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पटना38 मिनट पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
- ब्लाइंड स्टिक से पूरे घर की बिजली के स्विच को कंट्रोल कर सकते हैं
- कोरोना काल में मेडी रॉबेट बनाकर सभी को आश्यर्च में डाला
22 मार्च को बिहार दिवस है। बिहार के निर्माताओं को उनके योगदान के लिए नमन करते हुए भास्कर ऐसी 10 शख्सियतों से रू-ब-रू करा रहा है, जो नई पहचान बने हैं। मिसाल बन रहे हैं। आज के हिसाब से नई पीढ़ी को जिनसे प्रेरणा मिल रही है। छठे दिन, आज जानें कि एक बिहारी हॉकी खिलाड़ी अपने आविष्कारों से लोगों की दिनचर्या आसान करते हुए कैसे बन गया ‘क्रिएटिव मैन’-
योगेश कुमार हॉकी के नेशनल खिलाड़ी रहे हैं। नेशनल लेवल हॉकी प्लेयर कोच रहे और अंपायरिंग भी की। बिहार में हॉकी को लड़कियों से जोड़ने का बड़ा काम उन्होंने किया। वे अभी अकाउंटेंट जेनरल ऑडिट पटना ऑफिस में ऑडिटर हैं। लेकिन, उनकी एक बड़ी पहचान ऐसे आविष्कारक की है, जो हर दिन आम लोगों की दिनचर्या को सहज और सेफ बनाने में जुनून की हद तक सोचता और लगा रहता है। योगेश के शागिर्द अजितेश राय ने हॉकी का इंटरनेशनल खेला। अजितेश इंडियन सीनियर हॉकी टीम के कैप्टन भी बने। योगेश ने ऐसे 100 खिलाड़ी दिए, जिन्होंने हॉकी का नेशनल खेला। इनमें से ज्यादातर को हॉकी ने बेहतर नौकरियां दिलाईं। रेलवे, DPS, केन्द्रीय विद्यालय, DAV आदि कई संस्थानों में कोच के रूप में ट्रेनिंग दी। वे हॉकी के एक्सपर्ट के रूप में लिखने वाले और TV पर दिखने वालों में बिहार का बड़ा नाम हैं।
ये कुछ और नहीं, पैशन का मामला है
सुबह साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक वे नौकरी में व्यस्त रहते हैं, लेकिन सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार की छुट्टी के अलावा बाकी दिनों में भी उनकी व्यस्तता कुछ न कुछ नया करने में रहती है। वे कहते हैं कि आपके अंदर पैशन है तो समय की कमी कोई बाधा नहीं। उनका बचपन शेखपुरा जिले के बहुआरा में बीता। जब गांव के बच्चे ताड़ के पत्ते से घिरनी बना रहे थे तब योगेश मेटल से घिरनी बनाते थे। जुगाड़ उनके लिए ऐसा शब्द है, जो उन्हें अलग करता है। वे जब पटना आए तब स्विच ऑफ और ऑन करने की तमीज भी नहीं थी। पटना आने के बाद श्री कृष्ण विज्ञान केन्द्र के डॉ. मिश्रा के संपर्क में आए और दूसरी बैठकी चितकोहरा के गंभीर रेडियो दुकान में होने लगी। दुकानदार भी आश्चर्यचकित होते कि यह बच्चा क्यों हर दिन आकर यहां बैठ जाता है। उन्होंने आविष्कार जैसी पत्रिका देखकर कुछ-कुछ बनाना शुरू किया।
मेडी रॉबोट PHC पर लगाएं जाएं तो अस्पतालों पर मरीजों का भार कमेगा
मेडी रोबोट उन्होंने मेडिकल पर्पस से बनाया। कोरोना काल में जब वे वर्क फ्रॉम होम हो गए, तब दोनों बेटियां आकांक्षा और आस्था पटना ही आ गई थीं। बेटी और पिता ने मिलकर इसे तैयार किया है। यह ऐसा समय था, जब हेल्थ वर्कर, डॉक्टर कोरोना से संक्रमित होने लगे। उनके हेल्प के लिए उन्होंने रोबोट बनाया। यह आम रोबोट की तरह ट्रांसपोर्टेशन जिसमें दवा, ऑक्सीजन, पानी, भोजन आदि तो पहुंचाता ही है साथ ही यह सर्विलांस का काम भी करता है। इसमें कैमरा और टैब लगा है। डॉक्टर दूर बैठे-बैठे ही पेशेंट से बात कर सकते हैं और मरीज डॉक्टर को देखते हुए अपनी बात बताता रहता है। यह सब लाइव होता है। इसमें लगी UV लाइट और कैमिकल स्प्रे आसपास के एरिया को सैनिटाइज करती है।
पटना के स्पंदन, मेडी हर्ट और सहयोग हॉस्पीटल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसका इस्तेमाल किया गया। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत की सलाह पर इसे इंप्रूव भी किया। यह रिमोटली किसी पेशेंट का टेम्परेचर, शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर, ECG, न्यूमेलाइजेशन करता है। हाईरिजोल्यूशन कैमरा से जीभ का कलर तक देख लेता है। ऑक्सीजन लेवल और वजन भी बताता है। इसमें वायरलेस स्टेथेस्कोप लगा है, जिसे मरीज अपने छाती से सटाता है और दूर बैठे डॉक्टर उसकी धड़कन सुन सकते हैं। सबसे बड़ी खूबी यह है कि सभी तरह के टेस्ट की रिपोर्ट यह रीयल टाइम पर देता है। योगेन्द्र कहते हैं कि इसको टेलीमेडिसिन के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी है। इसे PHC लेवल पर लगा दिया जाए तो पेशेंट का चेकअप तुरंत हो जाएगा और अस्पतालों में पेशेंट का दबाव घट सकता है।
स्मार्ट एक्सटेंशन बोर्ड
योगेश ने स्मार्ट एक्स्टेंशन बोर्ड की फुल रेंज तैयार की है। वायरलेस कम्युनिकेशन के जितने भी मीडियम हैं, जैसे- ब्लू टूथ, वाई-फाई, RF ( रेडियो फ्रीक्वेंसी), IR ( इंफ्रा रेड), GSM (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन), अल्ट्रासोनिक, RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन), सबकी रेंज तैयार कर रखी है। । ऐसे अलग-अलग एक्सटेंशन बोर्ड हर इलेक्ट्रिकल इक्यूपमेंट को कंट्रोल कर स्विचिंग कर सकते हैं। ये सभी रिमोट से संचालित होते हैं। GSM से विदेश में बैठकर भी आप अपने घर के लाइट को ऑफ और ऑन कर सकते हैं। योगेश के घर में पंखे उनका आदेश मानते हैं। वे चलने के लिए कहते हैं तो चलने लगते हैं और बंद होने को कहते हैं तो बंद हो जाते हैं। उनके घर का दरवाजा खुल जा सिमसिम कहने से खुलता है। टॉयलेट में प्रवेश करने पर लाइट जल जाता है। शीट पर बैठने पर एग्जॉस्टिंग फैन ऑन हो जाता है।
ब्लाइंड स्टिक से पूरे घर के बिजली के स्विच को कंट्रोल कर सकते हैं
योगेश ने जब ब्लाइंड लोगों को देखा तो सोचा आम लोगों की तुलना में इनके जीवन में बहुत कष्ट है। ब्लाइंड स्टिक को उन्होंने सेंसर से जोड़ा। ब्लाइंड व्यक्ति टोपी लगा ले तो सिर का भी बचाव कर सकते हैं। दरवाजा की ऊंचाई कम है तो नजदीक आने पर टोपी आवाज करने लगती है। ब्लाइंड व्यक्ति योगेश की तैयार स्टिक से ही पूरे घर के पंखा, बल्ब, फ्रीज, AC आदि को कंट्रोल कर सकते हैं। स्टिक में लगे पैनिक बटन को दबाने पर उस आदमी को मैसेज चला जाता है, जिसका मोबाइल नंबर उससे जुड़ा है। स्टिक में अंधेरा के बाद लाइट जलने लगता है। इससे सामने से आ रही किसी गाड़ी को पता चल जाता कि कोई आ रहा है। स्टिक हाथ से छूट कर गिर गया तो व्यक्ति के सिटी बजाने पर छड़ी से बिप्प… की आवाज आने लगती है। दिव्यांगों के जीवन को आसान बनाने के लिए उन्होंने उनकी वैसाखी में शॉकर लगाया है। वे दिव्यांगों को उनकी दिनचर्या आसान बनाने की मुहिम में लगे हैं और इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग भी देते हैं।
UV डिस्इंफेक्टेड बॉक्स और सैनिटाइजर मशीन
कोरोना काल में इन्होंने UV डिस्इंफेक्टेड बॉक्स और सैनिटाइजर मशीन बनाई। इसमें दो हाई स्पीड फैन लगे हैं। फिल्टर एयर भी इसमें लगा है। इसलिए इसे ऑन कर देने पर जहां-जहां इसकी इंफ्रा रेड जाती है उस एरिया को प्यूरीफाई करती है। किसी सामान के ऊपर इसे रख दें तो उसे भी यह वायरस से प्यूरीफाई करती है। इनके द्वारा तैयार सैनिटाइजर मशीन का मल्टीपर्पस यूज है। इसमें एयर और कैमिकल्स को एडजस्ट करने की सुविधा है। इससे स्प्रे निकलता है। इसमें उन्होंने समय की सेटिंग कम्प्यूटर कोडिंग से की है। कितना नजदीक जाने पर यह ऑन होगा, यह सब एडजस्ट कर सकते हैं। योगेश के घर में एक्यूरियम से लेकर कूलर तक में आपको उनका दिमाग जरूर दिखेगा। ऑफिस की थकान का इस दिमाग से कोई लेना-देना नहीं। वह तो हमेशा नया सोचते रहते हैं।
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