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भारत का मोबिलिटी मार्केट 2030 तक $600 बिलियन को पार करेगा: Google India mobility

Source : Times of Oman

भारत का मोबिलिटी मार्केट 2030 तक $600 बिलियन को पार करेगा: Google India mobility

भारत का मोबिलिटी मार्केट Google और Boston Consulting Group (BCG) की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक $600 बिलियन को पार करने के लिए तैयार है। यह वृद्धि मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), डिजिटल प्लेटफार्मों, और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव के कारण हो रही है। रिपोर्ट में भारतीय परिवहन क्षेत्र के तेजी से बदलते परिदृश्य को रेखांकित किया गया है, जो तकनीकी नवाचार, स्थिरता की दिशा में परिवर्तन और सरकारी नीतियों से प्रेरित है।


भारत के मोबिलिटी सेक्टर में विकास के प्रमुख कारण

  1. तकनीकी प्रगति और डिजिटल प्लेटफार्म:
    • भारत में स्मार्टफोन और इंटरनेट का बढ़ता उपयोग डिजिटल मोबिलिटी समाधानों को बढ़ावा दे रहा है, जैसे राइड-हेलिंग ऐप्स (Ola, Uber), शेयर किए गए इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), और माइक्रो-मोबिलिटी समाधान (e-सकूटर, e-बाइक)।
    • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से ट्रैफिक प्रबंधन, ऑटोनॉमस व्हीकल्स और राइड-शेयरिंग सेवाएं अधिक कनेक्टेड और कुशल बन रही हैं, जो भारतीय परिवहन परिदृश्य को पूरी तरह बदल रही हैं।
  2. इलेक्ट्रिक वाहन (EVs):
    • इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) भारतीय मोबिलिटी मार्केट के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभर रहे हैं। 2030 तक, इलेक्ट्रिक वाहन भारतीय बाजार का 30-35% हिस्सा बनने की संभावना है।
    • सरकारी प्रोत्साहन, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए किफायती मॉडल और बैटरी तकनीकी सुधार EVs के अधिकाधिक अपनाने में मदद कर रहे हैं।
  3. सरकारी समर्थन और नीतियां:
    • भारत सरकार की नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) और फास्ट ट्रैक इलेक्ट्रिक व्हीकल योजना (FAME) इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।
    • FAME II योजना, 2019 में शुरू की गई, ने इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और खरीद के लिए प्रोत्साहन दिए हैं, और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को बढ़ावा दिया है।
    • EV-friendly इन्फ्रास्ट्रक्चर और कम शुल्क के माध्यम से सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए एक अनुकूल वातावरण बना रही है।
  4. शहरीकरण और बढ़ती आय स्तर:
    • भारत में शहरीकरण की गति तेज़ हो रही है, विशेषकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, और चेन्नई जैसे महानगरों में। इसके साथ ही मध्यम वर्ग का विस्तार हो रहा है, जो व्यक्तिगत वाहनों और लॉक्सरी राइड-हेलिंग सेवाओं की बढ़ती मांग का कारण बन रहा है।
    • माइक्रो-मोबिलिटी समाधानों जैसे ई-रिक्शा, शेयर किए गए इलेक्ट्रिक स्कूटर और बाइक्स शहरी परिवहन की एक महत्वपूर्ण दिशा बन रही हैं।

इलेक्ट्रिक वाहन: विकास का मुख्य स्तंभ

  1. EVs का बढ़ता अपनाना:
    • रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकृति तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि EVs के मॉडल में सुधार और बैटरी की कीमतें गिरने के कारण इनकी लागत किफायती होती जा रही है।
    • प्रमुख कंपनियां जैसे Ola Electric, Ather Energy, Tata Motors, और Mahindra Electric इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और फोर-व्हीलर्स के लिए भारतीय बाजार में नवाचार कर रही हैं।
  2. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास:
    • EV चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क तेजी से बढ़ेगा। 2025 तक भारत में 50,000 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना है, जो शहरी केंद्रों और राजमार्गों पर EVs की बढ़ती मांग को पूरा करेगा।
  3. बैटरी स्वैपिंग:
    • बैटरी स्वैपिंग एक नई तकनीक है, जो EVs के उपयोगकर्ताओं के लिए एक सुविधाजनक समाधान है। कंपनियां जैसे Ola Electric और Bajaj Auto बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों का निर्माण कर रही हैं, जिससे EV बैटरियों को जल्दी से बदला जा सकता है और चार्जिंग का समय कम हो जाता है।

राइड-हेलिंग और साझा मोबिलिटी

  1. राइड-हेलिंग प्लेटफार्मों का विकास:
    • भारत में राइड-हेलिंग मार्केट (जैसे Ola, Uber, और Rapido) की वृद्धि होने वाली है। छोटे शहरों में भी राइड-हेलिंग सेवाओं की बढ़ती मांग है।
    • स्मार्टफोन के प्रसार और डिजिटल भुगतान प्रणाली के कारण, छोटे शहरों में भी यह सेवाएं सुलभ हो रही हैं।
  2. साझा मोबिलिटी समाधान:
    • साझा मोबिलिटी सेवाएं जैसे कार-शेयरिंग, बाइक-शेयरिंग, और ई-सकूटर रेंटल का प्रयोग बढ़ रहा है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में। कंपनियां जैसे Bounce, Ola Electric ई-स्कूटर रेंटल सेवाओं को लोकप्रिय बना रही हैं।
  3. लोक परिवहन और मास ट्रांज़िट:
    • लोक परिवहन और मास ट्रांज़िट प्रणालियाँ भारत के शहरों में महत्वपूर्ण हो रही हैं। दिल्ली मेट्रो, मुंबई मेट्रो, और चेन्नई मेट्रो जैसी परियोजनाएं तेजी से विकसित हो रही हैं।
    • इलेक्ट्रिक बसें और बिजली से चलने वाली सार्वजनिक परिवहन सेवाएं कम प्रदूषण और किफायती लागत के साथ भविष्य में महत्वपूर्ण होंगी।

समस्याएं और चुनौतियाँ

  1. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी:
    • इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती स्वीकृति के साथ, चार्जिंग स्टेशनों और EV-फ्रेंडली सड़क नेटवर्क की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमान चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एक प्रमुख बाधा है।
  2. नियामक असमंजस:
    • नीति की असमानता और राज्य-विशेष नियामक समस्याएं भारत के मोबिलिटी सेक्टर के लिए एक चुनौती हैं। उदाहरण के लिए, टोल कर, राइड-हेलिंग नियमों और EV सब्सिडी में असहमति की वजह से एक बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  3. उपभोक्ता शिक्षा और पहुंच:
    • EVs के बारे में जागरूकता की कमी है, और उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल स्वामित्व लागत (TCO) को समझना जरूरी है।
    • EVs की उच्च प्रारंभिक कीमतें एक समस्या बन सकती हैं, हालांकि सरकार की सब्सिडी, टैक्स छूट और फाइनेंसिंग ऑप्शन इसे किफायती बनाने में मदद करेंगे।

भारत के मोबिलिटी मार्केट में अवसर

  1. बैटरी निर्माण:
    • बैटरी निर्माण क्षेत्र भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है। सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत बैटरी निर्माण के लिए प्रोत्साहन दे रही है, जिससे लिथियम-आयन बैटरियों का निर्माण स्थानीय स्तर पर होगा।
  2. लास्ट-माइल कनेक्टिविटी:
    • शहरी क्षेत्रों में लास्ट-माइल कनेक्टिविटी समाधान जैसे ई-रिक्शा, ई-बाइक, और ऑटोनॉमस शटल भारतीय मोबिलिटी मार्केट में महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर रहे हैं।
  3. पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP):
    • पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास जैसे EV चार्जिंग स्टेशनों, मेट्रो रेल और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में मदद करेगा, जिससे भारतीय परिवहन का पारदर्शिता और स्थिरता बढ़ेगी।

निष्कर्ष: भारत का मोबिलिटी भविष्य

भारत का मोबिलिटी मार्केट तेजी से बदलाव की ओर बढ़ रहा है। $600 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है, और यह इलेक्ट्रिक वाहनों, साझा मोबिलिटी, और डिजिटल प्लेटफार्मों की बढ़ती मांग से प्रेरित होगा। यदि भारत इन्फ्रास्ट्रक्चर, नियमों, और उपभोक्ता जागरूकता को लेकर सही कदम उठाता है, तो यह क्षेत्र स्थिर और स्मार्ट मोबिलिटी के लिए वैश्विक मॉडल बन सकता है।

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