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- It Was Better To Remain Silent Than To Speak In The Government, Walked On This Strategy For Five Days…
पटनाएक घंटा पहले
हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी… यह शेर कहकर 2012 में तात्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष के हमलों का जवाब दिया था। कुछ इसी तरह की स्ट्रेटर्जी पर इस बार नीतीश कुमार भी चले। वे बिहार विधानसभा के पांच दिन के मानसून सत्र के दौरान कुछ नहीं बोले। इसी बीच अग्निपथ पर पांचों दिन हंगामा होता रहा। सदन बार-बार स्थगित होता रहा।
हर नए दिन विपक्ष के साथ JDU के कुछ बड़े नेता यही कयास लगाते रहे कि आज तो नीतीश कुमार कुछ न कुछ बोलेंगे ही, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि विधानसभा के पूरे सत्र में नीतीश कुमार चुप ही रहे।
उनकी इस चुप्पी के कई तरह से मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे NDA में सबकुछ ठीक नहीं होने की कहानी से जोड़ रहे हैं तो कुछ इसे ‘मौन पॉलिटिक्स’ का नाम दे रहे हैं।
भास्कर के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि राज्य में अग्निपथ योजना पर भारी हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष भी सड़क से सदन तक मुखर विरोध कर रहा है। युवाओं में आक्रोश है। यही कारण है कि JDU के आला नेताओं ने भी अग्निपथ पर पुनर्विचार करने की सलाह केंद्र को दे डाली। जबकि, सहयोगी BJP योजना के समर्थन में है। ऐसे में उनका मौन रहना ही फायदेमंद रहा, क्योंकि अगर वह विपक्ष में बोलते तो सहयोगी से खटपट ज्यादा बढ़ जाती। कुछ और कारण भी है, जिससे CM हैं मौन…पढ़ें…
इस सत्र में विधानसभा अध्यक्ष से नाराजगी
बीते सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने विधायकों को जिला मुख्यालय परिसर और ब्लॉक कार्यालय में ऑफिस देने का ऐलान किया। इस घोषणा पर CM अवाक रह गए। बताया जा रहा है कि अगर नीतीश कुमार यह घोषणा करते तो यह सरकार का फैसला होता।
नीतीश के समर्थक हो या विपक्षी, सब इस घटनाक्रम से हैरान थे, लेकिन उन्हें शुरू में लगा कि ये सब नीतीश की सहमति से हो रहा है।
पूरे मानसून सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर अग्निपथ योजना का विपक्षी विधायकों ने विरोध किया। (फाइल फोटो)
बिना CM की सहमति से बहस पर JDU नाराज
मंगलवार को जब अध्यक्ष विजय सिन्हा ने सर्वश्रेष्ठ सदन और विधायक के मुद्दे पर विमर्श कराना चाहा तो इसमें JDU की सहमति नहीं थी। इस बार नीतीश कुमार पूरी तरह से सतर्क दिखे। पार्टी आलाकमान की तरफ से भी अपने विधायकों-मंत्रियों को सदन की कार्यवाही से अलग रहने का मौखिक संदेश दे दिया गया था। इसको लेकर मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने अपने नेताओं के साथ बैठक भी की।
सदन के वरिष्ठ सदस्यों ने अध्यक्ष को इस बहस को टालने को कहा, लेकिन उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के आग्रह का हवाला दे दिया। बहस शुरू हो गई, लेकिन अपने ही सहयोगी के मौन के चलते इसे स्थगित करना पड़ा। इस बार भी नीतीश कुमार कुछ नहीं बोले।
अग्निपथ के विरोध की कमान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी संभाली थी। (फाइल फोटो)
आनन-फानन में आए धर्मेंद्र प्रधान ने किया डैमेज कंट्रोल
बिहार NDA में चल रही उठापटक की खबर जैसे ही BJP के केंद्रीय नेतृत्व को लगी, उन्होंने आनन-फानन में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पटना भेजा। एयरपोर्ट से वह सीधे CM आवास गए और घंटेभर तक नीतीश कुमार से बातचीत की।
इसके बाद उन्होंने पटना में ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बिहार में नीतीश कुमार हमारे सर्वमान्य नेता है और 2025 के भी CM वही है। हालांकि, बताया गया कि धर्मेंद्र प्रधान राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे थे।
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