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पटना28 मिनट पहलेलेखक: अजय कुमार सिंह
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महिलाएं जान की बाजी लगाकर परिजनों की जान बचाने में भी आगे हैं। पुरुष आज भी किडनी, लिवर या ब्लड डोनेट करने में हिचकिचाते हैं, वहीं महिलाएं इसके लिए आगे आ रही हैं। कोई पति, कोई बेटा, कोई भाई तो कोई अन्य नजदीकी के लिए किडनी डोनेट कर रही हैं।
आईजीआईएमएस में 2016 से 2021 तक करीब 77 किडनी फेल्योर मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है। इसमें किडनी डोनेट करने वाली 57 महिलाएं हैं और 20 पुरुष। इनमें किडनी लेने वाले पुरुषों की संख्या 77 है, जबकि छह महिलाएं हैं। वहीं पारस एचएमआरआई में 2018 से 2021 के बीच 46 किडनी ट्रांसप्लांट हुए।
यहां 29 महिलाओं ने डोनेशन से अपनों की जान बचाई। रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में 2017 से 2021 के बीच 14 किडनी ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया गया। इसमें 12 महिलाओं ने किडनी डोनेट कर अपनों की जान बचाई। यानी 2021 तक तक इन तीन अस्पतालों में 137 किडनी फेल्योर मरीजों का ट्रांसप्लांट किया गया। इसमें किडनी डोनेट करने वाली 98 महिलाएं हैं। पटना में फिलहाल इन्हीं तीन अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट किया जा रहा है।
क्या कहते हैं सोटो के चेयरमैन
स्टेट आर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (बिहार स्टेट) के चेयरमैन डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि अधिकतर लाइव किडनी डोनेशन में देखा जा रहा है कि महिलाएं ही डोनर हैं। ऐसा नहीं है कि पुरुष डोनर को खतरा अधिक होता है या फिर महिलाओं को कम, लेकिन ट्रेंड यही दिख रहा है कि किडनी डोनेट कर अपनों की जान बचाने के लिए अधिकतर महिलाएं ही आगे आ रही हैं।
खतरा दोनों को एक ही समान रहता है। हालांकि इसके लिए पुरुषों को आगे आना चाहिए। डोनेशन के लिए अधिक लोग आएंगे तो उनके अपनों की जिंदगी बच जाएगी।
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