बढ़ रहा कोरोना, खुल रहे स्कूल, डर रहे गार्जियन: काउंटडाउन पर अभिभावक बोले- डर बढ़ गया है, कैसे भेजेंगे; सरकार चुप

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पटना9 घंटे पहलेलेखक: शालिनी सिंह

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  • सरकारी स्कूल हैं खुले हुए, प्राइवेट खुलने लगेंगे सोमवार से
  • बिहार में सबसे ज्यादा संक्रमण पटना में, बचाव यहां भी नहीं

ऐसा नहीं कि स्कूल के टीचर कोरोना पॉजिटिव नहीं हो रहे। न ही ऐसा है कि अभिभावकों को देश के कई राज्यों के साथ बिहार में बढ़ता कोरोना संक्रमण नहीं दिख रहा है। कोरोना की नई लहर के बीच जैसे-जैसे स्कूलों का नया सेशन शुरू होने की तारीख नजदीक आ रही है, हलक सबका सूख रहा है, क्योंकि डर सबको लगता है। 8 मार्च को 24 घंटे में जिस बिहार में कोरोना के सिर्फ 21 केस सामने आए थे, वहां 1 अप्रैल की रिपोर्ट में 24 घंटे के अंदर ही 488 केस आ गए। कई दिनों तक कोविड से किसी मौत की खबर नहीं आ रही थी, लेकिन मार्च के अंत में ही 2 से 3 मौत की खबर आने लगी। 5 अप्रैल से प्राइवेट स्कूलों में नए सेशन की शुरुआत हो रही है। इसलिए गार्जियन डरे हुए हैं कि बच्चों को स्कूल कैसे भेजें। सरकारी स्कूल खुले हैं, इसलिए सरकार ने भी चुप्पी साध रखी है। ऐसे में, भास्कर आज से लगातार अभिभावकों की चिंता को सामने लाने की मुहिम शुरू कर रहा है।

सरकार…आंकड़ों पर नहीं ध्यान है तो इस डर को समझिए

पटना सहित बिहार के ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों ने नए सत्र से फिजिकल क्लासेज शुरू करने का नोटिस जारी कर दिया है। स्कूलों ने अभिभावकों को नोटिस में क्लास एक से ऊपर की कक्षाओं को शुरू करने की जानकारी दी है। अब, जबकि कोरोना पॉजिटिव के सबसे ज्यादा केस पटना में आ रहे हैं, राजधानी के बड़े प्राइवेट स्कूलों ने 5, 6 और 7 अप्रैल से स्कूल खोलने की तारीख बता दी है। एक बड़े स्कूल ने 12 अप्रैल से खोलने की तैयारी कर रखी है। मतलब साफ है कि भले ही देश के कई राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर के कारण स्कूलों को बंद करने के फैसले लिए जा रहे हैं, लेकिन बिहार के स्कूल बेखौफ माहौल दिखा रहे हैं। पटना की देखादेखी राज्य के अन्य जिलों में भी स्कूल तेजी से खुलने लगेंगे, यह भी पक्का है।

स्कूल बंद कराने की भास्कर मुहिम चाह रहे अभिभावक

स्कूली बच्चों के अभिभावकों और प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों ने भास्कर से इस विषय पर खुद ताकीद की। अभिभावकों और शिक्षकों ने कहा कि भास्कर ने अभिभावक और स्कूल प्रबंधन, दोनों की परेशानियों को देखते हुए स्कूल खोलने और फीस को लेकर बीच का रास्ता निकालने के लिए मुहिम चलाई थी। अब कोरोना को दोबारा बढ़ते देख भी भास्कर को खड़ा होना चाहिए। स्कूलों के एक्शन के डर से अभिभावक सामने नहीं आ रहे, लेकिन वह अपनी बातें भास्कर से साफ कह रहे। ऐसी बातें सामने आने के बाद भास्कर ने स्कूल प्रबंधकों से बात की तो सामने आया कि असल में इस मामले में बिहार सरकार के फैसले ने ही अभिभावकों की मुश्किल बढ़ाई है। 21 फरवरी को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक हुई थी। बैठक के बाद सरकार ने 1 मार्च से कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चों के लिए भी स्कूल खोलने का फैसला लिया था। इससे पहले से कक्षा 5 से 12 तक के लिए स्कूल पहले ही खुल चुके थे।

वजह है फी, आधार है सरकारी चुप्पी, बचाव है NOC

क्राइसिस मैनजमेंट ग्रुप की बैठक में यह भी फैसला लिया गया था कि स्कूल खुलने के 15 दिन बाद स्थितियों की समीक्षा होगी कि क्लासेज को जारी रखना है या नहीं। प्राइवेट स्कूलों में तो फिर भी कोरोना गाइडलाइन का पालन हो रहा है, सरकारी स्कूल तो भगवान भरोसे हैं। इस बीच 8 मार्च से कोरोना ने बिहार में अपनी गति पहले दोगुनी, फिर चार गुनी की और अब तक उस लिहाज से 20 गुनी बढ़ने की गति में है कोरोना। लेकिन, क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप ने नया कोई फैसला नहीं दिया। इसी चुप्पी को आधार बनाकर स्कूल खुल रहे हैं, ताकि फीस मिल जाए। और, स्कूलों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) के रूप में अभिभावकों से लेने वाला डिक्लेरेशन फॉर्म बचाव का रास्ता भी दिखा रहा है। इस फॉर्म को भरने के लिए अभिभावक मजबूर हैं। इसमें लिखा होता है कि उनके बच्चे का स्वास्थ्य ठीक है और वह उनकी मर्जी से स्कूल जा रहा है।

कोरोना की दूसरी लहर का कहर बढ़ रहा, सावधान रहें

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भारत में तेजी से फैल रही है। नए केस के मामलों में हर दिन रिकॉर्ड टूट रहा है। अप्रैल 2021 में सितबंर 2020 जैसा हाल हो गया है। 29 सितंबर को लगभग 82 हजार नए केस आए थे। अब देश में एक बार फिर रिकॉर्ड 81 हजार से ज्यादा कोरोना के नए केस आए हैं। 24 मार्च से लगातार 50 हजार से ज्यादा कोरोना केस आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 81,466 नए कोरोना केस आए और 469 लोगों की जान चली गई है। अच्छी बात है कि बिहार की हालत अभी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, छत्तीसगढ़ जैसी नहीं है।

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