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पटना23 मिनट पहलेलेखक: बृजम पांडेय
आनंद मोहन को केक खिलाते उनके बेटे चेतन आनंद।
पूर्व सांसद आनंद मोहन 15 दिनों की पैरोल पर सहरसा जेल से बाहर है। इन 15 दिनों में आनंद मोहन काफी एक्टिव हो गए है। यहां तक की इस दौरान उन्होंने अपनी बेटी सुरभि आनंद की सगाई कर दी। इस दौरान पटना के एक बड़े होटल में बड़ा जलसा किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित कई दिग्गज नेता पहुंचे थे। आनंद मोहन इन दिनों अपनी बेटी की शादी की तैयारी में जुटे हुए हैं। पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी आवास पर लगातार कार्यकर्ताओं की भीड़ आनंद मोहन से मिलने के लिए पहुंच रही है। इस दौरान वह सब से मिल रहे हैं और अपने आने वाले भविष्य की बात भी कर रहे हैं। बुधवार को आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद का जन्मदिन था। इस दौरान पूरा परिवार उनके साथ था। दैनिक भास्कर ने आनंद मोहन के साथ साथ पूरे परिवार से बात की। सबने इस पल को सबसे खुशनुमा कहा।
सवाल – पत्नी का जन्मदिन है खास तो रहा होगा?
- आनन्द मोहन – बिल्कुल लगातार ये भावुक पल है मेरे लिए। अच्छा लग रहा है बहुत दिनों के बाद। खासतौर पर बच्चों को इंतजार था। अभी तो यह अल्पविराम है। पूर्ण विराम आये तो बात बने। यह अस्थाई मुक्ति है, पैरोल है पूरी तरह से मुक्ति होगी तो बेहतर होगा।
सवाल – बिहार की जनता इंतजार भी कर रही थी। क्षत्रिय समाज में सीट वेकेंट है उसे पूरा करेंगे?
- आनन्द मोहन – मेरा सौभाग्य है कि इतनी बड़ी तादाद में चाहने वाले समर्थक, लोग मेरे साथ हैं जब मैं जेल से निकला तो लोग यह पूछे क्या संदेश है। संदेश तो बिहार की जनता देती रही है। नेल्सन मंडेला के बाद इतनी बड़ी लड़ाई जब से मैं जेल में था, बिहार और बिहार के बाहर से इतनी बड़ी लड़ाई नहीं लड़ी गई। धरना प्रदर्शन लगातार चलता रहा। राजनीति में ऐसा होता है। जब कोई मंत्रिमंडल में जाता है तो बड़ा होता है। मंत्रिमंडल से हटता है तो छोटा हो जाता है। हम देखते रहे हैं आलाकमान की दृष्टि किसी पर पड़ गई तो कद उनका ऊंचा हो गया, थोड़ा सा नजर उनका फिर जाता है तो कद छोटा हो जाता है। मेरे लिए मेरे समर्थक प्रेरित करते रहें है। यही कारण है कि मैं कभी निराश नहीं होता।
पत्नी और बेटे के साथ आनंद मोहन की यह तस्वीर इन दिनों फिर से चर्चा में है।
सवाल – जब आप जेल में रहे तो किताब भी लिखते रहे है खुलकर अपनी बात कहते है। जेल में इतनी ताकत कहां से मिल जाती थी?
- आनन्द मोहन– जो समर्थक है, जो चाहने वाले हैं। वही प्रेरित करते रहते हैं। और होता क्या है। अचानक से जिंदगी में कोई करवट आ जाए। कोई मोड़ आ जाए, तो स्थितियां बदल जाती हैं। जब बाहर होते हैं बाहरी लोगों के साथ, अपने लोगों के साथ वक्त नहीं मिलता है। मैंने सोचा कि एक एक पल का उपयोग करना चाहिए। निर्गुण में सद्गुण का उपयोग किया। अंदर ऊंची लंबी दीवारें, कालकोठरी, तनहाई, एकांत ऐसे में लोग अंतर्मुखी होते है, खुद में झांकता है। यही हुआ मेरे साथ जो बहिर्मुखी थे और अंतर्मुखी हुए तो कलम चल पड़ी।
सवाल – स्थायी मुक्ति कब तक संभव है?
- आनन्द मोहन – मैंने कहा था जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।
आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की सगाई में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत कई दिग्गज नेता पहुंचे थे।
लवली आनन्द से सवाल – बर्थ डे गिफ्ट तो बड़ा मिला?
- लवली आनंद – बहुत बड़ा गिफ्ट मिल गया। इससे बड़ा गिफ्ट नहीं हो सकता। अब हम चाहते हैं कि अब यह स्थाई बाहर रहे। जब पिता की उपस्थिति में बच्चे की शादी होगी तो असली खुशी तभी मिलेगी और अच्छा लगेगा।
सुरभि आनंद की सगाई के वक्त की तस्वीर।
पुत्री सुरभि आनंद से सवाल- आपको कैसा लग रहा है?
- सुरभि आनंद – हम लोग लगातार प्रार्थना कर रहे हैं कि हम लोग 15 साल से इंतजार कर रहे थे। कब पापा बाहर आएंगे। उनके साथ दिवाली, होली मना सकेंगे। अभी भी उम्मीद है कि पापा स्थाई बाहर आ जाए। हर बेटी चाहती है कि पापा उसके साथ रहे।
पुत्र चेतन आनंद से सवाल – चेतन लगातार संघर्ष करते रहे हैं, सड़क से लेकर सदन तक के पापा की रिहाई के लिए संघर्ष करते रहे।
- चेतन आनंद – यह बहुत बड़ा पल है। इस पल के लिए हम लोगों को 15 साल इंतजार करना पड़ा। यह भावुक पल है। यह पैरोल है, इसकी सीमाएं हैं। आजादी सबको प्यारी होती ह। हम लोग भगवान से मनाते हैं। हमें विश्वास भी है। जल्दी पापा हम लोग के साथ रहें।
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