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पटना2 घंटे पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
2014 बैच के IPS दया शंकर के लिए पूर्णिया में पुलिस का दो सिस्टम काम करता था। पुलिसिंग के साथ ब्लैक मनी के लिए भी एक सिस्टम काम कर रहा था। ब्लैक मनी के लिए काम करने वाले पुलिस कर्मियों को साहब के साथ मैडम भी डील करती थीं। वसूली की ऐसी चेन बनाई गई थी बिहार पुलिस सिस्टम के साथ एसपी और उनकी मैडम के लिए काम कर रहा था। इसमें कॉन्स्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक शामिल रहे। मैडम ब्लैक मनी को गोल्ड में और साहब रियल स्टेट में को इनवेस्ट कर रहे थे। इस बार संडे स्टोरी में पढ़िए बिहार के भ्रष्ट अफसरों की कहानी, जिन्होंने देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करने के बाद निष्ठा और ईमानदारी की शपथ तो ली पर कमाई में डूब गए…
ऐसे चलता था SP दया शंकर का सिस्टम
विजिलेंस की करवाई में जो सच्चाई सामने आई हैं, उसके मुताबिक पूर्णिया एसपी दया शंकर ने काली कमाई के लिए जो सिस्टम बनाया था, उसमें 3 कड़ी काम करती थी। एसपी दया शंकर और उनकी पत्नी के साथ ब्लैक मनी के कलेक्शन के लिए अब तक बिहार बिहार पुलिस की 3 कड़ी सामने आई है। ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर इंवेस्टिगेशन तक में एसपी के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था बिहार पुलिस के जवान ही करते थे। काली कमाई का यह खेल 2016 से चल रहा था।
पूर्णिया से पहले दया शंकर भोजपुर जिले के जगदीशपुर और भोजपुर में SDPO रह चुके हैं। इसके बाद शेखपुरा के SP बनाए गए थे। पूर्णिया में स्पेशल विजिलेंस ने छापेमारी में काली कमाई का बड़ा खुलासा किया। पटना से लेकर सिलीगुड़ी तक रियल स्टेट में इनवेस्ट किया है। पटना के फ्लैट में 67 लाख रुपए का इंटीरियर डेकोरेशन का सबूत सामने आया है। जांच जारी है और अभी बड़े खुलासे होने बाकी हैं।
कड़ी एक: सावन था बड़ा मैसेंजर
पूर्णिया में टेलीफोन ड्यूटी पर काम करने वाले गोपनीय शाखा के कॉन्स्टेबल सावन कुमार का अहम रोल था। सावन को एसपी के साथ मैडम भी डील करती थी। वह एक कड़ी के रूप में काम करता था। घर से लेकर बाहर की व्यवस्था सावन ही संभालता था। मैडम और साहब की डिमांड को पूरा करने में इसका अहम रोल रहा है। वह एसपी के साथ मैडम का इतना चहेता था कि उसका ट्रांसफर भी नहीं होने दिया गया। ट्रांसफर के आदेश को किसी न किसी बहने रोक लिया जाता था।
कड़ी दो: संजय सिंह थानों से करता था वसूली
पूर्णिया के सदर थाना के पूर्व थानेदार संजय सिंह एसपी दया शंकर की ब्लैक मनी के लिए कड़ी नंबर दो थे। वह साहब के साथ मैडम से भी सीधे तौर से जुड़ा थे। पूर्णिया के किस थाना में कौन थानेदार तैनात होगा, इसकी सेटिंग भी सदर थानेदार करते थे। इससे ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़ी राशि आई। ब्लैक मनी के लिए ट्रांसफर पोस्टिंग बड़ा जरिया रहा है। सूत्र बताते हैं कि एसपी दया शंकर की पत्नी पैसे की पूरी डीलिंग डायरेक्ट थानेदार संजय सिंह से करती थी।
कड़ी तीन: पेंच फंसाकर रीडर निकलता था पैसा
पूर्णिया एसपी के पूर्व रीडर नीरज कुमार भी आईपीएस दया शंकर की काली कमाई में बड़ा किरदार रहा है। वह अपराध के मामले में कानूनी पेंच फंसाकर वसूली करता था। रीडर का पद एसपी कार्यालय में काफी अहम होता है। रीडर की टेबल से होकर आदेश गुजरता है। ट्रांसफर पोस्टिंग के साथ पूरा सिस्टम पुलिस ऑफिस में रीडर से ही चलता है। रीडर नीरज एसपी के लिए पैसे की व्यवस्था करता था।
बिहार में कई ऐसे भ्रष्ट अफसर
शराब माफिया से मालामाल होने वाले एसपी विवेक
आर्थिक अपराध इकाई ने 2018 में मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसपी विवेक कुमार की काली कमाई का बड़ा खुलासा किया था। शराब माफियाओं ने एसपी को मालामाल कर दिया। 2007 बैच के आइपीएस अधिकारी विवेक कुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया गया था। एसवीयू (विशेष निगरानी इकाई) ने 17 अप्रैल 2018 को सर्च ऑपरेशन में आय से 300% से अधिक संपत्ति का खुलासा किया था। इस बड़े खुलासे के बाद एसपी को निलंबित कर दिया गया। शराबबंदी कानून का फायदा उठाकर काली कमाई का एक बड़ा जरिया बनाया गया था। विवेक कुमार की तैनाती के समय मुजफ्फरपुर में शराब तस्करों पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
बालू से कमाने वाला एसपी
2021 में आर्थिक अपराध इकाई ने बालू से काली कमाई करने वाले एसपी को बेनकाब किया। भोजपुर के तत्कालीन एसपी राकेश दूबे ने बालू माफियाओं से सेंटिंग कर करोड़ों की ब्लैक मनी को रियल स्टेट में इनवेस्ट कर दिया। रिश्तोंदारों के बैंक खातों से लेकर करीबियों को भी ब्लैकमनी को व्हाइट करने में शामिल किया लेकिन आर्थिक अपराध इकाई ने बालू से काल धन निकालने वाले एसपी को बेनकाब कर दिया। आर्थिक अपराध इकाई को माफियाओं से काली कमाई का बड़ा सबूत मिला था।
गंगा से निकाला काली कमाई का रास्ता
2021 में आर्थिक अपराध इकाई ने औरंगाबाद के एसपी रहे सुधीर कुमार पोरिका के ठिकानों पर छापेमारी कर बालू से काली कमाई का खुलासा किया। नदियों से बालू निकालने वाले माफियाओं से सेटिंग कर सुधीर कुमार पोरिका ने काली कमाई का बड़ा स्रोत तैयार किया। पोरिका पर भी बालू माफियाओं से काली कमाई करने का बड़ा सबूत मिला। बालू से कमाई करने वाले बिहार के दो भ्रष्ट आईपीएस राकेश दुबे और सुधीर कुमार पोरिका को 27 जुलाई 21 को ही निलंबित कर दिया गया।
सोन के बालू से काली कमाई करने वाला IAS
आर्थिक अपराध इकाई ने 2018 में आईएएस अफसर और सारण के तत्कालीन डीएम दीपक आनंद का बालू माफियाओं से सेटिंग कर काली कमाई का बड़ा खुलासा किया। सोन नदी के बालू से ब्लैक मनी बनाने वाले आईएएस का साथ उनकी पत्नी शिखा रानी ने दिया। दोनों ने मिलकर खूब काली कमाई की। आर्थिे अपराध इकाई को छापेमारी में ढाई करोड़ से अधिक की काली कमाई का सबूत इकट्ठा किया था। आईएएस और उनकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, बाद में सामान्य प्रशासन विभाग ने आईएएस को निलंबित कर दिया।
पेड़ बेचने वाला IAS
गया के पूर्व डीएम अभिषेक सिंह ऐसे IAS अफसर हैं जिनपर सरकारी पेड़ों को बेंच देने का आरोप लगा है। स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) ने इस मामले में आईएएस अभिषेक सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया था। अभिषेक सिंह जनवरी 2018 से जनवरी 2022 तक गया के डीएम रहे। इस दौरान उन्होंने सरकारी आवास के साथ कई जगहों से बिना सरकार की अनुमति के कीमती पेड़ों को कटवाया और फिर उसे बेंच दिया। त्रिपुरा कैडर के आईएएस अभिषेक पटना में नगर आयुक्त भी रहे। इसके साथ ही नीतीश सरकार ने उन्हें बुडको का एमडी भी बनाया था। सेटिंग ऐसी रही कि इंटर स्टेट कैडर डेपुटेशन सेवा समाप्त होने के बाद भी उन्हें 6–6 माह का दो बार एक्सटेंशन दिया गया।
काली कमाई के बाद भी एसपी के पास कार नहीं
2014 बैच के आईपीएस दया शंकर के ठिकानों पर छापेमारी के बाद विशेष विजिलेंस को काली कमाई का बड़ा सबूत मिला है, लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि इसके बाद भी दया शंकर के पास एक भी गाड़ी नहीं है। पत्नी खुशबू शंकर और दो बेटों के साथ पिता शिवजी प्रसाद और माता शिव कुमारी देवी डिपेंड हैं। लेकिन किसी के नाम से परिवार में कोई बाइक तक नहीं है। 2021-22 में बिहार सरकार को आय का ब्यौरा देने वाले आईपीएस दया शंकर ने बड़ा झूठ बोला है। खुद और पत्नी के साथ मां बाप के पास कुल 40 हजार कैश होने की बात कही गई लेकिन स्पेशल विजिलेंस की छापेमारी में एसपी आवास से 28 लाख का सोना और 2.96 लाख नगद और पटना स्थित आवास से 1.52 लाख कैश मिला।
सरकार से बोला झूठ, घर में दो गाड़ी का पेपर
दानापुर स्थित विंसम एम्पायर के दो फ्लैट को मिलाकर एक फ्लैट बनाया गया। इसके इंटीरियर पर 67 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। सरकार को जानकारी दिया था कि उनके पास कृषि योग्य कोई जमीन नहीं है, लेकिन स्पेशन विजिलेंस की छापेमारी में चाय बगान के साथ रियल स्टेट में इनवेस्टमेंट के सबूत मिले हैं। सरकार से गाड़ी को लेकर भी बड़ा झूठ बोला गया, छापेमारी के दौरान एसपी के पटना स्थित फ्लैट से दो गाड़ी इनोवा और जीप कंपास का पेपर मिला है, इसकी जांच की जा रही है। इतना ही नहीं छापेमारी एक ऐसी डायरी मिली है, जो ब्लैक मनी के ईमानदारी से बंटवारे की पोल खोलने वाली है। एसपी के घर से बरामद डायरी में जून 2018 से अगस्त 2018 का लेखा जोखा है। इसमें 22 लाख रुपए के लेन देन का पूरा हिसाब है। किससे कितना मिला और किसको कितना दिया गया।
घूसखोरी का बड़ा खेल: 16 साल में 45 सौ भ्रष्ट अफसर बेनकाब
सीएम नीतीश कुमार जीरो टॉरलेंस की बात करते हैं, लेकिन बिहार में मजबूत भ्रष्टाचार की जड़ कमजोर नहीं हो रही है। आंकड़ों की बात करें तो पिछले 16 साल में बिहार में 45 सौ भ्रष्ट अफसर पकड़े गए हैं। इनमें 28 की संख्या तो IAS और IPS की है, बाकी बीडीओ, एसडीओ, डीटीओ से लेकर अन्य विभागों के बड़े पदाधिकारी शामिल हैं। इन अफसरों को विजिलेंस ने बेनकाब किया है। निगरानी ने मई 2022 में ऐसे भ्रष्ट अफसरों की सूची, राज्य के 38 जिलाें से अफसरों के स्वच्छता प्रमाण पत्र की मांग पर जारी की थी। निगरानी की सूची में 28 आईएएस और आईपीएस शामिल रहे, इसमें कुछ के खिलाफ जांच चल रही है तो कुछ की संपत्ति तक जब्त की गई है। सूची में सीनियर आईएएस और आईपीएस के अलावा 4517 अन्य विभागों के अफसर शामिल हैं।
शपथ भूलकर काली कमाई
देश और देश के संविधान के प्रति श्रद्धावान एवं सच्ची निष्ठा रखने की शपथ लेकर नौकरी में आने वाले आईएएस आईपीएस देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करके आते हैं। शपथ तो विधि द्वारा स्थापित तथा भारत की सार्वभौमिकता तथा सत्यनिष्ठा बनाए रखने की भी लेते हैं, अपने कार्यालय के कार्य निष्ठापूर्वक एवं ईमानदारी से बिना भेदभाव के करने की भी ओथ लेते हैं, लेकिन काली कमाई की लत लगती है तो सब भूल जाते हैं। बिहार में फिलहाल ऐसा ही देखने को मिल रहा है। पूर्णिया के एसपी रहे दया शंकर को फरवरी 2022 में सीएम नीतीश कुमार ने बेहतर कार्य के लिए सम्मानित भी किया था, गया के पूर्व डीएम और भ्रष्ट अफसर अभिषेक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घर घर बिजली पहुंचाने के लिए सम्मानित किया था। लेकिन ऐसे अफसर उस सम्मान की लाज को भी भ्रष्टाचार के आगे नहीं बचा पाते हैं।
DGP की काली कमाई का कई बंगला
बिहार के पूर्व डीजीपी नरायण मिश्रा ने भी काली कमाई से करोड़ों की संपत्ति बनाई थी। नौकरी के दौरान ही पूर्व डीजीपी नरायण मिश्रा और उनकी पत्नी के खिलाफ निगरानी ने आय से अधिक की संपत्ति का केस दर्ज किया था। इस केस में आरोप था कि नरायण मिश्रा ने 1984 से फरवरी 2007 के बीच 1.40 करोड़ रुपए की चल अचल संपत्ति अर्जित की थी। संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश जारी किया गया। पटना उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में उनके द्वारा भ्रष्टाचार से अर्जित की गई। लगभग 1.40 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त करने के निर्णय पर मुहर लगा दी।
पूर्व डीजीपी की काली कमाई से तैयार बंगले को पटना जिला प्रशासन ने जब्त कर लिया था। बंगला के साथ कई भूखंडों को भी न्यायालय के फैसले के बाद पटना जिला प्रशासन ने जब्त कर लिया गया। बिहार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब पूर्व डीजीपी को नौकरी के दौरान ही आय से अधिक संपत्ति के मामले में निलंबित किया गया और काली कमाई से बनाई गई उनकी अधिकतर संपत्ति को भी जब्त कर लिया गया। पुलिस अफसरों की माने तो पूर्व डीजीपी ने कई बंगला बना लिया और कई जमीनों को भी खरीदा था। वह खूब काली कमाई किए क्योंकि उस दौरान बिहार में विजिलेंस सक्रिय नहीं थी, लेकिन बिहार पुलिस की इस कार्रवाई ने प्रशासनिक अमले में हलचल मचा दी थी।
मोटी सैलेरी भी पड़ रही है कम
7वें वेतन आयोग के मुताबिक IAS और IPS अफसर को 56100 रुपए बेसिक सैलैरी मिलती है। इसके अलावा इन अफसरों को टीए, डीए और एचआरए के साथ कई अन्य भत्ते भी दिए जाते हैं। महंगाई भत्ता और कई अन्य तरह के भत्ते के बाद भी सरकार से मिली रकम से अफसरों और उनके परिवार को कम पड़ती है। बिहार में विजिलेंस के खुलासे में 80 से 90 प्रतिशत मामलों में घूसखोरी के मामलों में अफसरों के साथ उनके परिवार के लोग भी शामिल पाए गए हैं। इससे सिस्टम में भ्रष्टाचार की जड़ मजबूत होने का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पूर्व कृषि मंत्री खोली थी सिस्टम की पोल
बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह भी राज्य की अफसरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा कर किए हैं। सुधाकर सिंह ने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने अफसरों पर करप्शन के गंभीर आरोप लगाए थे। जब विजिलेंस और अन्य एजेंसियां भ्रष्ट अफसरों को बेनकाब करने में लगी हों और इस बीच सरकार का ही मंत्री ऐसे भ्रष्ट अफसरों को खुलासा करे तो सिस्टम पर बड़ा सवाल उठता है।
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