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पटना44 मिनट पहले
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कुलपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के आवास पर छापेमारी।
मगध यूनिवर्सिटी के वर्तमान कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद काले कारनामों के माहिर खिलाड़ी निकले। अपने लोगों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर काली कमाई की। इसके लिए कुलपति ने फर्जी डॉक्युमेंट्स बनाए, जो लोग ड्यूटी करते ही नहीं थे, उनके नाम पर अपने लोगों से फर्जी सिग्नेचर कराए। फर्जीवाड़ा कर सरकारी रुपए की निकासी की। इस काले कारनामे के जरिए कुलपति ने पिछले 3 सालों में 30 करोड़ की काली कमाई की और बिहार सरकार को इतने की चपत लगा दी।
मगध यूनिवर्सिटी के VC के ऑफिस और घर पर रेड
इस खेल को खेलने में यूनिवर्सिटी के जिन लोगों कुलपति और उनके चहेतों का साथ नहीं दिया, वैसे लोगों को किसी न किसी प्रकार का गंभीर आरोप लगाकर नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह खेल सिर्फ बोध गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी में नहीं हुआ है। यहां से पहले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भोजपुर जिला स्थित वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के भी कुलपति रहे हैं। दोनों ही यूनिवर्सिटी से उन्होंने अवैध तरीके से खूब कमाई की है।
बोधगया से लेकर गोरखपुर तक छापेमारी
ये बड़े खुलासे हुए हैं, स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) की कार्रवाई के दौरान। कुलपति मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं। राज्य सरकार को इनकी तरफ से पर्दे के पीछे से खेले जा रहे खेल की असलियत की जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया। इस मामले में इनपुट व सबूत जुटाने और कार्रवाई करवाने की जिम्मेवारी स्पेशल विजिलेंस यूनिट के ADG नैयर हसनैन खान को सौंपी गई थी। इसके बाद इन्होंने टीम बनाई। फिर एक-एक करके सारी जानकारी हासिल की गई। पड़ताल में मामला सही पाया गया। फिर सबूत जुटाए गए। तब जाकर 16 नवंबर को पटना में FIR दर्ज की गई। कोर्ट से परमिशन मिलने के बाद टीम ने सुबह बोध गया से लेकर गोरखपुर तक में छापेमारी की।
गोरखपुर स्थित आवास पर छापेमारी करने पहुंची विजिलेंस की टीम।
सिक्योरिटी गार्ड की बहाली और सैलरी के नाम पर किया घपला
कई दिनों की पड़ताल और आज हुई छापेमारी के दौरान चौंकाने वाली बात सामने आई। कुलपति ने दोनों यूनिवर्सिटी में एग्जाम के क्वेश्चन पेपर, उसकी कॉपी के साथ-साथ सुरक्षा के नाम पर बहाल किए गए सिक्योरिटी गार्ड की संख्या व उनकी सैलरी को लेकर जबरदस्त तरीके से धांधली की है।
अपने लोगों के साथ मिलकर फर्जी बिल बनवाए और उसे पास करवाया। सिक्योरिटी गार्ड की कुल संख्या 47 है। मगर, कागज पर इनकी संख्या बढ़ाकर 86 दिखाई गई। बढ़े सिक्योरिटी गार्ड के फर्जी नाम और उनकी संख्या को आधार बना सैलरी के रूप में हर महीने मोटी रकम की निकासी हुई।
1 करोड़ की मिली चल-अचल संपत्ति
कुलपति के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई अभी भी जारी है। इस दौरान सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि जिन फाइलों को स्पेशल विजिलेंस यूनिट के अधिकारी बोध स्थित यूनिवर्सिटी के ऑफिस में खोज रहे थे, वो सारी फाइलें कुलपति के गोरखपुर स्थित घर पर मिली। अब सवाल उठ रहे हैं कि कुलपति ने इन फाइलों को अपने घर पर क्यों रखा था? इसका जवाब उन्हें देना होगा।
कुलपति के घर से 5 लाख रुपए कैश मिले हैं, जिसे जब्त कर लिया गया है। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद 1 करोड़ रुपए से अधिक के चल-अचल संपत्ति के मालिक निकले हैं। इनके घर से कई और डॉक्युमेंट्स हाथ लगे हैं। इनकी पड़ताल की जा रही है।
इनके ठिकानों पर भी हो सकती है छापेमारी
काले कारनामे में कुलपति के PA सुबोध कुमार, आरा स्थित वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के फाइनेंशियल ऑफिसर ओम प्रकाश, पटना स्थित पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मेसर्स पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट व मेसर्स एक्सलिकट सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक शामिल हैं।
इसी वजह से इन सभी को नामजद करते हुए IPC की धारा 120B, 420, R/W की धारा 12 के सेक्शन 13(2) & 13(B) और PC एक्ट 1988 के तहत FIR दर्ज की गई। फिर स्पेशल विजिलेंस कोर्ट से कुलपति के ठिकानों पर छापेमारी हुई। ADG के अनुसार, कुलपति के सभी एसोसिएट्स की भूमिका की पड़ताल चल रही है। जरूरत के अनुसार इनके ठिकानों पर भी छापेमारी होगी।
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