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पटनाएक घंटा पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
बिहार में सरकार बदलती है, लेकिन चर्चा प्रधानमंत्री पद की सबसे ज्यादा होती है। नीतीश मना करते हैं, वह दौड़ में नहीं हैं, लेकिन विपक्ष काे एकजुट करने दिल्ली दौड़ लगाते हैं। उन्हीं के पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह सामने आते हैं और कहते हैं-फूलपुर से नीतीश जी को चुनाव लड़ने का ऑफर मिला है।
CM नीतीश कुमार के ना-ना करने के बीच बिहार में चर्चा चल निकली है कि महागठबंधन (कांग्रेस छोड़कर) उन्हें प्रधानमंत्री के लिए प्रोजेक्ट कर रहा है। अब वह सीट कौन सी सही होगी-फूलपुर, मिर्जापुर, फतेहपुर या फिर कोई और। फिलहाल पूरा जोर फूलपुर पर ही ज्यादा है, इसकी वजह भी है। आज इसी पर संडे बिग स्टोरी है, जिसमें जानिए नीतीश के लिए फूलपुर क्यों हो सकता है फूलप्रूफ…
प्रधानमंत्री और फूलपुर की बात कहां से आई…
9 अगस्त 2022 को NDA से अलग होने की घोषणा सीएम नीतीश कुमार करते हैं। उसके कुछ देर बाद वह राबड़ी आवास पहुंचते हैं। यहां पर तेजस्वी यादव कहते हैं कि नीतीश जी प्रधानमंत्री पद की योग्यता रखते हैं। हालांकि नीतीश ने पीएम पद की दौड़ से खुद के शामिल नहीं होने की बात कही, लेकिन इस पर विराम नहीं लगा।
17 सितंबर को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कुछ ऐसा कहा जिसने सियासी हलकों में नीतीश के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का अंदाजा लगाया जाने लगा। ललन सिंह ने कहा कि उन्हें यूपी की कई सीटों से चुनाव लड़ने के लिए ऑफर हैं। फूलपुर और मिर्जापुर के पार्टी कार्यकर्ता भी चाहते हैं नीतीश वहां से दावेदारी पेश करें। अब यह सीएम की इच्छा पर है कि वह कहां से चुनाव लड़ेंगे।
पार्टी से जुड़े एक सीनियर लीडर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बिना नीतीश की सहमति के ये बात बाहर नहीं आ सकती। अगर नीतीश को कुछ करना रहता है तो पहले उसकी पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। इसलिए अगर नीतीश वहां जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं हो सकती है।
यही बात बिहार के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी भी कहते हैं। वे कहते हैं-ललन सिंह के बयान पर नीतीश ने भले ही बकवास कहा हो, लेकिन आरजेडी के साथ जाने की बात को भी वे बकवास बताते थे। जदयू में इस तरह का बयान बिना नीतीश की सहमति से कोई नेता जारी नहीं कर सकता। ऐसा करके नीतीश लोगों की प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं। एक तरह से कहे तो वह माहौल बनाते हैं।
फूलपुर के नाम के पीछे चार बड़ी वजहें
पहली वजह- कहा जाता है प्रधानमंत्री का रास्ता यूपी होकर जाता है…तो यह फूलपुर सीट यूपी की है। दूसरी- जाति समीकरण.. जो जीत की गारंटी देता है। तीसरी- मोदी की काशी से 100 किलोमीटर दूर है। इससे बराबर खड़े हो सकते हैं…और क्षेत्रीय नेता की छवि को तोड़ भी सकेंगे। यह भी वजह- देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की यह सीट रही है। वीपी सिंह भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं, आगे चलकर प्रधानमंत्री बने थे। यानी जीत के बाद काफी हद तक प्रधानमंत्री की दावेदारी पेश करने में असानी होगी।
अब फूलपुर को भी जान लीजिए…
प्रयागराज से सिर्फ 23 किलोमीटर दूर बसा एक कस्बा है फूलपुर। इसे दो वजहों से पहचाना जाता है। खाद बनाने वाली फैक्टरी ईफको से है और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से। यहां नेहरू के अलावा पंडित विजया लक्ष्मी, वीपी सिंह, राममनोहर लोहिया जैसी हस्तियां चुनाव लड़ चुकी हैं। मोदी की वाराणासी और फूलपुर के भी भदोही लोकसभा सीट आती है।
जातिए समीकरण की बात करें तो….
फूलपुर सीट पर कुल 18 लाख वोटर हैं। इसमें से 17 फीसदी वोटर पटेल (कुर्मी) जाति से आते हैं। इसी जाति से नीतीश कुमार भी आते हैं। इसके बाद यादव और मुस्लिम आते हैं। अखिलेश का सपोर्ट होने की वजह से यादव और काफी हद तक मुस्लिम वोट की भी गारंटी है। यानी यूपी के फूलपुर सीट से नीतीश के जीतने की पूरी गारंटी है। एक फैक्ट यह भी है कि यहां से 8 बार सांसद कुर्मी जाति से ही बने हैं।
यूपी में अखिलेश के मन में क्या है
7 सितंबर को दिल्ली दौरे के समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी के कर्ताधर्ता अखिलेश यादव से भी मिले थे। नीतीश ने कहा कि यूपी में अखिलेश नेतृत्व करेंगे। इसके ठीक तीन दिन बाद लखनऊ में सपा पार्टी दफ्तर के बाहर एक पोस्टर लगता है, जिसमें लिखा गया- ‘यूपी+बिहार= गई मोदी सरकार।’ इस पोस्टर में नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की तस्वीर भी है।
इस पोस्टर को सपा नेता आईपी सिंह ने लगवाया है। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘यूपी और बिहार देश की दशा और दिशा तय करते हैं। बड़ी आबादी वाले ये दोनों राज्य सियासी लिहाज से सबसे जागरूक प्रदेश हैं। आज देश में विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह मोर्चा मोदी सरकार को जड़ से उखाड़ कर फेंकेगा।’
जानकारों का कहना है कि अगर नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ना चाहेंगे तो अखिलेश को कोई आपत्ति नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि कुर्मी वाेटों का सपा के पक्ष में जाना। यूपी में कुर्मी 6 फीसदी हैं। यादवों के बाद ओबीसी में सबसे ज्यादा कुर्मी जाति ही है। यह जाति राजनीतिक और आर्थिक रूप से काफी मजबूत है।
अभी ज्यादातर कुर्मी वोटर सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल के अपना दल के साथ हैं, जिसका बीजेपी से गठबंधन है। नीतीश के कद का कुर्मी नेता हिंदी बेल्ट में फिलहाल नहीं है। नीतीश के यूपी आने से सीधा लाभ अखिलेश को मिलेगा। अखिलेश को यादव-मुस्लिम के साथ कुर्मी वोटों का सपोर्ट मिल जाएगा। इससे उनकी स्थित और मजबूत हो जाएगी और भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कुर्मी वोट सपा के साथ आने से बीजेपी के नुकसान का उदाहरण देखिए-कौशंबी की सिराथू सीट। यहां विधानसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश के उप मुख्यमंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता केशव प्रसाद मौर्य हार जाते हैं। उन्हें हराया सोनेलाल पटेल की दूसरी बेटी पल्लवी पटेल ने। यही वजह है कि अखिलेश को नीतीश में अपना फायदा दिख रहा है।
कुर्मी समाज का यूपी के इन जिलों में प्रभाव
कुर्मी समाज की यूपी में फतेहपुर, मिर्जापुर, कौशंबी, प्रयागराज, संत कबीर नगर, महाराजगंज, कुशीनगर, सोनभद्र, बरेली, बाराबांकी, कानपुर, अकबरपुर, उन्नाव, जालौन, प्रतापगढ़, सीतापुर, बहराइच, श्रवास्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, एटा, बरेली, लखीमपुर में ठीक-ठाक प्रभाव है। इसमें से 16 जिले ऐसे हैं, जहां उनकी आबादी 12 फीसदी तक है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक करीब 10 लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।
कुर्मी समाज में उपजातियां
उत्तर प्रदेश में कुर्मी-सैथवार समाज की उपजातियां, जो अलग-अलग नामों से जानी जाती हैं। पटेल, गंगवार, सचान, कटियार, निरंजन, चौधरी और वर्मा।
क्या हिंदू वोट बैंक को जाति में बांटने की तैयारी है
राजनीतिक विषयों के जानकार पत्रकार प्रवीण बागी का कहना है कि नीतीश कुमार के फूलपुर कनेक्शन के पीछे बड़ा रहस्य है। वह इस मुद्दे पर भले ही कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन बगैर उनकी सहमति के फूलपुर की चर्चा आम नहीं हुई है। हालांकि बाद में नीतीश कुमार ने इसे बकवास बता दिया। नीतीश कुमार ऐसे ही आरजेडी के साथ जाने की बात को भी बकवास बताया करते थे, लेकिन अचानक साथ हो लिए। ऐसे ही इस मामले को लेकर भी अगर बात आई है तो कुछ तो होने वाला है। इसके पीछे भाजपा के बड़े हिंदू वोट में जातीय समीकरण से तोड़फोड़ की तैयारी है। इसके लिए फूलपुर को एक बड़े मिशन के लिए चुना गया है। फूलपुर सीट जातीय समीकरण के कारण नीतीश कुमार के लिए काफी फिट है। नीतीश कुमार का दौरा और बड़े नेताओं से मुलाकात बताती है कि भाजपा के हिंदू वोट बैंक में जातियों को तोड़ने की बड़ी प्लानिंग चल रही है।
फूलपुर से तैयार कर रहे समाजवाद की जमीन
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कमल कृष्ण राय का कहना है कि फूलपुर की राजनीतिक जमीन सामाजिक शक्तियों का बड़ा केंद्र हैं। इस जमीन को लोहिया ने तैयार किया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के चंगुल से बचाने और देश में समाजवाद का बड़ा संदेश देने के लिए ही इस जमीन पर फिर से रोपाई की तैयारी की जा रही है। नीतीश कुमार पिछड़ी जातियाें के लिए बड़ा चेहरा हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उन्हें बड़े समाजवाद का प्रमाण पत्र दे चुके हैं। ऐसे में आने वाले समय में नीतीश कुमार पिछड़ी जातियों के लिए फूलपुर से बड़ा संदेश दे सकते हैं।
लोहिया की राह पर जमीन तलाश रहे नीतीश
राजनीतिक जानकार पत्रकार यशोदा श्रीवास्तव बताते हैं कि नीतीश कुमार अब लोहिया की राह पर चलकर राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। नीतीश कुमार की यात्राएं बड़े नेताओं से मिलना जुलना और फूलपुर की चर्चा ऐसे नहीं हो रही है, इसमें जातीय समीकरण के सहारे बड़ी जमीन तलाशी जा रही है। देश की राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो जिस तरह से भाजपा ने हिंदुत्व के नाम पर बड़ा वोट बैंक तैयार किया है, ऐसे ही अब नीतीश कुमार का चेहरा आगे लाकर भाजपा के वोट बैंक से जातियों को तोड़कर वोट अलग वोट बैंक बनाने की है।
इस पर नेताओं ने कहा क्या…
बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने नीतीश कुमार को परिजीवी नेता बताया है। नीतीश कुमार को शक्ति विहीन बताते हुए कहा कि वह परिजीवी की तरह किसी न किसी के कंधे पर सवार होकर ही चल सकते हैं। हाल ही में ओम प्रकाश राजभर ने नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश में जाकर चुनाव लड़ने की चर्चा में कहा था कि नीतीश कुमार की हैसियत यूपी में उतनी ही है जितनी बिहार में मेरी हैसियत है। ओम प्रकाश राजभर ने तो यहां तक कह दिया कि नीतीश कुमार की यूपी में कोई हैसियत ही नहीं है।
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हाल ही में ओटीटी फ्लेटफॉर्म नेटफिलिक्स पर वेब सीरिज आई है, जिसका नाम है इंडियन प्रीडेटर: द बुचर ऑफ दिल्ली। इसमें तीन ऐपिसोड मधेपुरा के सीरियल किलर चंद्रकांत झा पर थे, जिसने दिल्ली पुलिस को चैलेंज किया था। चंद्रकांत झा हत्या करके सिर काटता और धड़ तिहाड़ जेल के पास फेंक देता। विश्व का सबसे छोटा साइको किलर बेगूसराय से ही था। ऐसे ही तीन साइको किलर की कहानी पढ़िए….
ग्राफिक्स -निशु कुमारी
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