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- RJD Did Not Include In The Poster Of ‘Mahagathbandhan Pratinidhi Sammelan’, Congress Said Tejashwi Has Already Broken Ties
पटना10 मिनट पहले
महागठबंधन की ओर से लगाया गया पोस्टर
राजद ने संपूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर बापू सभागार में होने वाले आयोजन को लेकर पटना के कई स्थान पर पोस्टर और तोरण द्वार लगवाए हैं। इसमें किसी कांग्रेस नेता का फोटो नहीं है जबकि लेफ्ट के कई नेताओं को फोटो लगाया गया है। राजद ने इसे ‘महागठबंधन प्रतिनिधि सम्मेलन’ नाम दिया है और कांग्रेस को आउट कर दिया है। इसकी खूब चर्चा है।
ज्यादा सीट लेकर ज्यादातर हारने का आरोप, लेकिन कांग्रेस कहती रही कमजोर सीटें दीं
यह सब देखकर लोगों को कुशेश्वर स्थान का उपचुनाव याद आ रहा है, जब राजद ने कांग्रेस की सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया था और उसके बाद कुशेश्वर स्थान सहित तारापुर उपचुनाव में भी कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतार दिया था। बाद में बोचहा उपचुनाव में भी महागठबंधन की दो प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और राजद की राह अलग रही। इससे पहले विधान सभा चुनाव 2020 में कांग्रेस को 70 सीटें दी गईं और वह जीत पाई महज 19 सीट पर। तब राजद के कई वरिष्ठ नेताओं ने यह आरोप लगाया था कि जिद कर कांग्रेस ने इतनी ज्यादा सीटें ले लीं, अगर कांग्रेस को इतनी सीटें नहीं ली होतीं तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन गए होते। दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का आरोप रहा कि उन्हें ज्यादातर कमजोर सीटें ही दी गईं।
राजद ने कांग्रेस को काफी तरजीह दी- एजाज अहमद
एक तरफ तेजस्वी यादव सभी को साथ लेकर चलने की बात करते हैं और दूसरी तरफ महागठबंधन की नई परिभाषा बना दी गई। अब उनके महागठबंधन का मतलब लेफ्ट पार्टियां और राजद का गठजोड़ ही है। इसमें कांग्रेस को जगह नहीं है। राजद प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं कि राजद ने कम संख्या बल रहने के बाजवूद कांग्रेस के अखिलेश यादव को राज्य सभा भेजा था और अशोक चौधरी को विधान परिषद। कांग्रेस के पास दमदार उम्मीदवार नहीं होने के बाजवूद उम्मीदवार उतारने की जिद रहती है। देख लीजिए कांग्रेस को कुशेश्वर स्थान, तारापुर और बोचहां में कितने वोट मिले।
कांग्रेस के बिना कैसा महागठबंधन, माले क्यों घुटने टेक रही- आसित नाथ तिवारी
कांग्रेस के प्रवक्ता आसित नाथ तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस के बिना कोई महागठबंधन नहीं है। तेजस्वी जिसे महागठबंधन कह रहे हैं वह अब है ही नहीं। वह उन्होंने ही खुद तोड़ दिया है। पता नहीं किस मजबूरी में वाम दल के लोग तेजस्वी यादव के एकतरफा फैसले के सामने घुटना टेके हुए हैं? एकतरफा फैसले से कोई गठबंधन नहीं चलता।
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