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बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ईडी को कड़ी चेतावनी, ‘कानून के दायरे में काम करें, नागरिकों को परेशान न करें |

Source : Reuters

बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ईडी को कड़ी चेतावनी, ‘कानून के दायरे में काम करें, नागरिकों को परेशान न करें |

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को फटकार लगाते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें एजेंसी को कानून के अनुसार कार्य करने और नागरिकों को परेशान न करने की सख्त हिदायत दी। कोर्ट ने ईडी और शिकायतकर्ता दोनों पर ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया। यह मामला रियल एस्टेट डेवलपर राकेश जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से जुड़ा था, जिसे कोर्ट ने बेबुनियाद और गैर-कानूनी करार दिया।


मामले का विवरण और पृष्ठभूमि

  1. शिकायत और आरोप:
    • यह मामला गुल आचरा, एक प्रॉपर्टी खरीददार द्वारा राकेश जैन, एक रियल एस्टेट डेवलपर के खिलाफ दायर शिकायत पर आधारित था।
    • शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जैन ने प्रॉपर्टी लेन-देन में धोखाधड़ी और समझौते का उल्लंघन किया है।
    • इस शिकायत के आधार पर, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जाँच शुरू की और जैन को समन जारी किया।
  2. ईडी की जांच और कार्रवाई:
    • ईडी ने शिकायत को आधार बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की और जैन को विशेष PMLA अदालत में बुलाया।
    • अगस्त 2014 में विशेष अदालत ने इस मामले में शिकायत को स्वीकार कर लिया।
  3. राकेश जैन की याचिका:
    • जैन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने ईडी की कार्रवाई को आधारहीन और उत्पीड़न करार दिया।
    • उनका तर्क था कि मनी लॉन्ड्रिंग या वित्तीय अनियमितता के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।

हाईकोर्ट के फैसले और टिप्पणियां

बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी की और ईडी की कार्रवाई को न केवल निरस्त किया बल्कि इसे गैर-कानूनी और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।

1. सबूतों की कमी और लापरवाही:

2. ईडी की अधिकारों का दुरुपयोग:

3. नागरिक अधिकारों का संरक्षण:

4. शिकायतकर्ता की भूमिका पर सवाल:


जुर्माने का आदेश

  1. ईडी पर ₹1 लाख का जुर्माना:
    • कोर्ट ने ईडी पर नागरिकों को परेशान करने और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन न करने के लिए जुर्माना लगाया।
    • यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि एजेंसियां जिम्मेदारी से काम करें।
  2. शिकायतकर्ता पर ₹1 लाख का जुर्माना:
    • शिकायतकर्ता गुल आचरा पर भी ₹1 लाख का जुर्माना लगाया गया।
    • यह फैसला उन लोगों के लिए कड़ा संदेश है जो झूठी या दुर्भावनापूर्ण शिकायतें दर्ज कराते हैं।

जुर्माने का उपयोग:


फैसले का महत्व

यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से कानूनी एजेंसियों की जवाबदेही और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के संदर्भ में।

1. जांच एजेंसियों की जवाबदेही:

2. नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा:

3. पीएमएलए के दुरुपयोग पर रोक:

4. झूठी शिकायतों पर लगाम:


अपील के लिए समय दिया गया

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