Home Bihar बिहार में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मरीज: पटना की महिला में दिखे लक्षण, PMCH की टीम कर रही जांच; 24 घंटे पहले जारी किया था अलर्ट

बिहार में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मरीज: पटना की महिला में दिखे लक्षण, PMCH की टीम कर रही जांच; 24 घंटे पहले जारी किया था अलर्ट

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बिहार में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मरीज: पटना की महिला में दिखे लक्षण, PMCH की टीम कर रही जांच; 24 घंटे पहले जारी किया था अलर्ट

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पटना2 मिनट पहले

बिहार में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मरीज मिला है। महिला पटना सिटी के गुडहट्टा एरिया की निवासी है। PMCH की माइक्रो वायरोलॉजी विभाग की टीम सैंपल लेने मरीज के घर पहुंची है। महिला में मंकीपॉक्स के सभी लक्षण मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग इस केस को संदिग्ध मान रहा है। इसलिए इसकी जांच कराई जा रही है। महिला की ट्रैवल हिस्ट्री का भी अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है।

डॉक्टर के के राय ने बताया कि जांच के लिए 4 लोगों की टीम बनाई गई है। मरीज के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIB ) पुणे भेजे जाएंगे। जहां उसकी जांच की जाएगी। महिला अभी कहां रहना चाहती है वो उसपर निर्भर है। होम आइसोलेशन की व्यवस्था ठीक होगी तो उसे घर पर ही रखा जाएगा। अगर व्यवस्थाएं नहीं होगी तो अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा।

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मंकीपॉक्स को लेकर बिहार में भी अलर्ट

मंकीपॉक्स के संक्रमण को लेकर जांच की व्यवस्था करने का निर्देश जारी किया गया है। केंद्र से मिली गाइडलाइन को सभी चिकित्सा प्रभारियों को भेजा गया है। निर्देश दिया है कि मंगलवार को सभी चिकित्सक, आशा और एएनएम को मंकीपॉक्स के लक्षणों के बारे में ठीक से बताएं। एनएम या आशा को किसी मरीज में लक्षण मिले तो वह तुरंत इसकी सूचना दे।

सिविल सर्जन डॉ. केके राय ने बताया कि संभावित मरीज मिलने पर तुरंत जानकारी देने का निर्देश दिया गया है। गाइडलाइन के अनुसार मरीज का सैंपल लेकर जांच के लिए एनआईवी पुणे भेजना होगा। मंकीपॉक्स का सोर्स चूहा या गिलहरी को माना जाता है।

भारत में मंकीपॉक्स से संक्रमित 4 लोगों की प्रोफाइल पढ़िए…

पहला: केरल के कोल्लम का रहने वाला एक 35 साल का शख्स 12 जुलाई को UAE की यात्रा कर लौटा था। इसके बाद वह मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाया गया।

दूसरा: केरल के कन्नूर शहर में 31 साल का एक शख्स 13 जुलाई को दुबई से लौटा था। बाद में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया।

तीसरा: केरल के ही मल्लपुरम में एक 35 साल का शख्स यूनाइटेड अरब अमीरात से 6 जुलाई को लौटा था, बाद में उसमें भी मंकीपॉक्स वायरस मिला।

चौथा: दिल्ली में बिना विदेश गए 34 साल का एक मरीज पॉजिटिव मिला है। हालांकि, ये शख्स मनाली में एक पार्टी में शामिल होकर कुछ दिनों पहले लौटा था।

इन चारों ही मामलों में संक्रमित पुरुष हैं और सभी की उम्र 35 साल या उससे कम है। साथ ही दिल्ली में बिना विदेश यात्रा के केस मिलने के बाद लोगों में खौफ बढ़ गया है।

संक्रमण हो तो क्या करें : संक्रमित मरीज को आइसोलेट कर देना चाहिए। मरीज मास्क पहने या मुंह-नाक कवर करे। तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे। संक्रमित का बिस्तर, कपड़े, तौलिया को नहीं छुएं। हाथ साबुन से हाथ धोएं या सैनेटाइज करें।

मुख्य लक्षण : सिविल सर्जन के मुताबिक मंकीपॉक्स के मुख्य लक्षणों में बुखार, सर्दी, सिरदर्द, गले में खरास, कफ, मांसपेशियों में दर्द, बहुत ज्यादा कमजोरी, त्वचा में रैश, आंख में दर्द, चेस्ट पेन, पेशाब में कमी, बेहोशी जैसी स्थिति भी हो सकती है।

कैसे होता है संक्रमण : इंसान के बॉडी फ्लुइड या यौन संपर्क से एक-दूसरे को संक्रमण लग सकता है। इसके अलावा संक्रमित के कपड़े के इस्तेमाल से भी संक्रमण हो सकता है। लंबे समय तक पीड़ित व्यक्ति के साथ रहने पर भी संक्रमण हो सकता है।

मंकीपॉक्स बीमारी क्या है?
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक यह बीमारी मंकीपॉक्स नाम के वायरस से होती है। मंकीपॉक्स, ऑर्थोपॉक्स वायरस परिवार का हिस्सा है। इसमें भी चेचक की तरह शरीर पर दाने हो जाते हैं। दरअसल, चेचक को फैलाने वाला वैरियोला वायरस भी ऑर्थोपॉक्स फैमिली का ही हिस्सा है।

हालांकि, मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तरह गंभीर नहीं, बल्कि हल्के होते हैं। यह बहुत कम मामलों में ही घातक होता है। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इसका चेचक से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या मंकीपॉक्स थूक, छींक, खून और स्पर्म से भी फैलता है?

डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के अनुसार मंकीपॉक्स एक कॉन्टैक्ट डिजीज है, जो मुख्यतौर पर तीन तरह से फैलता है…

पहला: स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट में आने से। मतलब जब कोई एक व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है।

दूसरा: बॉडी फ्लूइड के जरिए। मतलब ये कि संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले थूक, छींक, पसीने आदि से ये बीमारी फैलती है।

तीसरा: रैशेज के संपर्क में आने से भी मंकीपॉक्स बीमारी के फैलने की आशंका होती है।

जब हमने डॉक्टर से खून और स्पर्म से मंकीपॉक्स फैलने की आशंका को लेकर बात की तो डॉक्टर लहारिया ने कहा कि खून से मंकीपॉक्स बीमारी फैलने के सबूत नहीं मिले हैं। बाकी शरीर से निकलने वाले हर तरह के फ्लूइड से यह बीमारी फैलती है।

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