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पटनाएक घंटा पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
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- विधानसभा चुनाव में लापरवाही के कारण अन्य राज्यों से काफी संवेदनशील है बिहार
- सभी प्रभावित राज्य सेकेंड वेब को लेकर पूरी तरह से संजीदा होकर काम कर रहे हैं
यूरोप के साथ भारत के कई राज्यों में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। खतरा कोरोना की दूसरी वेब को लेकर है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से लेकर देश के अन्य कई राज्यों में इस खतरे से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी हो रही है, लेकिन बिहार इसमें काफी पीछे है। विधानसभा चुनाव में कोविड गाइडलाइन की अनदेखी से बिहार देश का सबसे संवेदनशील राज्य है। अगर कोरोना की दूसरी वेब बिहार में आई तो लापरवाही बड़ी तबाही बचाएगी।
खतरनाक हो रही कोरोना की दूसरी वेब
कोरोना की दूसरी वेब काफी खतरनाक हो रही है। केरल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के साथ देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना का संक्रमण एक बार कम होकर अचानक से बढ़ गया है। केरल को कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए मॉडल माना जा रहा था लेकिन थोड़ी सी लापरवाही हुई तो संक्रमण से हाहाकार मच गया। अब ऐसी लापरवाही का खामियाजा दूसरे राज्यों को न भुगतना पड़े, इसे लेकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के साथ केरल, दिल्ली, मुम्बई के साथ लगभग सभी प्रभावित राज्य सेकेंड वेब को लेकर पूरी तरह से संजीदा होकर काम कर रहे हैं।
कोरोना के सेकेंड वेब को लेकर अन्य राज्यों में तैयारी
कोरोना के सेकेंड वेब से बचने को लेकर बात पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की तैयारी की करें तो वहां जांच बढ़ा दिया गया है। संक्रमण की कड़ी की पड़ताल का काम पहले से और तेज कर दिया गया है। अस्पतालों में फिर से बेड की संख्या बढ़ाने के साथ आक्सीजन सिलेंडरों की भी व्यवस्था की जा रही है। आईसीयू और वेंटीलेटर को लेकर भी तेजी से काम किया जा रहा है। कोविड पर काम करने वाले उत्तर प्रदेश के एक्सपर्ट अवकाश प्राप्त डॉक्टर डॉक्टर एस के सक्सेना बताते हैं कि सेकेंड फेज का खतरा और बड़ा हो सकता है। यूरोप के साथ कई देश में खतरा मंडरा रहा है। भारत में कई राज्य इस खतरे को भांपकर तैयारी में लगे हैं। जिस तरह से मामले बढ़ रहे हैं, इससे अगर चेता नहीं किया गया तो आने वाले दिनों संकट होगा।
बिहार में चुनाव के साथ कई बड़ी चुनौती
दूसरे वेब को लेकर पूरे देश में बिहार सबसे संवेदनशील है। यहां विधानसभा चुनाव में कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके साथ बाजारों में भी मास्क की जांच को लेकर कोई सक्रियता नहीं है। न तो पुलिस जांच कर रही है और ना ही स्वास्थ्य विभाग, ऐसे में कोरोना की दूसरी जरह को लेकर तैयारी और खतरा दोनों का अंदाजा लगाया जा सकता है। कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमण का फैलाव 17 दिनों में होता है। अगर इस समय संक्रमण का फैलाव हुआ तो इसका असर 17 दिन में दिखाई पड़ेगा। चुनाव में जिस तरह की लापरवाही देखने को मिल रही है, नेता संक्रमित होने के बाद भी चुनाव प्रचार में हैं इससे दूसरी लहर को कोई नहीं रोक सकता है। ऐसी ही लापरवाही रही तो हालात बेकाबू भी हो सकते हैं।
केरल की तरह बिहार में भी निश्चिंतता
उत्तर प्रदेश में कोविड पर काम करने वाले एक्सपर्ट डॉक्टर एस के सक्सेना का कहना है कि केरल में जब कोरोना संक्रमण पर काबू पाया गया तो उसे मॉडल बना दिया गया। इसके बाद निश्चिंतता हो गई जिससे संक्रमण का दायरा बढ़ने लगा। उत्तर प्रदेश में भी अचानक से संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है। अब तैयारी दूसरे वेब से निपटने को लेकर है। बिहार में जिस तरह से चुनाव में लापरवाही हो रही है, बड़े खतरे का संकेत है। अगर इसे लेकर पहले से चेता नहीं गया और निश्चिंतता बनी रही तो खतरा बढ़ा सकता है।
कोरोना के दूसरे वेब से बचाव का सरकारी दावा
स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार का कहना है कि कोरोना के दूसरे वेब को लेकर तैयारी पहले जैसी है। जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। बिहार में कुल 40 हजार बेड हैं। मेडिकल कॉलेजों में कोविड संक्रमण के उपचार को लेकर व्यवस्था है। जांच में जो भी पॉजिटिव आ रहे हैं उन्हें क्वारैंटाइन में रहना है। इसमें सख्ती बरती रही है, कोई भी मनमानी होती है तो कार्रवाई भी की जाती है। चुनाव में मनमानी और इससे कोरोना की दूसरी फेज के खतरे के सवाल पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा प्रशासन इसकी जांच कर कार्रवाई करता है।
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