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पटना9 मिनट पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य।
राजधानी के गांधी मैदान में मंच सज कर तैयार है। लाल झंडे से पटना बेली रोड से लेकर गांधी मैदान की सड़कें ऐसे सजी हुई है कि लग रहा है बिहार नहीं बंगाल हो! कई जगहों पर तोरण द्वार लगाए गए हैं। माले का 11 वां महाधिवेशन पटना में होने जा रहा है। इससे पहले माले की रैली गांधी मैदान में है। गांधी मैदान में भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य से भास्कर ने खास बातचीत की।
सवाल- गांधी मैदान में लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ रैली है। इस रैली के मायने बताएं दीपंकर?
- जवाब- ये नारा साफ है। देश को बचाना है। लोकतंत्र नहीं बचेगा तो देश नहीं बचेगा। इस देश में अगर यह कोशिश होगी कि देश में एक पार्टी हो, एक नेता हो, एक विचारधारा हो, एक अडानी की कंपनी हो तो देश बर्बाद हो जाएगा। हम चाहते हैं कि देश पूरी संपूर्णता के साथ बुलंद रहे। इसके लिए संघीय ढांचा रहे। संविधान में जो व्यवस्था है उसको मजबूत बनाने की जरूरत है।
सवाल- भाजपा का आरोप है कि महागठबंधन की पार्टियां मुसलमानों के नाम पर तुष्टिकरण करती है?
- जवाब- यही तो भारतीय जनता पार्टी वालों की साजिश है देश में। ये लोग मुस्लिम का नाम सिर्फ लेते हैं, लेकिन हैं सभी के खिलाफ। वे देश में बेरोजगार लोगों के खिलाफ हैं। मीडिया के खिलाफ हैं। जो लोग भी झूठ के खिलाफ, नफरत के खिलाफ लड़ने वाले हैं उन सबों के खिलाफ बीजेपी है। इसलिए कोई तुष्टीकरण की बात नहीं है। भारतीय जनता पार्टी की दुष्ट राजनीति को खत्म करना है।
सवाल- 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है और कहा जा रहा है कि गांधी मैदान की रैली में माले का शक्ति प्रदर्शन होने वाला है?
- जवाब- अलग से शक्ति प्रदर्शन क्या करना! 2020 के चुनाव में आपने देखा कि लोगों में उम्मीद जगी। 2020 का इरादा और मजबूत हो रहा है। उस समय लड़ाई विधान सभा की थी इस बार लोकसभा की है। देश भर में एक उम्मीद जगी है। बीजेपी के मंसूबे खतरनाक हैं और बिहार इसके खिलाफ लड़ने को तैयार है। लोग बिहार मॉडल की चर्चा कर रहे हैं। नीचे जनता का आंदोलन है। जनता के आंदोलन ने नीतीश कुमार को भी प्रेरित किया और नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़ इधर आए। हमें लगता है ये जन आंदोलन की ताकत है। जनता का बड़ा आंदोलन और राजनीति धरातल पर बीजेपी के खिलाफ एकजुटता ये बिहार का मॉडल है। 15 फरवरी की रैली के बाद महाधिवेशन 16 से 20 तक है। इसमें माले की सांगठनिक चर्चा के साथ-साथ विपक्षी एकता पर फोकस है।
भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा- हमलोग महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ेंगे।
सवाल- पर्यावरण संकट पर भी इसमें बात होगी ?
- जवाब- पर्यावरण का संकट के पीछे कारपोरेट लूट है। कंपनी राज है। इसमें भी गरीब प्रताड़ित हो रहे हैं। कहीं जंगल पर कब्जा किया जाता है तो कहीं गरीबों को बेदखल करते हैं। सरकार की नीतियों के कारण जोशी मठ बर्बादी का कगार पर खड़ा है। आम नागरिकों की जिंदगी पर खतरा है।
सवाल- महागठबंधन के अंदर जेडीयू में उपेन्द्र कुशवाहा जिस तरह की बातें कर रहे हैं उससे पूरे महागठबंधन की राजनीति नहीं प्रभावित हो रही है?
- जवाब- महागठबंधन का अब विस्तार हो गया है। लोकसभा चुनाव के बाद मैसेज गया कि महागठबंधन में माले नहीं रहेगी तो महागठबंधन कमजोर होगा। उसके बाद यह और मजबूत हुआ। इसमें नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी भी आए। महागठबंधन की विस्तार अच्छी बात है। कुछ दलों में कुछ बातें होती रहती हैं। इससे महागठबंधन के महासंकल्प पर असर नहीं पड़ेगा।
सवाल- माले लोकसभा चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ेगी ?
- जवाब- अभी सीट पर बात करने का समय नहीं आया है। हमलोग महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ेंगे। पिछले लोकसभा चुनाव का परिणाम इस बार बदलने की हमारी कोशिश है। तब बिहार से एक सीट मिली थी। बिहार से 39 सीट बीजेपी को, झारखंड से 14, बंगाल में 18 सीट मिली थी। इस वजह से बीजेपी की सरकार बन गई थी।
सवाल- क्या इस बार के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का जादू नहीं चलेगा?
- जवाब-बिल्कुल ही नहीं चलेगा। वह शुरू हो गया है। अडानी जा रहे हैं। यह इसका संकेत है। अडानी जाएंगे तो उनको बचाने वाले भी जाएंगे।
सवाल- लोग कहते हैं सेंटीमेंटल वोट बीजेपी लेती है?
- जवाब- हमें लगता है सेंटीमेंट हवा में नहीं चलेगा। मोदी जी ने पार्लियामेंट में धमकाया कि हम राशन देते हैं, हम आपको गैस देते हैं। लोग पूछ रहे हैं गैस महंगा हो गया है। गैस कैसे भरवया जाए? मोदी जी जिस तरह से धमकी देने लगे हैं उससे उनको पता चल जाएगा। पता चल भी रहा है।
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