[ad_1]
- Hindi News
- Local
- Bihar
- Enviroment Day Special; Over 22 Crores Saplings Planted In 8 Years To Make Green Cover In Bihar 15 Percent
पटना7 मिनट पहलेलेखक: बृजम पांडेय
- कॉपी लिंक
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी एक बड़ा मुद्दा बनी। संक्रमित होने वाले को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे, जिन्हें बेड मिल रहे उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही। बिहार में आनन फानन में अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने लगे, ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत बढ़ गई। शायद इस ऑक्सीजन को हमने इतनी गंभीरता लिया नहीं था। लेकिन इस ऑक्सीजन सिलेंडर में भरने के लिए हमें शुद्ध हवा की जरूरत है। अभी भी वक्त है कि हम इस ओर ध्यान दे और अपने इस पर्यावरण को संरक्षित करें।
20 वर्ष में 6 प्रतिशत बढ़ा बिहार का हरित आवरण
2000 में झारखंड से बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण मात्र 9 प्रतिशत रह गया था। फिर 2012 में बिहार सरकार की तरफ हरियाली मिशन की शुरुआत की गई और 24 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया, जिसमें 22 करोड़ से ज्यादा वृक्षारोपण किया गया। पृथ्वी दिवस, 9 अगस्त 2020 तक 2.51 करोड़ पौधे लगाए जाने के लक्ष्य के विरुद्ध 3.47 करोड़ पौधे लगाए गए। अब राज्य का हरित आवरण 15 प्रतिशत हो गया है। बिहार सरकार के मुताबिक 17 प्रतिशत हरित आवरण प्राप्त करने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है। इसको लेकर CM नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले अपने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी।
कोरोना की वजह से पर्यावरण की योजनाओं पर लगा ब्रेक
2019 में CM नीतीश कुमार ने बिहार के सभी प्रखंडों और पंचायतों में जल-जीवन हरियाली मिशन को लागू करने का निर्णय लिया था। जल-जीवन-हरियाली योजना को सुचारू रुप से संचालित करने के लिए इसमें 15 विभागों को शामिल किया गया। इस योजना पर राज्य सरकार को अगले तीन साल में 24 हजार 524 करोड़ रुपये खर्च करना था, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी की वजह से इसमें ब्रेक लग गया।
बिहार सरकार ने प्रदूषण के खिलाफ जंग के लिए स्मॉग टावर इंस्टॉलेशन और राजधानी पटना की सड़कों पर साइकिल ट्रैक बनवाने का निर्णय लिया। कार्बन एमिशन को कम करने के इरादे से वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग (DEFCC) ने सड़क निर्माण और शहरी विकास और आवास विभाग को चिट्ठी लिखी थी और राजधानी की मुख्य सड़कों पर साइकिल ट्रैक बनाने के लिए कहा था। लेकिन, यह काम भी कोरोना की वजह से रुका पड़ा है।
बिहार में पर्यावरण संरक्षक के तौर पर काम कर रहे कुमार राघवेंद्र कहते हैं – शुद्ध ऑक्सीजन के लिए हवा भी तो शुद्ध चाहिए।
यह जानना बेहद जरुरी
पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे कुमार राघवेंद्र बताते हैं, जिस ऑक्सीजन को हम सिलेंडर में भरते हैं, उसके लिए हवा चाहिए। अब जरा सोचिए, जिस ऑक्सीजन को बनाने में हवा की जरूरत पड़े, वो हवा भी तो शुद्ध चाहिए। उसके लिए जरूरी है कि हम वायु प्रदूषण पर रोक लगाएं। वरना आज जिस हवा से हम ऑक्सीजन बनाते जा रहे हैं, कल वो हवा ऑक्सीजन बनाने के लायक नहीं रहेगी।
वे कहते हैं, एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे 7 लोगों को प्राणवायु मिल पाती है। यदि हम इसके आसपास कुडा-कचरा जलाते हैं तो इसकी ऑक्सीजन छोड़ने की क्षमता आधी हो जाती है। इस तरह हम 3 लोगों से उसकी जिंदगी छीन लेते हैं।
इसी तरह, एक पेड़ एक साल में 20 किलोग्राम धूल अपने अंदर सोखता है। हर साल 700 किलोग्राम ऑक्सीजन छोड़ता है और 20 टन कार्बन डाई-ऑक्साईड लेता है। गर्मियों में एक पेड़ के नीचे सामान्य से चार डिग्री तक कम तापमान रहता है।
आज पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। इसलिए पौधे लगाने के साथ-साथ हमें पेड़ों को बचाने की जरूरत है। अपने आसपास पेड़ों को न कटने दें, उसका विरोध करें। उसके आसपास आग न लगाएं। इसके अलावा किसी भी स्थान पर 50 मीटर की दूरी पर एक पेड़ जरूर होना चाहिए। इससे वहां पर्याप्त मात्रा में शुद्ध हवा मिलेगी और लोग स्वस्थ रहेंगे।
[ad_2]
Source link