Home Bihar बाकी MLAs को लेकर रायपुर जा सकते हैं CM सोरेन: 32 विधायक पहले से रायपुर के रिसोर्ट में मौजूद; RPN सिंह को ऑपरेशन लोटस की कमान

बाकी MLAs को लेकर रायपुर जा सकते हैं CM सोरेन: 32 विधायक पहले से रायपुर के रिसोर्ट में मौजूद; RPN सिंह को ऑपरेशन लोटस की कमान

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बाकी MLAs को लेकर रायपुर जा सकते हैं CM सोरेन: 32 विधायक पहले से रायपुर के रिसोर्ट में मौजूद; RPN सिंह को ऑपरेशन लोटस की कमान

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रांची39 मिनट पहलेलेखक: शंभू नाथ

हाउस ऑफ प्रॉफिट मामले में CM के दोषी पाए जाने की सूचना के साथ ही झारखंड की सियासत में एक भूचाल आ गया है। सत्ता पक्ष लगातार विधायकों को बचाने की कोशिश कर रहा है। पिछले 5 दिनों से विधायकों की सुबह-शाम CM हाउस में हाजिरी लगवाई जा रही है। तो कभी सियासी पिकनिक के बहाने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की जा रही है। अब 32 विधायकों की रायपुर में बाड़ेबंदी की गई है।

झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आज रायपुर पहुंच सकते हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि वे अपने साथ उन सभी विधायकों को साथ ले जाएंगे जो फिलहाल रांची में हैं। सरकार के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो दो कद्दावर नेता पर हेमंत सोरेन को शक है जो सरकार में टूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें एक जेएमएम के हैं और एक कांग्रेस के। हेमंत सोरेन इन्हीं पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रहे हैं। सभी विधायकों को रांची से बाहर निकालना भी इसी का हिस्सा है।

CM हेमंत सोरेन भी इस बात को समझ रहे हैं कि आज जो विधायक उनके साथ बैठ कर लंच कर रहा है कल वो उन्हें विरोधी खेमे में मिल सकता है। यही कारण है कि CM से लेकर सत्ता पक्ष के सभी बड़े नेता लगातार राज‌भवन की तरफ से CM के मामले में हो रही देरी को हॉर्स ट्रेडिंग से जोड़कर देख रहे हैं।

महागठबंधन के बड़े विधायकों की मानें तो टूट का सबसे ज्यादा डर कांग्रेस के खेमे में है। इस मामले पर झारखंड को लंबे समय से कवर कर रहे सीनियर जर्नलिस्ट रवि प्रकाश कहते हैं कि जेएमएम के जितने विधायक हैं, उनका अपना ग्राउंड तो है लेकिन जीतते हैं केवल शिबू सोरेन के नाम पर। इनको पता है कि अगर अभी शिबू सोरेन के खिलाफ तो अगला चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा।

रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में 32 विधायक

झारखंड में सियासी संकट के बीच यूपीए के विधायकों को रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है। कांग्रेस-जेएमएम और राजद के 32 विधायकों को रांची से इंडिगो के विशेष विमान से रायपुर लाया गया है। विधायकों को 3 बसों में बैठाकर नवा रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट ले जाया गया। रिसॉर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस रिसॉर्ट को 2 दिनों के लिए बुक किया गया है। देर रात छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी विधायकों से रिसॉर्ट में मुलाकात की।

विधायकों के लिए रिसॉर्ट में शराब पहुंची

नवा रायपुर के जिस मेफेयर रिसॉर्ट में विधायकों को ठहराया गया है, वहां शराब भेजी गई है। छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग की एक गाड़ी में महंगी शराब पेटियों में पहुंचाई गई है। बताया जा रहा है कि ये विधायकों के लिए ही भेजी गई है।

RPN सिंह के कंधे पर है कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी

बीजेपी में जाने से पहले RPN सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी थे। राज्य में कांग्रेस को खड़ा करने और सत्ता में साझीदार बनाने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है। टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री तय करने तक का सार काम खुद RPN सिंह ने खुद संभाला था। ऐसा माना जाता है कि उन्हें झारखंड कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी दोनों की बखूबी जानकारी है।

कई विधायक अभी भी सीधे RPN के संपर्क हैं

झारखंड कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अभी भी झारखंड कांग्रेस के कई विधायक सीधे RPN सिंह के संपर्क में हैं। लगातार इनकी दिल्ली में RPN सिंह से मुलाकात हो रही है। यही कारण है कि अविनाश पांडे कांग्रेस को बचाने की मुहिम में खुद फ्रंट से लीड कर रहे हैं। हालांकि ऑफ द रिकॉर्ड वे भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि ये एक जटिल काम हैं।

कांग्रेस को तोड़कर अलग दल बनाने की हो रही है कोशिश

झारखंड कांग्रेस के एक बड़े नेता ने दैनिक भास्कर को बताया कि RPN सिंह ने कांग्रेस में टूट कराने की जिम्मेदारी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को दी है। इसकी पूरी प्लानिंग भी हो गई थी। कांग्रेस के लगभग 12 विधायकों को तोड़ कर एक दल बनाने की तैयारी थी जिनका नेता उस वरिष्ठ सदस्य को चुना जाना था।

कोलकाता कैश कांड के बाद बिगड़ा खेल

RPN सिंह की प्लानिंग लगभग पूरी तरह लागू भी हो गई थी लेकिन इससे ठीक पहले कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी कैश के साथ कोलकाता में धरा गए। इसके बाद इस बाद टूट का खेल बिगड़ गया। कांग्रेस के प्रभारी ने उन्हें इस पूरे खेल का उद्भेन करने के लिए कहा। लेकिन जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो अब पार्टी उनके खिलाफ एक्शन लेने के मोड में है। उनकी विधायकी पर भी तलवार लटक सकती है।

हेमंत इस बार पूरी तरह अलर्ट

सीनियर जर्नलिस्ट रवि प्रकाश कहते हैं कि इस बार हेमंत पूरी तरह अलर्ट हैं। उन्हें पता है कि इतनी सीट पहली बार उन्हें हासिल हुई है और वे किसी तरह से इस मौके को खोना नहीं चाहते हैं। यही कारण है कि वे खरीद-फरोख्त और टूट के मामले में बीजेपी को पूरी तरह चेज करते हुए दिखाई दे रहे हैं। हेमंत सोरेन इसे बहुत टेक्टिकली टिकेल किया है। टेक्निकली चीजों को कंफ्यूज करने की कोशिश की है।

सोरेन ने 1 सितंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई

इधर सियासी संकट के बीच CM हेमंत सोरेन ने 1 सितंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इसमें जनता के हित से जुड़े कई अहम फैसले लेने संबंधी बातें कही जा रही हैं। सोमवार को CM सोरेन के भाई बसंत सोरेन की विधायकी पर भी चुनाव आयोग में चर्चा हुई, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका।

चुनाव आयोग को राज‌‌भवन के पत्र का इंतजार

चुनाव आयोग के एक बड़े पदाधिकारी की मानें तो गेंद अभी भी राजभवन के पाले में हैं। चुनाव आयोग ने पहले ही मामले की पूरी जांच-पड़ताल के बाद अपना निर्णय सुना दिया है। आदेश राज्यपाल को जारी करना है। राजभवन के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। राजभवन इस संबंध में गैजेट जारी करेंगे, जिसे राज्य निर्वाचन आयोग विधानसभा स्पीकर को देगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

अब CM ने भी साधा राज्यपाल पर निशाना

चुनाव आयोग से आए निर्देश संबंधी सवाल पूछने पर CM हेमंत सोरेन ने राज्यपाल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह तो राज्यपाल रमेश बैस ही बताएंगे। वे भी इंतजार कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति के विषय में ज्यादा अच्छे से राजभवन ही बता पाएगा। CM ने कहा कि वह कुर्सी से दिल्लगी नहीं करते। वे राज्य के सवा तीन करोड़ लोग, आदिवासी, दलित, पिछड़े, गरीब, मजदूरों से दिल्लगी करते हैं।

सोरेन की पत्नी का नाम सबसे आगे

अगर सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाती है तो इस पद के लिए सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चंपई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक नहीं किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।

क्या है खनन पट्टे का मामला?

10 फरवरी को पूर्व CM रघुवर दास के नेतृत्व में BJP के एक डेलिगेशन ने गवर्नर से मुलाकात की थी। BJP ने राज्यपाल से CM सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी। BJP ने आरोप लगाया था कि CM सोरेन ने पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लिया है। BJP का आरोप है कि यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है। गवर्नर ने BJP की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी।

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