Home Bihar भागलपुर के वकील मर्डर मामले में केस डायरी की मांग: हाईकोर्ट में आरोपी की जमानत पर सुनवाई, वकील की दाई का भी हुआ था मर्डर

भागलपुर के वकील मर्डर मामले में केस डायरी की मांग: हाईकोर्ट में आरोपी की जमानत पर सुनवाई, वकील की दाई का भी हुआ था मर्डर

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भागलपुर के वकील मर्डर मामले में केस डायरी की मांग: हाईकोर्ट में आरोपी की जमानत पर सुनवाई, वकील की दाई का भी हुआ था मर्डर

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पटना/भागलपुर43 मिनट पहले

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मुख्य आरोपी की जमानत याचिका पर जस्टिस प्रभात कुमार सिंह ने दिया आदेश। - Dainik Bhaskar

मुख्य आरोपी की जमानत याचिका पर जस्टिस प्रभात कुमार सिंह ने दिया आदेश।

पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता रहे कामेश्वर पांडेय और उनकी दाई की हत्या के मामले में केस डायरी की मांग की है। कामेश्वर पांडेय बिहार स्टेट बार काउंसिल के सदस्य भी रहे थे। जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की एकलपीठ ने मुख्य अभियुक्त गोपाल भारती द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।

कामेश्वर पांडेय के भतीजे अभिजीत कुमार द्वारा 6 मार्च, 2020 को स्थानीय पुलिस को दी गई लिखित सूचना के आधार पर आईपीसी की धारा 302, 380, 120(बी) व 34 के तहत भागलपुर जिले में कोतवाली (तिलकामांझी) प्राथमिकी संख्या 72/ 2020 दर्ज की गई थी। इसी दिन अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय के ड्राइवर द्वारा अभिजीत कुमार को फोन पर सूचना दी गई थी कि तुरंत घर आ जाइए, वकील साहब की हत्या हो गई है।

हत्या के बाद कामेश्वर पांडेय के घर के मुख्य द्वार के पास कुछ खून के धब्बे पाए गए थे। वे अपने बेडरूम में अस्त-व्यस्त हालात में अचेत पड़े हुए थे। उनके चेहरे पर खून लगा हुआ तकिया रखा हुआ पाया गया था। कमरे में रखा हुआ आलमारी टूटा था और उसमें रखा हुआ सामान गायब था।

मुख्य द्वार के निकट पोर्टिको में जेनरेटर के बगल में रखे ड्राम में दाई का मृत शव पाया गया था। घर से नकदी, कागजात, एक स्मार्ट फोन और कामेश्वर पांडेय के कार को लेकर आरोपी अपने साथियों के साथ भाग गए थे।

कोर्ट को बताया गया कि दर्ज प्राथमिकी के अनुसार मृत कामेश्वर पांडेय का किराएदार गोपाल भारती से आए दिन मकान खाली करने को लेकर विवाद होता रहता था। दाई से भी उलझा करता था और धमकी भी देता था कि तुमलोगों को देख लेंगे। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया था। इस बात की जानकारी मोहल्ले, परिवार वालों और कचहरी के कुछ लोगों को भी थी। सबका मानना था कि गोपाल भारती का विचार और व्यवहार अच्छा नहीं था।

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