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नालंदाएक घंटा पहले
नालंदा के नीरा प्लांट में उत्पादन हुआ बंद
बिहार शरीफ के बाजार समिति परिसर में बने नीरा प्रोसेसिंग एवं बॉटलिंग प्लांट में 27 अप्रैल से काफी तामझाम के साथ नीरा का उत्पादन शुरू हुआ था। लेकिन, महज 24 दिन में ही बंद हो गया। न सिर्फ नालंदा बल्कि सूबे के अन्य जिलों में बोतल बंद नीरा बेचने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है।
कॉम्फेड द्वारा संचालित बॉटलिंग प्लांट में हर दिन कम से कम 1500 लीटर रॉ नीरा की आपूर्ति करने की जवाबदेही जीविका को दी गयी थी। रॉ नीरा को प्रोसेसिंग कर दो सौ एमएल की 7500 बोतल पैकिंग होनी थी। सुधा डेयरी के काउंटरों पर इसकी बिक्री होनी थी।
तो बेरोजगार हो जाएंगे कर्मी:
प्लांट में 23 कर्मी काम करते हैं। प्रोसेसिंग और पैकेजिंग बंद होने के बाद कर्मियों को रोजगार छीनने की चिंता सता रही है। क्वालिटी कन्ट्रोलर जगतशरण सिंह कहते हैं कि साल में तीन माह ही काम मिलता है। प्रोसेसिंग बंद होते ही कर्मियों को कार्य मुक्त करते हुए वेतन भी बंद कर दिया जाता है। अधिकारियों द्वारा कहा गया था कि सीजन में नीरा तो अन्य दिनों में चिल्ली और टोमेटो सॉस बनाया जाएगा। लेकिन, कुछ नहीं हुआ।
क्यों आयी ऐसी नौबत:
कॉम्फेड के सीईओ पीके सिन्हा कहते हैं कि जितना उत्पादन किया जा रहा था, उतनी नीरा की मांग नहीं थी। खराब होने की शिकायतें भी मिल रही थीं। क्वालिटी में सुधार करने की जरूरत है। वरीय अधिकारियों को इस बारे में लिखा गया है। पैकिंग के बाद कोल्डचेन को अच्छी तरह से मेंटेन करने के बाद छह दिन तक ही नीरा ठीकठाक रहती है। उसके बाद खराब हो जाती थी। यही कारण है कि नीरा की प्रोसेसिंग को बंद कर दिया गया है। समस्या भी है कि नीरा में की जा रही मिलावट की जांच का कोई इंतजाम नहीं है।
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