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भागलपुर2 घंटे पहले
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मृत छात्र के पिता का कहना है कि ऋषिकेश डिप्रेशन का शिकार हो गया था, जिस वजह से उसने खुदकुशी कर ली।
भागलपुर के नवगछिया स्थित राजेंद्र कॉलोनी में युवक ने गले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान LIC एजेंट सह निजी कोचिंग संचालक के पुत्र हेमंत कुमार झा के लगभग 22 वर्षीय पुत्र ऋषिकेश कुमार झा के रूप में हुई है। वह ITI का छात्र था और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता था। शुक्रवार सुबह ऋषिकेश की मां माधुरी देवी सुबह में उसे जगाने के लिए गई तो दरवाजा अंदर से बंद पाया गया। इसके बाद उसे मोबाइल पर कॉल किया लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। एक घंटे बाद भी जब ऋषिकेश ने दरवाजा नहीं खोला तो घरवालों को शक हुआ। इसके बाद दरवाजा तोड़ कर घरवाले कमरे के अंदर घुसे तो दंग रहे गए। ऋषिकेश फंदे से झूल रहा था।
घरवालों का कहना है ऋषिकेश डिप्रेशन में आकर खुदकुशी की है। घटना की बाद इलाके में हड़कंप मच गया। आसपास के लोगों की भीड़ लग गई। इधर, घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। नवगछिया थानाध्यक्ष भरत भूषण ने बताया कि मृतक के पिता के बयान पर UD केस दर्ज किया गया है। घरवालों का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता से ऋषिकेश डिप्रेशन में चला गया था। फिलहाल पुलिस मोबाइल और लैपटॉप को खंघालते हुए पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है।
कहते हैं मृतक के पिता
मृत युवक के पिता हेमंत झा ने बताया कि ऋषिकेश कुमार झा ने इसी वर्ष गाजियाबाद में ITI में एडमिशन करवाया था। इसके साथ- साथ वह प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी करता था। परिजनों द्वारा बयान दिया गया है कि प्रतियोगी परीक्षा में पूर्ण रूप सफल नहीं होने और नौकरी नहीं लगने की वजह से ऋषिकेश डिप्रेशन का शिकार हो गया था, जिस वजह से उसने खुदकुशी कर ली।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस JLMCH के नोडल पदाधिकारी डॉ. हेमकांत शर्मा ने बताया कि नए उम्र के युवाओं में आत्महत्या करने की 2 बातें हो सकती हैं। पहली बात यह है कि उनकी अपेक्षाएं बदल गए हैं। दूसरी बात यह है कि कोविडकाल में लॉकडाउन और बंदी होने से डिप्रेशन बढ़ गया है। घर में रहने के बाद भी परिवार से मेल-मिलाप कम हो गया है। मोबाइल और लैपटॉप गेम भी इसके कारक बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को पबजी जैसे टारगेट गेम से भी दूर रहने की जरूरत है। परिवार के लोगों को बच्चों के साथ समय देना चाहिए और अगर हो सके तो कम से कम एक शाम का भोजन परिवार के सभी सदस्य एक साथ खाते हुए खुलकर बातचीत करें। सबसे बड़ी बात यह है कि अभिभावक अपने बच्चे के साथ पिता अपने पुत्र के साथ दोस्त जैसा व्यवहार करें तो आत्महत्या जैसी घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी।
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