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- Bihar Nawada Panchayat Election 2021; MSU Members Elected As Zilla Parishad Members
पटना10 मिनट पहले
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बिहार पंचायत चुनाव में इस बार MSU (मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन) का नाम सबकी जुबान पर आ गया है। दरभंगा जिले के बेनीपुर प्रखंड से दो उम्मीदवार ऐसे जीते हैं, जो आज पूरे मिथिला में, बिहार में चर्चा का विषय बने हुए हैं। नवादा पंचायत से जिला परिषद सदस्य के रूप में स्वतंत्र कुमार झा उर्फ सागर नवदिया और पोहड्डी पश्चिमी पंचायत से जिला परिषद सदस्य के रूप में अमित कुमार ठाकुर की जीत ने एक हाशिए पर के संगठन MSU (मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन) का नाम सबकी जुबान पर ला दिया है। बस, 6 साल पहले दरभंगा-मधुबनी के कुछ छात्रों ने जिस संगठन की शुरुआत की थी, उसने इस बार पंचायत चुनाव में अपनी जोरदार दस्तक दी है।
MSU की जीत क्यों महत्त्वपूर्ण है
क्यों महत्त्वपूर्ण है MSU की जीत?
बिहार में 70 के दशक में एक नारा लगा था, जिसने तत्कालीन राजनीतिक सत्ता की चूलें हिला दी थीं।
‘दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। …’
इस नारे के साथ और जेपी यानी लोकनायक जयप्रकाश के आशीर्वाद के तले बिहार के छात्र-आंदोलन ने ऐसी पौध तैयार की, जो आज दो मुख्यमंत्री और कई विधायक-सांसद देनेवाले बरगद के रूप में अपनी जड़ें जमा चुका है। लालू प्रसाद ने जेपी आंदोलन के उफान को उसकी समग्रता तक पहुंचाया, तो नीतीश कुमार ने उन्हीं लालू के खिलाफ बिहार को एक मजबूत विकल्प दिया।
आज उसी बिहार के मिथिला क्षेत्र में एक और जनकवि नागार्जुन की कविता आदर्श बनी हुई है। हालिया संपन्न (और अभी चल भी रहे) पंचायत चुनावों में बिहार के इस इलाके के छात्रों-युवाओं ने MSU यानी मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के बैनर तले, 10 चरणों के इस चुनाव में अपने दर्जनों उम्मीदवार उतारे हैं और दूसरे दौर के चुनाव तक उसके दो प्रतिनिधि जिला परिषद सदस्य के तौर पर चुने भी जा चुके हैं। ऐसे ही एक जिला परिषद सदस्य स्वतंत्र कुमार झा उर्फ सागर नवदिया ने भास्कर से लंबी बातचीत की और एमएसयू के फलसफे से लेकर बिहार के राजनीतिक शून्य तक पर हमसे अपने विचार साझा किए। वह इस लड़ाई का मूल दर्शन बाबा नागार्जुन की इन पंक्तियों में तलाशते हैं,
“हम दो-चार कुत्ते क्या कर लेंगे, …
इतना तो होगा कि भौंक, भौंक, भौंक कर
सत्ता की नींद को हराम कर देंगे। “
एमएसयू क्या है?
एमएसयू.- मिथिला स्टूडेंट यूनियन
उद्देश्य-मिथिला के क्षेत्र एवं छात्र के विकास के लिए संघर्षरत मिथिला क्षेत्र का सबसे बड़ा छात्र संगठन बनना ।
विचारधारा-मिथिलावाद
संगठन निर्माण -28जून 2015
MSU ने अब तक क्या किया है?
मिथिला विकास बोर्ड के गठन को लेकर दरभंगा और मधुबनी के सभी प्रखंडों में सैकड़ों किलोमीटर के यात्रा के बाद NH57 को ईस्ट वेस्ट कोरिडोर को बंद किया गया। 2019 में 5 घंटों के लिए पुलिस का लाठीचार्ज हुआ और 6 साथियों को 17दिनों के लिए जेल जाना पड़ा जिसमें सागर नवदिया, अविनाश भरद्वाज आदि शामिल थे ।
बेनीपट्टी में मिथिला विकास बोर्ड के गठन को लेकर आंदोलन हुआ था। यह आंदोलन दिल्ली तक पहुंचा था और वहां भी मिथिला विकास बोर्ड के गठन की मांग की गयी।
क्या है मिथिलावाद?
2015 में कुछ स्टूडेंड्स ने खेतों की पगडंडियों और साइकिल की सीटों पर चलकर गांवों की खाक छानी और एक नया दर्शन निकाला, ‘मिथिलावाद’ का। इनका मानना है कि मिथिलांचल के साथ अन्याय हुआ है और एक अलग राज्य ही उसे पूर्ण न्याय दे सकता है। पूर्ण राज्य हालांकि, थोड़ी देर की बात है। पहले तो मिथिला (दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया इत्यादि का क्षेत्र) को स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर करना है और उसके लिए हर पल संघर्ष करना है। दरभंगा के एम्स से लेकर वहां के विश्वविद्यालयों में नियमित्र सत्र करवाने की मांग तक को लेकर MSU के सेनानी सड़कों पर दिखे हैं, जेल गए हैं और इसके कार्यकर्ताओं के सिर भी फूटे हैं।
दैनिक भास्कर ने MSU के बैनर तले लड़े और जीते सागर नवदिया से बातचीत की। कुछ मुख्य अंश-
कन्हैया कुमार कहते बहुत हैं, करते बहुत कम: सागर नवदिया
पंचायत चुनाव में MSU के बैनर तले दर्जनों उम्मीदवार इलेक्शन लड़ रहे हैं। दूसरे चरण के चुनाव तक MSU के दो प्रतिनिधि जिला परिषद सदस्य के तौर पर चुने भी जा चुके हैं। ऐसे ही एक जिला परिषद सदस्य स्वतंत्र कुमार झा उर्फ सागर नवदिया ने भास्कर से बातचीत की और अपने विचार साझा किए।
भास्कर- पहले तो आपको बधाई और यह बताइए कि आपने कुल कितने उम्मीदवार उतारे थे।
सागर नवदिया- चुनाव तो 10 चरणों का है, लेकिन अभी पहले दो चरणों में हमने बेनीपुर और अलीनगर प्रखंड में अपने उम्मीदवार उतारे।
भास्कर- MSU के बारे में कुछ बताइए।
सागर नवदिया-मिथिला के क्षेत्र में, छात्र के सर्वांगीण विकास के लिए संघर्ष करना हमारे संगठन का मूल उद्देश्य है। हमारा दर्शन है- मिथिलावाद। यह ही मिथिला को वापस उसकी संपन्नता तक पहुंचा सकता है।
भास्कर-मिथिलावाद का मतलब?
सागर नवदिया- पलायन को रोकना, अच्छी शिक्षा व्यवस्था लाना। उस स्वर्णिम काल को लौटाना, जब हमारे पास 13 चीनी मिलें थीं, कभी हमारा योगदान पूरे देश के चीनी उत्पादन में 32% था। शिक्षा से लेकर रोजगार तक, अगर हमें पलायन ही करना है, तो फिर क्या ही किया जा सकता है। इस स्थिति को बदलना होगा।
भास्कर– आपकी टक्कर बड़े खुर्राट और घाघ नेताओं से होने वाली है। आपको लगता है कि आपके 4-5 लोग उनको टक्कर दे पाएंगे?
सागर नवदिया- इससे तो हम पहले से परिचित हैं। हमारी एक आंतरिक रणनीति है। हम जानते हैं कि हमें बरगलाने की कोशिश होगी। अपने 6 साल के संघर्ष से हम भी तप गए हैं और हमें भी इनकी थाह पता है।
भास्कर– अभी तुरंत कन्हैया ने कांग्रेस में एंट्री की है। कन्हैया पर आपके विचार?
सागर नवदिया- वह कहते बहुत हैं, करते बहुत कम हैं। उनसे उम्मीद नहीं है।
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