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पटना28 मिनट पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
पटना में स्मैकियों से ब्लड लेने के मामले में बड़ा खुलासा हो सकता है। आशंका है कि खून में मिलावट करके दो-दो बैग तैयार किए गए हैं। फ्रीज में सब्जी के साथ मिले 44 यूनिट ब्लड की जांच की जा रही है। जांच के लिए 5 एक्सपर्ट की टीम लगाई गई है। संक्रमण के साथ मिलावट की जांच के लिए सैंपल लैब भेजा जाएगा। आइए जानते हैं कैसे तैयार होता है नकली खून और मरीज पर इसका क्या होता है असर…
खून में थोड़ी सी चूक से जान को खतरा
एक्सपर्ट का कहना है कि ब्लड में लाल रक्त कणिका (RBC), श्वेत रक्त कणिका (WBC) और प्लेटलेट्स अहम होता है। RBC आक्सीजन को पूरे शरीर में पहुंचाने का काम करती है और कार्बन डाइ आक्साइड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करती है। इनकी कमी से खून की कमी यानी ‘एनीमिया’ होता है। इसी तरह से प्लाज्मा भी शरीर में काफी आवश्यक होता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इन तीनों के इनबैलेंस से ही इंसान की सेहत पर बड़ा असर पड़ता है। इससे मौत का भी खतरा बढ़ जाता है।
प्लाज्मा एक्सपेंडर से तैयार होता है खून
एक्सपर्ट बताते हैं कि खून को लेकर देश में कई बड़े खुलासे हुए हैं। नकली खून बनाने से लेकर कई काले कारोबार सामने आए हैं। इसमें सबसे अधिक मामला प्लाज्मा एक्सपेंडर से खून बनाने का है। यह काफी आसानी से तैयार हो जाता है और इसमें कोई खतरा भी नहीं होता है। औषधि विभाग के एक्सपर्ट यशवंत कुमार झा बताते हैं कि प्लाज्मा एक्सपेंडर से खून बनाया जाता है, यह खून नहीं होता है। रंग तो खून जैसा ही होता है लेकिन इसमें हीमोग्लोबिन नहीं होता है।
यूपी और राजस्थान के कनेक्शन की पड़ताल
खून के कारोबार में राजस्थान और यूपी का भी कनेक्शन खंगाला जा रहा है। उत्तर प्रदेश के साथ राजस्थान में भी खून के कारोबार का खुलासा हो चुका है। बताया जा रहा है कि राजस्थान से खून के कारोबारियों का नेटवर्क जुड़ा है। पटना में खून के खेल की कड़ी कहां से जुड़ी है, इसके लिए जांच टीम काम कर रही है। टीम में 5 अलग-अलग एरिया के औषधि निरीक्षकों को शामिल किया गया है। प्रशासन का कहना है कि 7 दिन में पूरा खेल उजागर हो जाएगा।
प्लाज्मा एक्सपेंडर वाले ब्लड से नहीं बढ़ता हीमोग्लोबिन
ड्रग इंस्पेक्टर यशवंत कुमार झा का कहना है कि जब प्लाज्मा एक्सपेंडर मिलाकर खून बनाया जाता है, तो उसमें हीमोग्लोबिन नहीं होता है। मरीजों को इसका ट्रांसफ्यूजन करने के बाद भी इससे कोई लाभ नहीं होता है। इस कारण से ऐसे खून को चढ़ाने के बाद भी मरीजों को कोई फायदा नहीं होता है। इसलिए ब्लड को लेकर विशेष रूप से जांच की जा रही है। जांच में पूरा नेटवर्क खंगालने का प्रयास किया जा रहा है।
खून के साथ ब्लड सेंटर की जांच
पटना में बरामद 44 यूनिट खून की जांच के साथ निवेदा ब्लड सेंटर की जांच के लिए 5 सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इसमें दो साल का पूरा लेखा-जोखा ब्लड सेंटर से लिया जाएगा। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि पकड़े गए पूर्व लैब टेक्नीशियन संतोष के पास ब्लड बैग कहां से पहुंचा। जांच में जुटे औषधि निरीक्षकों यशवंत कुमार झा, पंकज कुमार, मनोज कुमार, अमल कुमार और श्वेता का कहना है कि हर स्तर से मामले की जांच की जा रही है। ब्लड सेंटर और ब्लड बैग के डीलरों की जांच के साथ बरामद ब्लड की भी जांच कराई जा रही है।
टीम को लीड कर रहे यशवंत का कहना है कि खून में मिलावट है, या फिर संक्रमण है, इसकी पूरी जांच कराई जा रही है। इसके साथ टीम सेंटर की भी जांच करने में जुटी है। पता यह लगाया जा रहा है कि सेंटर का कहना है कि पकड़ गया लैब टेक्नीशियन डेढ़ वर्ष पहले ही निवेदा ब्लड सेंटर से काम छोड़ दिया था, तो हाल में खरीदे गए ब्लड बैग उसके पास कहां से आ गए। इसमें निवेदा ब्लड सेंटर के भूमिका की जांच की जा रही है।
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