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पटना2 घंटे पहले
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कमलकांत झा। – फाइल फोटो
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं कमलकांत झा
मधुबनी के जयनगर में रहने वाले 80 वर्षीय कमलकांत झा को मैथिली भाषा में प्रकाशित कहानी संग्रह ‘ गाछ रुसल अछि ‘ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। मैथिली में बाल साहित्य के लिए अकादमी पुरस्कार सियाराम झा सरस को दिया गया। उनको सोनहुल ‘ इजोत बाला खिड़की ‘ के लिए पुरस्कार दिया गया। मैथिली में युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार डॉ. सोनू कुमार झा को उनके कहानी संग्रह ‘ गस्सा ‘ के लिए पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इससे पहले बिहार की मशहूर साहित्यकार अनामिका को उनकी हिंदी कविता संग्रह ‘टोकरी में दिगन्त : थेरीगाथा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
हिंदी में कविता संग्रह के लिए पुरस्कार पाने वाली देश की पहली महिला साहित्यकार बनीं बिहार की अनामिका
मैथिली भाषा आंदोलन में एक्टिव रहे हैं कमलकांत
कमलकांत झा की पहली किताब 1965 में आई। वह नाटक की किताब थी काफी चर्चित हुई। अब तक इनकी 22 किताबें आ चुकी हैं। मैथिली लोकोक्ति उद्भव और विकास उनकी महत्वपूर्ण किताब है। निबंध, कविताएं और नाटक भी लिखा। मैथिली भाषा आंदोलन में शुरुआती समय से ही एक्टिव रहे। कमलाकांत झा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वे संघ के प्रचार के लिए जहां-जहां गए वहां-वहां मैथिली का प्रचार-प्रसार भी किया। मधुबनी के जयनगर में D.B. कॉलेज में मैथिली के प्रोफेसर रहे और वहीं से सेवानिवृत्त हुए। उनका गांव हरिपुर है। इसी गांव के उपेन्द्रनाथ झा व्यास को 50 साल पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। यानी इस गांव में कमलाकांत झा ऐसे दूसरे लेखक हैं जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।
हुसैन-उल-हक को उर्दू के लिए मिला पुरस्कार
बिहार के ही गया के रहने वाले हुसैन-उल-हक को उर्दू उपन्यास ‘अमावस में ख्वाव’ के लिये साहित्य अकादमी सम्मान दिया गया है। इस तरह वर्ष 2020 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कारों की लिस्ट में बिहार से तीन नाम शामिल हो गए हैं।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई
CM नीतीश कुमार ने हुसैन-उल-हक को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये अपनी शुभकामनायें दी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के तीन साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार 2020 का मिलना बेहद गौरव की बात है। उनकी इन उपलब्धियों पर सम्पूर्ण बिहार को गर्व है।
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