट डॉ. पंकज हंस बोले- ट्रांसप्लांट के बाद इम्यूनोसेप्रेसिव ड्रग से रोगरोधी क्षमता घटेगी

ट्रांसप्लांट के बाद लालू के अंदर तीन किडनी हो जाएगी: एक्सपर्ट डॉ. पंकज हंस बोले- ट्रांसप्लांट के बाद इम्यूनोसेप्रेसिव ड्रग से रोगरोधी क्षमता घटेगी

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ट्रांसप्लांट के बाद लालू के अंदर तीन किडनी हो जाएगी: एक्सपर्ट डॉ. पंकज हंस बोले- ट्रांसप्लांट के बाद इम्यूनोसेप्रेसिव ड्रग से रोगरोधी क्षमता घटेगी

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पटना21 मिनट पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद का किडनी ट्रांसप्लांट सिंगापुर में 5 दिसंबर को हो रहा है। उनकी बेटी डॉ. रोहिणी आचार्या उन्हें किडनी दे रही हैं। लालू प्रसाद किडनी के साथ ही हर्ट, ब्लड शुगर, ब्लड प्रेसर की बीमारी से भी ग्रस्त हैं। उन्हें ट्रांसप्लांट में कोई खतरा भी है क्या? या उनकी बेटी रोहिणी को कोई खतरा है क्या? इसके अलावा ट्रांसप्लांट के बाद किन बातों पर उन्हें ध्यान रखना होगा, इन तमाम सवालों के साथ रूबन अस्पताल पटना के नेफ्रोलॉजिट्स डॉ. पंकज हंस से दैनिक भास्कर ने एक्सक्लूसिव बातचीत की-

सवाल- जिनका किडनी ट्रांसप्लांट (लालू प्रसाद) होता है और जो डोनर (रोहिणी आचार्या) होते हैं उन्हें शुरुआती खतरा कौन-कौन सा रहता है?

जवाब- डोनर के बारे में पहले बताएं कि जितना एक नॉर्मल ऑपरेशन में रिस्क होता है उतना ही रिस्क होता है। अब अच्छी तरह से डोनर और रेसिपिएंट का वर्कअप करके ही ट्रांसप्लांट होता है। इसके लिए ब्लड, यूरिन आदि की जांच के साथ ही सिटी स्कैन आदि जांच कराई जाती है। डोनर से उसकी वही किडनी, ट्रांसप्लांट के लिए निकाली जाती है जो आसानी से निकाली जा सकती है। डोनर की दो किडनी में से एक किडनी ली जाती है।

किडनी का जीएफआर (ग्लोमरयूरल फिल्टरेशन रेट) होता है। इसमें देखा जाता है कि जो किडनी ज्यादा काम कर रही है वह ली जाती है। किडनी और नस की बनावट भी देखी जाती है कि कौन ली जाए। पेट के ऑपरेशन में जितना रिस्क होता है उतना ही रिस्क डोनर में होता है। डोनर के पास ऑपरेशन के बाद एक किडनी रह जाएगी और इस किडनी को काम ज्यादा करना पड़ता है, इसलिए साल में एक बार किडनी की जांच विशेषज्ञ से करता रहना पड़ेगा। डोनर रोहिणी का ब्लड प्रेसर थोड़ा बढ़ सकता है। पहले ओपेन सर्जरी से किडनी निकाली जाती थी। अब लेप्रोस्कोपिक विधि से होता है। इसमें तीन से चार दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।

डॉ.पंकज हंस, नेफ्रोलॉजिस्ट।

डॉ.पंकज हंस, नेफ्रोलॉजिस्ट।

सवाल- जिनका किडनी ट्रांसप्लांट होता है उसे कितना रिस्क होता है ये बताएं?

जवाब- बॉडी की एक टेंडेंसी होती है कि वह बाहरी चीज को रिजेक्ट कर देती है। जब मरीज को नई किडनी लगती है तब इसे भी बॉडी रिजेक्ट करने लगता है। इसके लिए एंटी रिजेक्शन थेरेपी देनी पड़ती है। यह इम्यूनोसेप्रेसिव ड्रग होता है। यानी इससे शरीर की रोगरोधक क्षमता घट जाती है। इस कारण इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। सभी तरह के इंफ्केशन का अलग-अलग समय होता है। ऑपरेशन के तुरंत बाद कौन सा इंफेक्शन होगा, एक माह में, छह माह में और इसके बाद कौन सा इफेक्शन होगा इस पर नजर रखनी होगी।

सवाल- किडनी ट्रांसप्लांट के तुरंत बाद भी इंफेक्शन हो सकता है ?

जवाब- हां ऑपरेशन किया गया और पहले से पेशेंट में कोई इंफेक्शन हो या फिर जिससे किडनी ली गई उसमें इंफेक्शन हो तो खतरा है। लेकिन अब कई तरह से पहले ही इन सबों की जांच कर ली जाती है कि इंफेक्शन की आशंका कम रहती है। लेकिन इम्यूनो सेप्रेसिव दवा की वजह से इंफेक्शन होता है। इसलिए इस दवा को बैलेंस करना पड़ता है। इस दवा का डोज ज्यादा होने पर इंफेक्शन का खतरा रहता है और डोज कम हो गया तो नई किडनी को रिजेक्ट कर देगा। किडनी के डॉक्टर के लिए यह बड़ा चैलेंजिंग होता है कि दवा के डोज को बहुत बैलेंस करके चलाना होता है।

सवाल- लालू जी की किन-किन बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ट्रांसप्लांट के बाद ?

जवाब- साफ-सफाई का ध्यान रखना है। भीड़-भाड़ से बचकर रहना होगा। खाना साफ-सुथरा खाना चाहिए। धीरे-धीरे जब पेशेंट का होमोग्लोबीन बढ़ने लगता है तो इस पर नजर रखनी पड़ती है कि यह ज्यादा नहीं बढ़ जाए। इम्यूनोसेप्रेसिव दवा का साइड इफेक्ट होता है कि ब्लड प्रेसर बढ़ता है। बॉडी से खराब किडनी को निकाला नहीं जाता है। यानी लालू जी के अंदर तीन किडनी हो जाएंगी ट्रांसप्लांट के बाद। ब्लड प्रेसर, बीपी और इम्यूनोसेप्रेसिव दवाएं नियमित समय से खाना बहुत जरूरी है। इसी पर नई किडनी का सरवाइवल डिपेंड करेगा। इसमें दवा होती है ट्राइक्रोलिमस या साइक्लोस्पोरीन। इसके लेवल को सही रेंज में रखना जरूरी होता है।

सवाल- किडनी, ट्रांसप्लांट के बाद पेशेंट का वजन भी बढ़ता है क्या?

जवाब- ट्रांसप्लांट के बाद फिजिकली एक्टिव रहना पड़ेगा, नहीं तो वजन बढ़ने का खतरा रहता है।

सवाल- कितने दिन के बाद लालू प्रसाद एक्टिव हो सकते हैं?

जवाब- अब तो तीसरे-चौथे दिन ही पेशेंट को मोबलाइज कर दिया जाता है। चलना शुरू कर दिया जाता है। दो सप्ताह में तो पूरी तरह से मोबलाइज कर दिया जाता है। लेकिन भीड़-भाड़ से बच करना रहना बहुत जरूरी है।

सवाल- किडनी ट्रांसप्लांट का सक्सेस रेशियो क्या है?

जवाब- अभी तो यह स्थिति है कि अपेंडिक्स के ऑपरेशन का जो सक्सेस रेशियो है वही हो गया है।

सवाल- लालू प्रसाद की उम्र 74-75 है। उन्हें बीपी है, शुगर है। वैसे पेशेंट को किस तरह की परेशान हो सकती है?

जवाब- बाकी बीमारियों की वजह से जो रिस्क है वह तो है ही लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट की वजह से कोई रिस्क नहीं होगा। बीपी, शुगर कंट्रोल करके किया जा रहा है तो बहुत रिस्क नहीं होगा।

सवाल- शुगर पेशेंट को रिस्क होता है ज्यादा क्या?

जवाब- किडनी पेशेंट में ज्यादातर ब्लड शुगर के ?ही पेशेंट होते हैं। 100 में 65 से 70 शुगर की पेशेंट होते हैं जिनका किडनी ट्रांसप्लांट होता है। 20 साल पहले दिक्कत थी लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं है। इंसुलीन लेने वाले पेशेंट को भी दिक्कत नहीं होती है।

सवाल- ट्रांसप्लांट के बाद किन बातों का ध्यान रखना होगा?

जवाब- लालू प्रसाद नेता हैं उनसे काफी लोग मिलते हैं इसलिए उन्हें मिलने वाले लोगों को एवाइड करना होगा। क्योंकि इनकी इम्यूनिटी कम होगी और इससे किसी से भी इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। नॉर्मल पेशेंट को एक से दो माह में मिलने जुलने की अनुमति हम दे देते हैं। लेकिन लालू प्रसाद को ट्रांसप्लाट के बाद लगभग दो माह तक बाहरी लोगों से नहीं मिलना चाहिए।

सवाल- पेट्स से भी बच कर रहना चाहिए क्या ?

जवाब- हां इससे इंफेक्शन का खतरा है इसलिए इससे भी बच कर रहना चाहिए। सर्दी, खांसी वाले लोगों से एकदम दूर रहना है।

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