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पटना18 मिनट पहलेलेखक: गिरिजेश कुमार
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बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर केंद्र सरकार का एक बड़ा खुलासा हुआ। जिला अस्पतालों में डॉक्टरों के 36% और अनुमंडल अस्पतालों में 66 % पद खाली है।
बिहार के जिला अस्पतालों में डॉक्टरों के 36 प्रतिशत व अनुमंडल अस्पतालों में 66 % पद खाली हैं। जिला अस्पतालों में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत 1872 पदों में से 1204 ही पदस्थापित हैं, 668 पद खाली हैं। जबकि अनुमंडल अस्पतालों में 1595 स्वीकृत पदों में से 547 ही पदस्थापित हैं। ये आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स 2020-21 के हैं।
आंकड़े 31 मार्च 2021 तक के हैं। इसके मुताबिक, राज्य के जिला व अनुमंडल अस्पतालों में पारा मेडिकल स्टाफ के भी आधे से अधिक पद खाली हैं। जिला अस्पतालों में 8208 स्वीकृत पदों में से 3020 जबकि अनुमंडल अस्पतालों में 4400 पदों में से 1056 पदस्थापित हैं। वहीं, बिहार के ग्रामीण इलाकों में जनसंख्या के हिसाब से 53% सब सेंटर (एसएस), 47% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) तथा 66 % कम्युनिटी हेल्थ सेंटर ( सीएचसी) की कमी है।
जुलाई 2021 तक बिहार के ग्रामीण इलाकों की अनुमानित जनसंख्या 10.86 करोड़ बताई गई है, इस हिसाब से 21933 स्वास्थ्य उपकेंद्र (एससी), 3647 पीएचसी तथा 911 सीएचसी होना चाहिए। लेकिन वर्तमान में 10258 सब सेंटर हैं, यानी, 11675 की कमी है। उसी तरह से 1932 पीएचसी तथा 306 सीएचसी हैं।
2020 के मुकाबले 2021 में सुधार
कोरोनाकाल में इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनपावर को लेकर काफी प्रयास किए गए। इसका असर है कि पीएचसी और सीएचसी की संख्या बढ़ी है। साथ ही डॉक्टर, स्पेशलिस्ट, लैब टेक्नीशियन, नर्सिंग स्टाफ की संख्या भी 2020 के मुकाबले 2021 में बढ़ी है। पीएचसी में डॉक्टर, पीएचसी, सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ की संख्या आवश्यकता से अधिक है।
पारा मेडिकल स्टाफ के भी आधा से अधिक पद खाली
- ग्रामीण क्षेत्रों में मानक से 53% सब सेंटर, 47 % पीएचसी, 66 % सीएचसी की कमी।
- प्रदेश के शहरी इलाकों में जनसंख्या के हिसाब से 66 प्रतिशत पीएचसी कम हैं।
शहरी इलाकों में मानक से 66 % कम पीएचसी, चाहिए 301, है 102
शहरी इलाकों में जनसंख्या के हिसाब से 66 प्रतिशत पीएचसी की कमी बिहार में है। राज्य की अनुमानित शहरी जनसंख्या जुलाई 2021 तक 1.50 करोड़ है। इस हिसाब से 301 पीएचसी होने चाहिए लेकिन अभी 102 पीएचसी हैं। 199 की कमी है। यानि 66 % की कमी है। डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट के पद भी खाली हैं।
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