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- Bihar News; Cheat Of Action In The Police Department, Officers Take Action To Show Off, Then Forgive The Crime
पटनाएक घंटा पहले
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कोरोना काल में पटना पुलिस के 3 दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों के अपराध को माफ किया गया है।
बिहार पुलिस में अपराध और अपराधी का पैमाने जान आप भी दंग रह जाएंगे। जिस अपराध के लिए आम आदमी को जेल से बाहर आने में कई साल लग जाता है, पुलिस कर्मियों के लिए ऐसे अपराध चुटकियों में माफ कर दिए जाते हैं। शराबबंदी वाले प्रदेश में शराब पीकर कानून तोड़ने का मामला हो या फिर आम आदमी से जबरन वसूली का मामला हो। पुलिस विभाग में ऐसे कर्मियों का निलंबन भी माफ हो जाता है। एक साल में में पटना पुलिस के 36 से अधिक पदाधिकारियों का गंभीर अपराध में भी निलंबन माफ कर दिया गया है। कोरोना काल में गंभीर अपराधों में माफी बड़ा सवाल है।
इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही तक ने किया अपराध
कोरोना काल में 2020 और 2021 में पटना पुलिस के 3 दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों के अपराध को माफ किया गया है। इसमें 22 पुलिस आरक्षी और 3 इंस्पेक्टर के साथ 11 दारोगा और 5 पुलिस सहायक अवर निरीक्षक शामिल हैं। इन सभी को गंभीर अपराधों में दोषी पाए जाने के बाद निलंबित किया गया था। इसमें से कई चर्चित मामले भी हैं जिसमें पुलिस पर कार्रवाई की गई लेकिन निलंबन वापसी का आम लोगों को पता ही नहीं चल सका है। पुलिस विभाग में अपनो से यारी ऑर आम आदमी से सौतेला व्यवहार की कहानी चल रही है। पुलिस की ऐसी ही दोहरी नीति से आम लोगों में बिहार पुलिस की छवि खराब होती है।
ऐसे हुआ पुलिस विभाग में दरियादिली का खुलासा
पुलिस विभाग में दिखावे के लिए कार्रवाई करना आम बात है। जब भी कोई गंभीर मामला होता है अफसर कार्रवाई के लिए पुलिस कर्मियों को निलंबित कर देते हैं और बाद में उन्हें बहाल कर दिया जाता है। पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवाेकेट मणिभूषण प्रताप सेंगर ने इस गंभीर मामले में आवाज उठाया है। सूचना का अधिकार के तहत उन्होंने पटना पुलिस से अफसरों से पटना में तैनात आरक्षी, पुलिस निरीक्षक, सहायक पुलिस निरीक्षक और उप सहायक निरीक्षक स्तर के पदाधिकारियों के संबंध में सूचना मांगी थी। एडवोकेट ने पटना पुलिस से मांगा था कि किस वर्ग के कितने पुलिस कर्मियों को 1 जून 2020 से 15 जून के बीच निलंबित किया गया और कितनों काे निलंबन से मुक्त कर दिया गया इसकी पूरी जानकारी मांगी गई। पुलिस विभाग ने कई सूचना तो छिपा ली है लेकिन जो जानकारी दी है वह चौकानें वाली है। अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर का आरोप है कि पुलिस का यह अपराध और कानून में फर्क करना भी बड़ा अपराध है। ऐसे अफसरों के कृत्य की भी जांच होनी चाहिए। आरोप है कि सस्पेंड पदाधिकारियों को बहाल कर विभागीय कार्रवाई की जा रही है, जबकि निलंबित कर जांच इसी लिए की जाती है ताकि जांच प्रभावित न हो।
इंस्पेक्टर का अपराधियों से साठगांठ भी माफ
पुलिस निरीक्षक निशिकांत निशि को 5 फरवरी 2021 को निलंबित किया गया था। इंस्पेक्टर पर आरोप था कि वह अपराधी सूरज मिश्रा से सांठगांठ रखते हैं। अपराधी के साथ इंस्पेक्टर की फोटो और वीडियो भी वायरल हुई थी। इस गंभीर मामले में पटना पुलिस के अफसरों इंस्पेक्टर पर कार्रवाई की लेकिन चौकानें वाला मामला यह है कि गुपचुप तरीके से निलंबन से मुक्त कर दिया गया है। इसी तरह इंस्पेक्टर अजय कुमार और इंस्पेक्टर मुकेश कुमार पासवान को शराबबंदी के कड़े कानून में लापरवाही और सूचना पर प्रभावी कार्रवाई नहीं करने के आराेप में निलंबित किया गया था, हालांकि वह अभी निलंबन से मुक्त नहीं हो पाए हैं, लेकिन विभागीय सूत्र बताते हैं प्रकिया बहुत तेज चल रही है। जल्द ही निलंबन से मुक्त हो जाएंगे। कई को तो निलंबन मुक्त कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
जानिए पुलिस कैसे कैसे करती है अपराध
एक साल में 11 दारोगा निलंबित हुए हैं। इसमें जनता को प्रताड़ित करने, अपराधी से दोस्ती निभाने, अपराधी को हाजत में बंद नहीं करने से अपराधी के भागने, महिला कोविड वार्ड में भी अनाधिकृत रूप से प्रवेश करने, अपराधियों से संपर्क रखने, अनुशासन में लापरवाही, बिना सूचना के ही ड्यूटी से गायब होना सामने आया है। 5 ASI पर भी निलंबन की कार्रवाई हुई है जिसमें दो निलंबित चल रहे है, बाकी 3 का निलंबन मुक्त कर विभागीय कार्रवाई की जा रही है। इसमें ट्रक वालों से अवैध वसूली, सिपाही भर्ती में दक्षता परीक्षा में संदिग्ध प्रमाण पत्र लगाने, बालू लदे ट्रैक्टर से बालू गिरवा लेने एवं चालक को पैसा भी नहीं देने जैसे आरोप है। इसी तरह 22 सिपाहियों में शराब पीने के आरोप, झूठे केस में जेल भेजने की धमकी देने, पीड़ित से न्याय के बदले पैसा लेने, बिना अफसरों के सूचना के छापेमारी करने, पत्नी से मारपीट करने के आरोप, अवैध वसूली करने, अभियुक्त को छोड़ने का आरोप और शराब पीकर मारपीट करने का आरोप शामिल है।
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