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बैंकों में हड़ताल: सरकार की निजीकरण नीति के विरोध में बैंककर्मियों ने धरना प्रदर्शन के साथ घूम-घूमकर निजी बैंकों व एटीएम काे बंद कराया

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बैंकों में हड़ताल: सरकार की निजीकरण नीति के विरोध में बैंककर्मियों ने धरना प्रदर्शन के साथ घूम-घूमकर निजी बैंकों व एटीएम काे बंद कराया

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  • In Protest Against The Privatization Policy Of The Government, The Bank Employees Went Around With The Demonstration And Closed The Private Banks And ATMs.

मुजफ्फरपुर29 मिनट पहले

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एसबीआई रीजनल ऑफिस के सामने प्रदर्शन करते यूएफबीयू के पदाधिकारी और सदस्य। - Dainik Bhaskar

एसबीआई रीजनल ऑफिस के सामने प्रदर्शन करते यूएफबीयू के पदाधिकारी और सदस्य।

निजीकरण के खिलाफ बैंककर्मियाें की दाे दिवसीय हड़ताल के पहले दिन गुरुवार काे बैंकाें में ताले लटक गए। बैंककर्मी सुबह से ही बैनर-झंडा लिए अपनी-अपनी शाखाअाें के समक्ष जम गए। एसबीआई के आंचलिक कार्यालय, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ाैदा, पीएनबी समेत अन्य बैंकाें के अंचल कार्यालयाें पर सरकार के विरुद्ध नारेबाजी हाेती रही। बैंक ऑफ इंडिया मिठनपुरा में जिला संयोजक चंदन कुमार व जनार्दन यादव, एसबीआई अंचल कार्यालय में असीत दास, प्रेम कुमार, आनंद कुमार, बैंक ऑफ बड़ाैदा में मनोज कुमार, समीर कुमार, इंडियन बैंक के समक्ष विशाल सिन्हा, धीरज कुमार, सेंट्रल बैंक में एसएन सिंह, राहुल आनंद, यूबीजीबी में डीएन त्रिवेदी, अरुण सिंह के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन हुआ। बैंककर्मियाें ने घूम-घूम कर निजी बैंकाें व एटीएम काे भी बंद कराया।

यूएफबीयू के अाह्वान पर शुक्रवार काे भी बैंकाें में हड़ताल रहेगी। बैंकिंग काराेबार पूरी तरह ठप रहा। जिले में तकरीबन 3000 कराेड़ के चेक की क्लीयरिंग समेत जमा-निकासी नहीं हाेने से बाजार में व्यवसाय भी प्रभावित रहा। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव सह ज्वाइंट फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियंस के संयोजक डीएन त्रिवेदी ने कहा कि जिले में 20 हजार रुपए के बैंकिंग काराेबार पर गहरा असर पड़ा है। बैंकाें के निजीकरण का गांव, गरीब, किसान, छात्र, बेरोजगार के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

बिहार स्टेट सेंट्रल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि जिले में व्यावसायिक बैंकाें में ही 500 कराेड़ रुपए से अधिक का चेक क्लीयरेंस नहीं हुआ। बैंकाें काे तकरीबन 200 कराेड़ रुपए का घाटा हाेने का अनुमान है। उन्हाेंने कहा कि सरकार काे अपनी नीति बदलनी हाेगी। निजी बैंक की शाखाएं सीमित होने के कारण आम आदमी तक उनकी पहुंच नहीं है। 1951 से 1969 तक 477 निजी बैंक बंद हो गए। उनमें नागरिकों के जमा पैसे डूब गए। हाल में भी पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विकास बैंक में जमा किए रुपए निकालना ग्राहकाें के लिए मुश्किल भरा रहा है। उबि चैंबर ऑफ काॅमर्स के महासचिव सज्जन शर्मा ने कहा कि बाजार में खरीदार व छाेटे काराेबारी कम आए। सूतापट्टी व गाेला में भी अन्य दिनाें की अपेक्षा व्यवसाय 30 प्रतिशत कम हुआ। चेक क्लीयरेंस रुकने से माल नहीं आ सके।

तीन हजार कराेड़ का चेक क्लीयरेंस अटका, बाजार भी काफी प्रभावित

  • 4000 से अधिक बैंककर्मी हड़ताल पर रहे
  • 357 शाखाओं में ठप रहा बैंकिंग काराेबार
  • 180 ग्रामीण बैंक शाखाओं में लटके ताले
  • 442 एटीएम में नहीं डाला जा सका कैश

कैश फीड नहीं होने से दाेपहर बाद ही एटीएम पर लग गए नो कैश के बोर्ड
हड़ताली कर्मियाें के टारगेट पर एटीएम भी रहे। कैश फीड नहीं हाेने के कारण दाेपहर बाद ही एटीएम के सामने नाे कैश के बाेर्ड लग गए। कुछ एटीएम में सुबह कैश हाेने पर निकासी हाेते देखकर बैंककर्मियाें ने शटर डाउन करवा दिया। इससे लाेगाें काे भारी परेशानी हुई। जूरन छपरा में इलाज के लिए पहुंचे कई मरीजाें के परिजन रुपए निकासी के लिए भटकते रहे। काजीइंडा चाैक निवासी राहुल सिंह ने कहा कि आसपास की सभी एटीएम बंद थी, इसलिए डाॅक्टर से दिखाने के बाद दवा नहीं ले सके।

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